कोक्लियर इम्प्लांट के बाद ‘स्वीच ऑन’
साढे चार साल के बच्चे ने पहली बार सुनी आवाज

* सुपर स्पेशालिटी में पहली बार कॉक्लियर इम्प्लांट शल्यक्रिया सफल
अमरावती/दि.19 – पहली बार, अमरावती के विभागीय संदर्भ सेवा अस्पताल (सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल) में साढे चार साल के एक बच्चे पर कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी सफलतापूर्वक की गई, जो जन्म से गूंगा और बहरा था, और बच्चे ने उसके बाद हुए ‘स्वीच ऑन’ (साउंड प्रोसेसर एक्टिवेशन) प्रोसेस से पहली बार आवाज सुनी, जो वहां मौजूद सभी लोगों के लिए बहुत खुशी का पल था.
इस सर्जरी का ‘स्वीच ऑन’ प्रोसेस साउंड प्रोसेसर एक्टिवेशन था. इस समय बच्चे ने जो पॉजिटिव रिस्पॉन्स दिया, वह दिल को छू लेने वाला था. इस ऐतिहासिक पल पर, विधायक संजय खोडके एवं विधायक सुलभा खोडके के साथ-साथ सुप्रसिद्ध कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जन तथा इंदिरा गांधी शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय नागपुर के ईएनटी विभाग प्रमुख डॉ. जीवन वेदी, ऑडियोलॉजिस्ट लक्ष्मण मोरे आदि मान्यवर उपस्थित थे.
सुपर स्पेशलिटी में उक्त बालक का 26 सितंबर को क्चॉक्लियर इम्प्लांट अत्याधुनिक ऑपरेशन किया गया था. सरकारी अस्पताल में इस प्रकार का यह पहला ऑपरेशन था. सुपर के मेडिकल अधीक्षक डॉ. अमोल नरोटे और विशेष कार्य अधिकारी डॉ. मंगेश मेंढे के विशेष प्रयत्न से जिला नियोजन समिति से ऑपरेशन के लिए निधि उपलब्ध कराई गई. इसके लिए औषधि विभाग प्रमुख योगेश वाड़ेकर ने तत्काल आवश्यक कॉक्लियर इम्पलांट ऑपरेशन में लगने वाले इलेक्ट्रॉनिक मशीन मंगवाई. ऑपरेशन नागपुर के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग प्रमुख डॉ. जीवन वेदी ने किया.
घाव ठीक होने के लिए तीन सप्ताह तक बालक की देखरेख की गई. शनिवार को डिवाइस के ऍक्टिवेशन यानी स्पीच प्रोसेसर लगाया गया. इसके बाद पहली बार बालक ने आवाज सुनी.शहर में इस ऑपरेशन की काफी चर्चा चल रही है. कहा जा रहा है कि इस तरह धनतेरस के दिन किसी परिवार में इस तरह से खुशियां नसीब हुई है. इस शल्यक्रिया के लिए अस्पताल प्रशासन और सभी कर्मचारी वर्ग का विधायक खोडके दंपत्ति ने विशेष सराहना की. इस अवसर पर डॉ. माधव ढोपरे, डॉ. विक्रांत कुलमेथे, डॉ. उज्वला मोहोड, डॉ. जयश्री पुसदेकर, डॉ. निघोट, शितल बोंडे, ऋषिकेश धस, विजय गाढे, श्रीकांत इखे, मला सुरपाम, चव्हाण, वासनिक, दीपाली देशमुख, हेमंत बनसोड, सुरत चोरपगार, कविता देशमुख, अस्मिता दिघडे आदि अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे. गरीब व जरूरतमंद मरीजों के लिए सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल की ओर से आधुनिक व महंगी उपचार सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध कराई जा रही है. यह बेहद समाधानधारक बात है.
दो वर्ष तक की स्पीच थेरेपी
बालक को स्पीच प्रोसेस लगाया गया. अब उसे सुनाई देने लगा है. इस कारण बालक नए शब्द सुन सकेगा. साथ ही उत्तर देने के लिए स्पीच थेरपी और श्रवण पुनर्वसन जरूरी होता है. सप्ताह में तीन से चार दिन प्रशिक्षण दिया जाएगा. डेढ़ से दो वर्ष में बालक बोलने लगेगा.





