जिले में जीत के मुहाने पर पहुंचकर भी हार गई भाजपा

6 नगराध्यक्ष पदों व 150 से अधिक सदस्य पदों पर करना पडा हार का सामना

* धामणगांव रेलवे की एकतरफा जीत के अलावा कहीं कोई उल्लेखनीय जीत नहीं
* कहीं नगराध्यक्ष पद हाथ आया, तो सदन चला गया, कहीं पूरा ही सुपडा साफ
* केंद्र सहित राज्य की सत्ता तथा जिले के एक सांसद व 5 विधायक भी नहीं आए काम
* कांग्रेस व शिवसेना उबाठा ने निकाय चुनाव में भाजपा को दी कडी चुनौती
* शिंदे सेना व अजीत पवार की राकांपा ने भी रही सही कसर कर दी पूरी
* कहीं न कहीं भाजपा के स्थानीय नेता व पदाधिकारी रह गए गफलत व अति आत्मविश्वास के चक्कर में
अमरावती/दि.21 – इस समय केंद्र सहित राज्य में भाजपा की सरकार है. वहीं अमरावती जिले में भाजपा के एक राज्यसभा सांसद व 5 विधायक रहने के साथ ही एक पूर्व सांसद भी है. जिसके चलते उम्मीद जताई जा रही थी कि, नगर परिषद व नगर पंचायत के चुनाव में भाजपा द्वारा बहुत बडा व बेहद शानदार प्रदर्शन किया जाएगा. लेकिन उम्मीद के विपरित भारतीय जनता पार्टी 12 नगराध्यक्ष पदों में से केवल 6 नगराध्यक्ष पदों पर जीत हासिल कर पाई और 6 निकायों में नगराध्यक्ष पद का चुनाव हार गई. वहीं 12 निकायों के 278 सदस्य पदों में से 102 सदस्य पदों पर भाजपा के सदस्य निर्वाचित हुए है और पार्टी को 176 सदस्य पदों पर हार का सामना करना पडा है. वहीं दूसरी ओर अमरावती जिले में भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस, प्रहार, शिवसेना उबाठा, शिंदे गुट वाली शिवसेना ने कडी चुनौती दी है. साथ ही नगराध्यक्ष पद के चुनाव में कांग्रेस ने 2, शिंदे गुट वाली शिवसेना ने 1, शिवसेना उबाठा ने 1, प्रहार जनशक्ति पार्टी ने 1 तथा डॉ. नीलेश विश्वकर्मा के नेतृत्व वाले आपले चांदुर पैनल ने 1 सीट पर जीत हासिल की है. इसके साथ ही कांग्रेस के 78 पार्षद भी निर्वाचित हुए है. वहीं प्रहार जनशक्ति पार्टी के 19, अजीत पवार गुट वाली राकांपा के 18, शिवसेना उबाठा के 12, शिंदे गुट वाली शिवसेना के 10, शरद पवार गुट वाली राकांपा के 10 सदस्य निर्वाचित होने के साथ ही 30 सदस्य पदों पर अन्य दलों के प्रत्याशियों सहित निर्दलीय प्रत्याशी निर्वाचित हुए है.
रोचक स्थिति यह है कि, अंजनगांव सुर्जी नगर परिषद व धारणी नगर पंचायत में भले ही नगराध्यक्ष पद पर भाजपा के प्रत्याशी विजयी हुए है, परंतु सदन में भाजपा सदस्यों की उपस्थिति नगण्य है. ऐसे में पूरी स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि, भाजपा की जीत हकीकत में कोई जीत ही नहीं है. साथ ही इस स्थिति को देखते हुए यह भी कहा जा सकता है कि, केंद्र सहित राज्य में अपनी सत्ता रहने तथा विगत विधानसभा चुनाव में खुद को अच्छी-खासी जीत मिलने के चलते भाजपा के सभी स्थानीय नेता व पदाधिकारी कहीं न कहीं आत्मविश्वास का शिकार हो गए तथा निकाय चुनाव में अपनी जीत को सुनिश्चित मानने की गफलत में भी रह गए. ऐसे में जहां एक ओर आज के नतीजों को देखते हुए अमरावती जिले के भाजपा नेताओं को जबरदस्त झटका लगा है. वहीं दूसरी ओर इन्हीं नतीजों के चलते विपक्षी दलों में जबरदस्त उर्जा स्थापित व संचारित हुई है.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, राज्य में हुए निकाय चुनाव में भाजपा सहित उसके सहयोगी दलों की महायुति को अव्वल नंबर पर कहा जा सकता है. क्योंकि, राज्य के 288 नगराध्यक्ष पदों में से भाजपा ने 117, शिंदे गुट वाली शिवसेना ने 59 व अजीत पवार गुट वाली राकांपा ने 37 नगराध्यक्ष पदों पर जीत हासिल की है. वहीं महाविकास आघाडी में शामिल कांग्रेस ने 32, शिवसेना उबाठा ने 9 एवं शरद पवार गुट वाली राकांपा ने 9 नगराध्यक्ष पदों पर सफलता प्राप्त की है. खास बात यह है कि, इन सभी दलों ने आपस में गठबंधन करने की बजाए निकाय चुनाव में अलग-अलग हिस्सा लिया था और सभी ने एक-दूसरे के खिलाफ स्वतंत्र रुप से चुनाव लडा था. हालांकि चुनावी नतीजों के बाद आपसी गठबंधन करने की राह एवं संभावना को खुला रखा गया था. वहीं दूसरी ओर 25 निकाय क्षेत्रों में