विनयभंग, रेप आरोपियों के नाम छापना बंद करें

सूचना आयुक्त गजानन निमदेव का पत्रकारों से कहना

* विश्व संचार केंद्र के देवर्षि नारद पत्रकारिता पुरस्कार वितरित
* पसारी, जोशी, राजबिंडे सम्मानित
अमरावती/दि.30 – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अंतर्गत विश्व संचार केंद्र के देवर्षि नारद पत्रकारिता पुरस्कार का वितरण गत शाम हव्याप्रमं के सोमेश्वर पुसतकर सभागार में राज्य सूचना आयुक्त गजानन निमदेव और एनिमेशन कॉलेज के संस्थापक निदेशक प्रा. विजय राऊत के हस्ते किया गया. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से वरिष्ठ पत्रकार यशवंत उर्फ अशोकभाई जोशी, प्रिंट मीडिया से चेतन पसारी धामणगांव और दैनिक हिंदुस्थान के सहसंपादक निशिकांत राजबिंडे को पुरस्कृत किया गया. इस समय मंच पर महानगर संघ चालक उल्हास बपोरीकर और विदर्भ प्रांत प्रचारक संदीप गुलवे भी मौजूद रहे.
सूचना आयुक्त निमदेव ने इस समय पत्रकारों को समयोचित और सटीक मार्गदर्शन किया. उन्होंने कहा कि, पत्रकारिता समाजमान्यता प्राप्त होनी चाहिए, पत्रकारों को किसी भी समाचार में स्वयं की बजाए समाचार के बारे में अधिकांश जानकारी देनी चाहिए. उसी प्रकार किसी भी व्यक्ति या संस्था पर कोई आरोप संबंधी समाचार प्रकाशित या प्रसारित किया जा रहा है तो उस व्यक्ति और संस्था का भी पक्ष देना आवश्यक है, बल्कि इस बात पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए.
सूचना आयुक्त निमदेव दैनिक तरुण भारत के 20 वर्षों तक संपादक रहे हैं. उसी प्रकार आपका 35 वर्षों तक पत्रकारिता से जुडाव रहा है. उन्होंने आवाहन किया कि, जिस प्रकार रेप प्रकरणों में पीडिता का नामोल्लेख नहीं किया जाता, उसी प्रकार विनयभंग या रेप के मामलो में आरोपी का भी नाम प्रकाशित न करें तो बेहतर होगा. उस व्यक्ति ने कोई घोर कृत्य कर दिया, किंतु इसमें उसके रिश्तेदारों या मित्र परिवार का कोई दोष नहीं होता. आरोपी व्यक्ति का नाम प्रकाशित होने से परिजनों और मित्रजनों को भी नाहक लोगों का कोपभाजन बनना पडता है. कठिन परिस्थितियों से गुजरना पडता है. इसलिए उनकी विनती रहेगी कि, ऐसे मामलो में आरोपियों का भी नाम उजागर न हो.
निमदेव ने कहा कि, देवर्षि नारद को प्रथम संदेश वाहक अर्थात पत्रकार कह सकते हैं. उन्हीं के सम्मान में गत 25 वर्षों से विश्व संवाद केंद्र यह पुरस्कार समाज के सक्रिय पत्रकारों को देता आया है. आज भी जिन पत्रकारों को सम्मानित किया गया है, उनका चयन सच्चाई, संवेदनशीलता और सामाजिक जिम्मेदारी, सरोकार के कसौटी पर कसी गई है. उपरांत चयन हुआ है.
प्राचार्य विजय राऊत ने कहा कि, समाज पर बेहतर पकड रखनेवाले बेहतर पत्रकार और मार्गदर्शक हो सकते हैं. आज के दौर को देखते हुए लगता है कि, पत्रकारों की जिम्मेदारी बढ गई है. इसलिए पत्रकारों को काफी सोच-विचार कर और अध्ययनशील होकर अपनी कलम का उपयोग करना चाहिए. राऊत ने अपने एनिमेशन कॉलेज के अमरावती चैप्टर प्रारंभ करते समय लोकल मीडिया द्वारा दिए गए साथ-सहयोग का विशेष रुप से उल्लेख किया. उसी प्रकार वृद्धाश्रम के जरिए समाजसेवा की जानकारी आपने दी. उन्होंने बताया कि, उनकी पत्नी इस समाजसेवा में रच-बस गई है.
समारोह को पुरस्कार विजेता अशोकभाई जोशी, चेतन पसारी और निशिकांत राजबिंडे ने भी संबोधित किया. अशोकभाई जोशी ने करीब 25 वर्ष पुराना वाकया सुनाकर सभागार को भावविभोर कर दिया. वहीं दिव्यांग होेेने के बावजूद 35 वर्षो से धामणगांव में हिन्दी पत्रकारिता का परचम सफलता से लहरा रहे चेतन पसारी ने कहा कि उन्हें पत्रकारिता से उर्जा प्राप्त होती है. समाज के अच्छे विषयों को प्रकाशित करना वे अपना दायित्व समझते हैं. निशिकांत राजबिंडे ने कहा कि पक्षियों को नायलॉन मांजे से आहत होते देख वे बडे द्रवित हुए और उन्होंने देखा कि दुपहिया सवारों की भी गर्दन नायलॉन मांजे से कट रही है, लोगों की जान पर बन आयी है तो उन्होंने अभियान चलाकर पुलिस प्रशासन को एक्शन के लिए विवश किया. राजबिंडे ने कहा कि पुरस्कार मिलने से निश्चित ही अब जिम्मेदारी बढ गई है.
समारोह में सांसद डॉ. अनिल बोंडे भी उपस्थित रहे. संचालन सारंग बोंडे ने किया. आभार प्रदर्शन राहुल गुल्हाने ने किया. इस समय सर्वश्री गिरीश शेरेकर, संजय पाखोडे, लक्ष्मीकांत खंडेलवाल, राजेश आंखेगांवकर, सुनील धर्माले, राहुल वाठोडकर, दिनेश सिंह, मोहन जाजोदिया, एड. डॉ. चंद्रकांत शिंदे, चेतन वाटनकर, अर्चना देेवडिया, प्राची पालकर और अन्य की उपस्थिति रही. पसायदान के साथ समारोह का समापन हुआ.
* दिव्यांग पसारी का सम्मान खास
दैनिक पुण्य नगरी के धामणगांव प्रतिनिधि और शारीरिक रूप से दिव्यांग चेतन पसारी को देहाती क्षेत्र से सक्रिय पत्रकार के रूप में सम्मानित किया गया. उन्हें व्हीलचेयर से स्टेज पर लाया गया. दोनों वक्ताओं गजानन निमदेव और प्राचार्य राउत ने पसारी की जीजीविषा और जीवट की प्रशंसा की.
* किस काम की एनईपी ?
प्राचार्य विजय राउत ने देश की नई शिक्षा नीति एनईपी को ताना मारा. उन्होंने कहा कि अन इमेजिंग सिखाया जाना चाहिए. जबकि हम आज भी वहीं कुछ अपने महाविद्यालयों में पढा रहे हैं जो यूरोप में 100-200 वर्ष पहले पढाया गया. राउत ने यह भी कहा कि इतिहास और समाज की बातें कक्षा 12 वीं के बाद पढाने की क्या तुक हैं ?

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