शिक्षकों के अधिकार के पैसे अटके, कर्ज निकालकर खर्च की नौबत
बीडीएस प्रणाली का प्रभाव, बीमारी, बच्चों की शिक्षा संबंधी समस्याएं

* आर्थिक समस्याओं का करना पड रहा सामना
अमरावती /दि.12 – राज्य में शिक्षकों के लिए रही बीडीएस प्रणाली बार-बार बंद हो रही है. इसके कारण शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के भविष्य निधि का पैसा फंस गया है. घर बनाने, बीमारी के दौरान बच्चों की पढ़ाई के लिए कहां से पैसों की सुविधा करना यह सवाल खड़ा हो गया है. अन्य समय भी यह प्रणाली धीमी शुरु रहने से पैसे मिलने में देरी होती है. गुरुजी का पैसा अटका हुआ है और कर्ज लेकर खर्च करने की नौबत आ गई है. शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के वेतन से हर महीने पैसे काटकर बीडीएस योजना में निवेश किए जाते है. मुश्किल समय में मिले पैसे से कई लोग अपनी जरूरतें पूरी करते हैं. हालांकि, तकनीकी खामियों के कारण बीडीएस प्रणाली को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
* बीडीएस प्रणाली क्या है?
शिक्षको की उनके वेतन से जमा राशि को नियमित रूप से काटकर बीडीएस योजना में निवेश किया जाता है. इस प्रणाली के माध्यम से शिक्षकों को शैक्षणिक संस्थानों और सहकारी बैंकों के माध्यम से पुनर्भुगतान योग्य और गैर-पुनर्भुगतान योग्य आधार पर धनराशि प्राप्त होती है.
* कर्ज से पैसे निकालने की नौबत
बीडीएस प्रणाली बंद होने से शिक्षकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है और जरूरत पड़ने पर उन्हें अपना पैसा जुटाने के लिए ब्याज पर कर्ज लेना पड़ रहा है.
* बेटे-बेटियों की शादी पर भी नहीं मिल रहा पैसा
शिक्षक के बेटे की शादी हुई. शादी के लिए भारी खर्च हुआ. लेकिन उसे जमा राशि नहीं मिली. साथ ही बच्चों की पढ़ाई और घर बनवाने के लिए भी पैसे नहीं मिले.
* सिस्टम में तकनीकी खराबी
बीडीएस व्यवस्था में रुकावट क्यों आई, इस बारे में प्रशासन ने कोई ठोस जानकारी नहीं दी है. क्या व्यवस्था में कोई तकनीकी खराबी है या फिर फंड की कमी के कारण व्यवस्था ठप हो गई है? इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. शिक्षक पूछ रहे हैं कि बीडीएस व्यवस्था कब शुरू होगी.
* आवेदन कैसे करें?
बीमारी, मकान निर्माण, विवाह, बच्चों की शिक्षा आदि प्रमुख कारणों के लिए बीडीएस प्रणाली के माध्यम से भविष्य निधि से पैसा निकाला जा सकता है. इसके लिए ऑफलाइन आवेदन करना होता है.
* इस अन्याय को दूर करें
बीडीएस प्रणाली के कारण समय पर पैसे मिलते थे. अब समय पर पैसे न मिलने से काफी अन्याय हो रहा है, उसे दूर करना चाहिए.
– राजेश सावरकर,
राज्य प्रतिनिधि, प्राथमिक शिक्षक समिति.





