‘डॉक्टर व मरीजों के रिश्ते’ विषय पर परिसंवाद व खुला चर्चासत्र
विदर्भस्तरीय मेडिको लीगल परिषद आईएमए व पीडीएमएमसी का संयुक्त उपक्रम

अमरावती /दि.28 – व्यावसायिक दृष्टीकोन से कोई भी सेवा आमदनी का जरिया बनने लगती है. फिर भी इसमें कुछ बातों का ध्यान रखा जाये तो हम रिश्तों में सुधार ला सकते है. मरीज व डॉक्टर तथा परिजनों के साथ आपसी समन्वय बनाने के लिए सर्वप्रथम दोनों में पादर्शिता होनी चाहिए. जिससे अपने आप ईमानदारी का भाव झलकता है. साथ ही समय- समय पर मरीज को दिये जानेवाले उपचार की जानकारी को दिए जानेवाले उपचार की जानकारी देने के लिए दोनों के बीच होने वाला सुसंवाद ही डॉक्टर व मरीज के बीच जो रिश्ता कायम करता है, वह आजीवन बनाए रखने में सहयोग मिलता है. ऐसा सुझाव चर्चासत्र में उपस्थित मान्यवरों ने दिया.
स्थानीय गर्ल्स हाइस्कूल मार्ग पर स्थित आईएमए हॉल में रविवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन व डॉ. पंजाबराव देशमुख मेडिकल मेमोरियल कॉलेज व अस्पताल के सहयोग से ‘डॉक्टर व मरिजों के रिश्ते’ विषय पर दो दिवसीय परिसंवाद व खुले चर्चासत्र का अयोजन किया गया. इस अवसर पर मान्यवर अपनी राय रखते हुए बोल रहे थे.
कार्यक्रम में पुलिस उपायुक्त गणेश शिंदे, वरिष्ठ स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. शोभा शिंदे, वरिष्ठ स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. शोभा पोटोडे, लॉ कॉलेज प्रचार्य एड. वर्षा देशमुख, हिंदुस्थान के संपादक विलास मराठे, पेट की बीमारी विशेषज्ञ डॉ अमित कविमंडन आदि प्रमुखता से उपस्थित थे. इस अवसर पर उपस्थित सभी मान्यवरों ने अपनी राय रखते हुए कहा कि, वैद्यकिय सुविधा को सेवा कहा गया है. लेकिन कुछ लोगों ने इसे भी व्यावसायिक दृष्टिकोन से देखना शुरू कर दिया है. मरीज जरूरत के कारण डॉक्टरों के पास आते है. लेकिन जिस प्रकार का बर्ताव उनके साथ होता है, उसके कारण भी रिश्तों पर असर पडने लगता है. दूसरी ओर सोशल मीडिया का ऐसी बातों पर काफी असर पडने लगा है. जहां पहले सोशल मीडिया को इतना महत्व नहीं दिया जाता, आज वहीं हमारी जरूरत और लोगों में अच्छा या बुरा परोसने का जरिया बन चुका है. इन सभी बातों के बीच हमने अपने कर्तव्य को नहीं भूलना चाहिए. डॉक्टर के लिए मरीज वैद्यकिय सेवा प्राप्त करनेवाली व्यक्ति है. जिसका समाधान करना डॉक्टरों का कर्तव्य है. सभी को बीमारीमुक्त करना डॉक्टरों की जिम्मेदारी है. जिसमें पारदर्शिता होनी चाहिए. जिससे उपचार करने में आसानी हो. जब किसी मरीज की मौत होती है तो उसके परिजन एक मानसिक अवस्था से गुजर रहे होते है, जिसे संभालना हमारी जिम्मेदारी है. कुल मिलाकर डॉक्टरों ने भी एसओपी का पालन कर प्रिकॉशन लिया तो संवाद के साथ सभी मामलों का हल निकालना असान होता है. अन्यथा कानूनी रूप से डॉक्टर तथा मरीज व उनके परिजनों को कार्रवाई का सामना करना पडता है.
एक नागरिक ने कहा कि, वर्तमान में किसी भी क्षेत्र में आई ईमानदारी की कमी से ही मारपीट, अत्याचार की घटनाओं में बढोत्तरी का कारण बनती जा रही है. ईमानदारी व संवाद से ही हम डॉक्टरों के साथ मारपीट, मरीज व उनके परिजनों द्बारा अस्पताल में तोडफोड, डॉक्टर- मरिजों में झगडा, अस्पताल प्रशासन से विवाद, कर्मचारियों पर हमला ऐसी घटनाओं पर रोक लगा सकते हैं. साथ ही मरीज व डॉक्टरों के रिश्तों में सुधार ला सकते हैं, यह बाते उन्होंने कही.
कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्वलन तथा मान्यवरों के स्वागत से की गई. अंत में उपस्थित सभी मान्यवरों का शॉल व स्मृतिचिन्ह देकर सत्कार किया गया. कार्यक्रम का संचालन महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. जयंत पांढरीकर एवं आभार आईएमए की सचिव डॉ राधा सावदेकर ने माना. कार्यक्रम में डॉ. सतीश तिवारी, डॉ. सीमा आडवानी, डॉ. नितिन जयसवाल, बंड्या साने, नंदकिशोर राठी के साथ रोटरी क्लब ऑफ अमरावती अंबानगरी के सदस्य भी बडी संख्या में उपस्थित थे.





