मेलघाट के बहुल क्षेत्र में जीर्ण इमारत में बैठकर शिक्षा लेने मजबूर छात्र
जिप, पंस और ग्रापं प्रशासन को ध्यान देने की मांग

धारणी /दि. 12 -मेलघाट के बहुल क्षेत्र में अभी भी शासकीय शालाओं की अवस्था काफी जीर्ण है. लाखों रुपए की योजना आने के बावजूद यहां ठीक तरिके से काम नहीं हो पाते है. इस कारण मजबूरन विद्यार्थियों को जीर्ण इमारतों में बैठकर शिक्षा लेना पडता है. ऐसे में कोई अनहोनी होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. इस कारण जिला परिषद, पंचायत समिति और ग्रामपंचायत प्रशासन को इस ओर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है.
मेलघाट जैसे अतिदुर्गम आदिवासी क्षेत्र में अनेक योजनाएं चलायी जाती है. उसके लिए लाखोें का फंड भी शासन द्बारा दिया जाता है. फिर भी मेलघाट में बसे अनेक गांवो के नन्हें-मुन्हें बच्चों का भविष्य जो आगे चलकर भारत देश का भविष्य बनने के लिए तैयार हो रहे है, ऐसे मासुम बच्चों के जिंदगी से खिलवाड कर लाखों रुपए की निधी का दुरूपयोग होता नजर आ रहा है. एक ओर सरकार द्बारा बेटी पढाओ बेटी बचाओ का नारा पूरे देश में दिया जा रहा है, लेकिन मेलघाट जैसे गांवो में अंगणवाडी और शासकीय प्रायमरी स्कूल में पढनेवाले बच्चों के साथ दुर्दशा होती दिखाई दे रही है.
स्कूल और अंगणवाडी प्रबंधक और दुरूस्ती के लिए जिप अमरावती, पंचायत समिति और ग्रामपंचायतों को ध्यान देने की जरूरत है. किंतु अनेक मेलघाट के ग्राम पंचायत जो निधि अंगणवाडी, स्कूल और जलापूर्ति योजना के लिए पेसा कानून अंतर्गत आती है और उसे वहीं पर खर्च करना होता है, वह निधि वहां खर्च न करते हुये नाली, सडक और अन्य योजनाआेंं में खर्च कर दी जाती है. लेकिन बच्चों के भविष्य की तरफ नहीं देखा जाता. स्कूल, अंगणवाडी की छत टपकती है और पानी भर जाता है. अनेक जगह पर बारीश की वजह से स्लैब के हिस्से गिर रहे है. उसके बारे में अनेकों बार अंगणवाडी सेविका ओर शिक्षकों ने ग्राम विकास अधिकारी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, पं.स. से शिकायत की है. लेेकिन फिर भी इस ओर कोई ध्यान देने को तैयार नहीं है. साथ ही ग्राम विकास अधिकारी, ग्रामपंचायत सचिव और गांव के सरपंच भी सुनने को तैयार नहीं है. ऐसे में टपकती हुई छत और जीर्ण हुई स्कूल और अंगणवाडी केंद्र में अपने बच्चों को भेजने के लिए माता-पिता कतरा रहे है. यदि कोई दुघर्टना अथवा अनहोनी हुई तो इसका जिम्मेदार कौन रहेगा?, ऐसा सवाल करते हुए अभिभावकोंं ने मेलघाट के बहुल क्षेत्र की जीर्ण हुई शालाओं को तत्काल दुरूस्त करने की मांग की है.





