सुबह उठते ही शरीर में अकडन, ‘मॉर्निंग स्टिफनेस’ तो नहीं?

अमरावती/दि.12 – निंद से उठने के बाद गर्दन और पीठ में अकडन महसूस होती है, सीर भारी लगता है अथवा पूरा शरीर अकडे जैसा लगने का अनुभव अनेकों को होता है. वरिष्ठ नागरिकों को होनेवाली ‘मॉर्निंग स्टिफनेस’ की तकलिफ अब युवाओं को भी होने लगी है.

* ‘मॉर्निंग स्टिफनेस’ की युवाओं को भी तकलिफ
पहले वृध्दावस्था में दिखाई देनेवाले यह लक्षण अब 25 से 40 वर्ष आयु के युवाओं में बढते दिखाई देते है. पूरा दिन संगणक, मोबाईल अथवा कार्यालयीन काम के लिए एक जैसे बैठे रहना और उसमें शारीरिक गतिविधियों का अभाव रहने से मांसपेशियों पर तनाव आता है.

कारण कौनसे?
‘मॉर्निंग स्टिफनेस’ के प्रमुख कारणों में लगातार एक ही स्थिति में बैठकर काम करना, शारीरिक श्रम का अभाव, गलत सोने की लत और मांसपेशियों की ताकद कम होना आदि घटक महत्वपूर्ण साबित होते है. साथ ही मानसिक तनाव, अधूरी व अनियमित निंद भी इस परेशानी के लिए कारणीभूत है.

* गादी और तकिए से तकलीफ
अनेक बार सही गादी और तकिए का इस्तेमाल न किए जाने से यह तकलीफ महसूस होती है. गर्दन को उचित आधार न देनेवाला तकिया अथवा ज्यादा कॉटन की गादी पर सोने से रात को मांसपेशियों को अपेक्षित आराम नहीं मिलता. इस कारण सुबह उठने पर तनाव महसूस होता है.

* तनाव और निंद का अभाव
अत्याधुनिक जीवन शैली में तनाव करीबन हर किसी के जीवन में है. तनाव और अधूरी निंद के कारण शरीर की मांसपेशियों में खिचाव आता है. दिनोंदिन ऐसी अवस्था रही तो स्टिफनेस बढता है.

* क्या है उपाययोजना?
मॉर्निंग स्टिफनेस टालने के लिए नियमित व्यायाम व चलने की आदत लगाना काफी महत्वपूर्ण है. सुबह उठने के बाद मामूली हलचल, स्ट्रेचिंग और योगासन करने से मांसपेशियों को ताकद मिलती है. साथ ही सही गादी और गर्दन को आधार देनेवाले तकिए का इस्तेमाल किया तो निंद आरामदायी होती है.

* स्ट्रेचिंग लाभदायक
सुबह उठने पर तत्काल कडी हलचल करने के बजया हल्का स्ट्रेचिंग करना उपयुक्त साबित होता है. धीरे-धीरे हाथ, गर्दन, पीठ, और पैर की मांसपेशियों को तनाव दिया तो स्टिफनेस कम होता है. योगासन और प्राणायम के कारण भी मांसपेशियों की ताकत बनी रहती है.
* वृध्दावस्था से संबंधित बिमारी नहीं
मॉर्निंग स्टिफनेस यह केवल वृध्दावस्था से संबंधित बिमारी नही है. युवाओं में एक ही स्थान पर बैठकर किए जानेवाले काम इस विकार का प्रमुख कारण है. नियमित व्यायाम, स्ट्रेचिंग, संतुलित आहार और पुरी निंद के कारण इसे टाला जा सकता है.
– डॉ. अमोल ढगे, अमरावती

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