ठेकेदारों के राज्य सरकार पर 89 हजार करोड रुपए बकाया
57,509 करोड की पूरक मांग प्रस्तुत, राज्य की आर्थिक स्थिति संकट में

अमरावती/दि.5– राज्य सरकार ने विधान मंडल के जारी पावस सत्र के पहले ही दिन 57,509.71 करोड रुपयों की पुरक मांग पेश की है. वहीं इस समय राज्य सरकार की ओर ठेकेदारों के करीब 89 हजार करोड रुपए बकाया रहने की जानकारी सामने आई है. यह बकाया एकतरह से राज्य की डांवाडौल आर्थिक स्थिति का आईना है. वहीं अपने बकाया देयकों का भुगतान प्राप्त करने के लिए राज्य के ठेकेदार अब आंदोलन की तैयारी में जुट गए हजिसका सीधा परिणाम राज्य के विकास कामों पर होने की संभावना जताई जा रही है. विशेष उल्लेखनीय है कि, विगत मंगलवार को राज्य के सभी जिलो में ठेकेदार संगठनों द्वारा एक ही समय पर अपने-अपने जिलों के जिलाधिकारियों को अपनी मांगों के संदर्भ में ज्ञापन सौंपे गए. इस ज्ञापन में कहा गया कि, महाराष्ट्र में ठेकेदारों, शिक्षित बेरोजगार अभियंताओं, मजदूर संस्थाओं व विकासकों ने सार्वजनिक लोकनिर्माण, ग्रामीण विकास, नगर विकास, जलसंवर्धन, जलसंपदा व जलजीवन मिशन जैसे विभाग अंतर्गत करीब 89 हजार करोड रुपयों के काम किए है. परंतु विगत 10 माह से इनकामों के देयकों का कोई भुगतान नहीं हुआ है. जिसके चलते सभी ठेकेदार आर्थिक दिक्कतों का सामना कर रहे है.
आंदोलन का परिणाम भी शून्य ठेकेदारों का यह भी कहना रहा कि, विगत एक वर्ष से वे अपने बकाया भुगतान के लिए आंदोलन कर रहे है तथा उन्होंने धरना, अनशन व मोर्चा करने के साथ ही अधिकारियों से लेकर मंत्रियों तक सभी को अपनी व्यथा बताई है. परंतु इसके बावजूद भी कोई नतीजा नहीं निकला. विगत मार्च माह में केवल 10 फीसद रकम वितरित की गई और कुछ चुनिंदा ठेकेदारों को ही भुगतान दिया गया. जिसके चलते अधिकांश ठेकेदार आर्थिक दिक्कत में फंसे हुए है और वे विकास कामों हेतु लिए गए कर्ज की किश्तें भी अदा नहीं कर पा रहे.
आखिर पैसा जा कहां रहा है? ठेकेदारों के मुताबिक उनके द्वारा किए गए कामों के देयकों का भुगतान रोककर सरकार लोकप्रिय योजनाओं पर जोर दे रही है. लाडली बहन योजना अंतर्गत राज्य की करीब 2.5 करोड महिलाओं को प्रति माह 1500 रुपए डीबीटी के जरिए दिए जा रहे है और इस योजना पर हर महिने 3600 करोड रुपयों का खर्च हो रहा है. साथ ही इस योजना के 12 महिने पूरे हो जाने के चलते अब इस रकम को बढाने का विचार किया जा रहा है. इसी तरह नमो शेतकरी सम्मान योजना अंतर्गत किसानों को प्रति वर्ष 6 हजार रुपए दिए जा रहे है और कृषि पंपों के लिए मुफ्त बिजली भी दी जा रही है. इन सभी योजनाओं पर होनेवाले खर्च की वजह से विकास कामों के लिए सरकार के पास पैसा उपलब्ध नहीं रहने की बात ठेकेदारों द्वारा कही गई है.
किस विभाग पर कितना बकाया विभाग बकाया रकम
सार्वजनिक लोकनिर्माण 40 हजार करोड
जलजीवन मिशन 12 हजार करोड
ग्रामीण विकास विभाग 6 हजार करोड
जलसंवर्धन व जलसंपदा 13 हजार करोड
नगर विकास 18 हजार करोड





