शिक्षकों को आचार्य कहने की परंपरा शुरू करेंं
जितेंद्रनाथ महाराज का प्रतिपादन

* पंजाबराव देशमुख महाविद्यालय में सत्कार समारोह
* शिव परिवार का आयोजन
अमरावती/दि.22 – अमरावती एक एतिहासिक शहर है और संत नगरी के नाम से सर्वत्र परिचित है. इस शहर से मराठी भाषा का उदय हुआ. इस लिए जिले को मराठी विद्यापीठ मिला. मेरी विनती है कि मराठी भाषा का सही मायनों में जतन करने के लिए आज से सभी शिक्षकों को आचार्य ेकहने की परंपरा शुरू की जाए, ऐसा प्रतिपादन श्री देवनाथमठ के मठाधिश्वर आचार्य स्वामी जितेंद्र महाराज ने किया.
शिव परिवार की ओर से 20 सितंबर को डॉ. पंजाबराव देशमुख स्मृति वैद्यकिय महाविद्यालय के परिसर के श्री छत्रपति शिवाजी महाराज सभागृह में आयोजित उल्लेखनिय कार्य करनेवाले कतृत्ववान व्यक्तियों के सत्कार समारोह का आयोजन किया गया था. इस अवसर पर वे प्रमुख अतिथि के तौर पर बोल रहे थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री शिवाजी शिक्षण संस्था अध्यक्ष हर्षवर्धन देशमुख ने की तथा प्रमुख अतिथि के रूप में श्री देवनाथमठ के पिठाधिश्वर आचार्य स्वामी जितेंद्रनाथ महाराज व विशेष अतिथी के तौर पर अकोला के सांसद अनुप धोत्रे, संगाबा अमरावती विद्यापीठ के कुलगुरू डॉ. मिलींद बारहाते, रिध्दपुर मराठी भाषा विद्यापीठ के कुरूगुरू डॉ. अविनाश आवलगांवकर, संगाबा विद्यापीठ के प्र-कुलगुरू प्रा. महेंद्र ढोरे उपस्थित थे.
जितेंद्रनाथ महाराज ने आगे कहा कि शिवाजी शिक्षण संस्था और अन्य संस्थाओं में अंतर है. भाउसाहेब द्बारा निर्माण की गई संस्था से तेजस्वी व कर्तुत्ववान व्यक्तियों की निर्मिती होती है. आज विदर्भ के कर्तुत्ववान रत्नों के कार्य की वजह से उनका सत्कार किया जा रहा है. यह बडा कार्य है. इससे अनेकों को प्रेरणा मिलेगी. कार्यक्रम के दौरान विदर्भ के कर्तुत्ववान व्यक्ति कुलगुरू डॉ. मिलींद बारहाते तथा मराठी भाषा विद्यापीठ के कुलगुरू डॉ. अविनाश आवलगांवकर व संगाबा विद्यापीठ के प्र-कुलगुरू महेंद्र ढोरे का सपत्निक शाल, श्रीफल व सम्मानचिन्ह प्रदान कर शिव परिवार की ओर से सत्कार किया गया. इस अवसर पर सांसद अनुप धोत्रे ने शिव परिवार को सहकार्य करने का आश्वासन दिया.
इस समय श्री शिवाजी शिक्षण संस्था के उपाध्यक्ष गजानन पुंडकर एड. भैयासाहेब पुसदेकर, केशवराव मेटकर, कार्यकारिणी सदस्य हेमंत कालमेघ, प्राचार्य केशवराव गावंडे, सुरेश खोटरे, प्रा. सुभाष बनसोड, श्री हव्याप्र मंडल के सचिव माधुरी चेंडके, स्व. दादासाहेब चैरिटेबल ट्रस्ट की अध्यक्षा किर्ती अर्जुन, प्राचार्य डॉ. दीपक धोटे, प्रीती बंड, डॉ. श्वेता बारहाते, डॉ. स्वाती ढोरे, सिपना शिक्षण प्रसारक मंडल सचिव डॉ. रविंद्र कडू, विदर्भ युथ वेलफेअर सोसायटी सचिव, युवराजसिंह चौधरी श्री शिवाजी शिक्षण संस्था के वि.गो. ठाकरे, महाराष्ट्र विद्यापीठ शिक्षकेत्तर कर्मचारी संघ अध्यक्ष अजय देशमुख, शिवाजी शिक्षण संस्था के स्विकृत सदस्य प्राचार्य अंबादास कुलट, नरेशचंद्र पाटिल, प्राचार्य अमोल महल्ले, प्राचार्य पुरूषोत्तम बायाल उपस्थित थे.
इस अवसर पर कुलगुरू बारहाते ने कहा कि मेरा सत्कार करने पर मुझ पर अच्छे कार्य करने का दयित्व बढा है. वहीं डॉ. आवलगांवकर ने कहां कि अनेक जगहों पर मेरा सत्कार हुआ है. लेकिन जो सम्मन शिव परिवार द्बारा किया गया व स्फुर्तिदायक है. जिससे मुझे अच्छे काम करने की प्रेरणा मिली है तथा प्र-कुलगुरू डॉ. महेंद्र ढोरे ने कहा कि भाउसाहेब के विचार और उनके कार्यों की परंपरा से मुझे सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ है. कार्यक्रम के दौरान अपने अध्यक्षिय भाषण में हर्षवर्धन देशमुख ने कहा कि शिव परिवार ने कतृत्ववान रत्नों का सम्मान किया है. जिससे अन्य लोगों को भी अच्छे कार्य करने की भी प्ररेणा मिलेगी.
कार्यक्रम में अपने प्रास्ताविक के माध्यम से हेमंत कालमेघ ने कार्यक्रम की भूमिका व्यक्त करते हुए कहा कि शिव परिवार यह केवल शिक्षण संस्था ही नहीं बल्कि भाउसाहेब के विचार और कार्यों की परंपरा का निर्वाह करने वाला परिवार है. कार्यक्रम का संचालन प्रा मंदा नांदुरकर व प्रा. डॉ. राजेश मिरगे ने किया तथा आभार भैयासाहब मेटकर ने माना. कार्यक्रम के प्रारंभ में राजेश उमाले व उनकी टीम ने भाउसाहब देशमुख के गौरव गीत की प्रस्तुति दी. इस समय संपूर्ण विदर्भ से आए नागरिक, विद्यार्थी, शिक्षक, राजनीतिक, सामाजिक शैक्षणिक तथा विविध क्षेत्रों के मान्यवर उपस्थित थे.





