हमारी तरफ से युती नहीं टूटी, दरवाजे अब भी है खुले

विधायक संजय कुटे की अमरावती मंडल से खास बातचीत

* कुटे ने शिंदे सेना के लिए अब भी 12 सीटो की पेशकश खुली रहने की बात कही
* पिछली बार के पार्षदो में से शिंदेसेना के पास केवल तीन ही पार्षद, हम चारगुना सीटे दे रहे
* पिछली बार तीन सीटे जीतने वाली वाईएसपी के साथ इस बार भाजपा का 9 सीटो पर गठबंधन तय
* विधायक कुटे ने शिंदेसेना की पत्रवार्ता उपरी दबाव में रद्द होने की बात कही
* भाजपा द्वारा वरिष्ठ नेताओं के आदेशानुसार अगला कदम उठाने का भी दिया संकेत
अमरावती /दि.29 – अमरावती मनपा चुनाव को लेकर भाजपा-शिंदेसेना युति टूटने की चर्चाओं के बीच भाजपा विधायक संजय कुटे ने बड़ा राजनीतिक बयान दिया है. अमरावती मंडल से खास बातचीत में कुटे ने स्पष्ट किया कि भाजपा की ओर से युति नहीं तोड़ी गई है और अब भी बातचीत के दरवाज़े खुले हैं. विधायक कुटे ने कहा कि भाजपा ने शिंदेसेना को अब भी 12 सीटों की पेशकश खुली रखी है. उन्होंने सीटों के गणित का हवाला देते हुए कहा कि पिछली मनपा में शिंदेसेना के पास कुल केवल तीन पार्षद थे, इसके बावजूद भाजपा चार गुना सीटें देने को तैयार है. ऐसे में युति टूटने का ठीकरा भाजपा पर फोड़ना गलत है.
विधायक कुटे ने यह भी स्पष्ट किया कि पिछली बार मात्र तीन सीटें जीतने वाली युवा स्वाभिमान पार्टी (वाईएसपी) के साथ इस बार भाजपा का 9 सीटों पर गठबंधन तय हो चुका है. इसे भाजपा की चुनावी व्यावहारिकता और स्थानीय समीकरणों को साधने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. विधायक कुटे ने शिंदेसेना की प्रस्तावित पत्रकार परिषद को लेकर भी बड़ा दावा किया. उन्होंने कहा कि यह पत्रवार्ता ‘ऊपरी दबाव’ के चलते रद्द की गई, जिससे यह संकेत मिलता है कि शिंदेसेना के भीतर भी युति को लेकर एकराय नहीं है. विधायक कुटे ने यह भी साफ किया कि अब आगे का कदम भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के आदेश और मार्गदर्शन के अनुसार उठाया जाएगा. यानी अंतिम फैसला स्थानीय नहीं, बल्कि शीर्ष नेतृत्व के स्तर पर होने के संकेत भी उन्होंने दे दिए.
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक कुटे का यह बयान दोहरे संदेश देता है. एक ओर भाजपा यह दिखाना चाहती है कि उसने युति के लिए उदार रुख अपनाया है, तो दूसरी ओर शिंदेसेना पर यह दबाव भी बनाया जा रहा है कि यदि गठबंधन नहीं हुआ तो जिम्मेदारी उसी की होगी. मनपा चुनाव से ठीक पहले दिए गए इस बयान ने अमरावती की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है. अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि शिंदेसेना अगला कदम क्या उठाती है, बातचीत की मेज पर लौटती है या फिर अलग चुनावी राह चुनती है.

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