नगराध्यक्ष पदों पर स्थानीय आघाडियों द्वारा जीत हासिल की गई है. ऐसे में उपरोक्त आंकडों को देखते हुए राज्यस्तर पर भी भाजपा के लिए स्थिति को काफी हद तक चिंताजनक कहा जा सकता है. भले ही भाजपा ने 288 में से 117 नगराध्यक्ष पदों पर सफलता हासिल की है. वहीं जहां तक अमरावती जिले के 12 निकाय क्षेत्रों का सवाल है, तो 12 में से 6 निकायों में भाजपा ने नगराध्यक्ष पदों पर चुनाव जीता है. वहीं शेष 6 नगराध्यक्ष पदों पर भाजपा को करारी हार का सामना भी करना पडा है. इसके अलावा भाजपा ने 12 निकायों के 278 सदस्य पदों में से 150 से अधिक सदस्य पदों को भी गंवा दिया है. जिन पर उसे हार का सामना करना पडा है और 100 से कुछ ही अधिक सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की है. जिसमें से कई सदस्य पदों पर भाजपा को केवल वोटों के बंटवारे का फायदा मिला और अचलपुर के नगराध्यक्ष पद सहित 12 निकाय क्षेत्रों के कई सदस्य पदों पर भाजपा को जैसे-तैसे बेहद मामूली अंतर से जीत हासिल हुई. ऐसे में कहा जा सकता है कि, भाजपा भले ही 6 नगराध्यक्ष पदों सहित 278 में से 100 से अधिक सदस्य पदों पर चुनाव जीती है. लेकिन इस जीत को वाकई भाजपा की सशक्त जीत नहीं कहा जा सकता.
ध्यान दिलाया जा सकता है कि, आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र में भाजपा के पास विधायक के तौर पर केवलराम काले है और इस क्षेत्र के 2 निकायों में भाजपा प्रत्याशियों के प्रचार हेतु खुद राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मेलघाट क्षेत्र का दौरा करते हुए प्रचार सभा की थी. लेकिन इसके बावजूद जहां एक ओर चिखलदरा में कांग्रेस ने नगराध्यक्ष पद पर जीत हासिल करने के साथ ही चिखलदरा नगर परिषद में पूर्ण बहुमत भी हासिल किया और 20 में से 12 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी नगरसेवक निर्वाचित होकर सदन में पहुंचे. वहीं दूसरी ओर धारणी नगर पंचायत में नगराध्यक्ष पद हेतु भाजपा के प्रत्याशी सुनील चौथमल तो चुनाव जीते. लेकिन 17 सदस्यीय सदन में भाजपा केवल 4 सीटों पर ही चुनाव जीत पाई. वहीं कांग्रेस ने 9 सीटों पर जीत हासिल करते हुए खुद को सदन में सबसे बडी पार्टी साबित किया. जिसके चलते मेलघाट क्षेत्र में चुनावी नतीजों को भाजपा के लिए काफी धक्कादायक कहा जा सकता है.
इधर धामणगांव रेलवे विधानसभा क्षेत्र में शामिल धामणगांव रेलवे नगर परिषद में जहां एक ओर क्षेत्र के भाजपा विधायक प्रताप अडसड ने अपना दबदबा कायम रखते हुए अपनी बहन व नगराध्यक्ष पद हेतु भाजपा प्रत्याशी अर्चना रोठे-अडसड के साथ ही सभी 20 सदस्य पदों पर भाजपा प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करते हुए भाजपा को निर्विवाद तरीके से एकतरफा सत्ता दिलाई. वहीं इसी विधानसभा क्षेत्र के अन्य दो निकायों में भाजपा को अच्छे-खासे झटके व नुकसान का सामना करना पडा है. क्योंकि चांदुर रेलवे नगर परिषद में नगराध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी स्वाती मेटे को हार का सामना करना पडा. जहां पर डॉ. नीलेश विश्वकर्मा के नेतृत्ववाले आपले चांदुर पैनल की प्रत्याशी डॉ. प्रियंका विश्वकर्मा ने नगराध्यक्ष पद का चुनाव जीता. 20 सदस्यीय चांदुर रेलवे नगर परिषद में 11 सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी विजयी हुए है. जबकि कांग्रेस एवं आपले चांदुर पैनल ने 4-4 सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी को सफलता मिली है. जिसके चलते चांदुर रेलवे नगर परिषद के सदन में भाजपा बहुमत वाली स्थिति में है. लेकिन उसके पास नगराध्यक्ष का पद नहीं है. इसके साथ ही इसी विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा रहनेवाली नांदगांव खंडेश्वर नगर पंचायत में भी भाजपा की नगराध्यक्ष पद की प्रत्याशी स्वाती राजेश पाठक को हार का सामना करना पडा. जहां पर शिवसेना उबाठा की प्राप्ति विलास मारोडकर ने नगराध्यक्ष पद का चुनाव जीता. खास बात यह भी रह कि, 17 सदस्यीय नांदगांव खंडेश्वर नगर पंचायत में भाजपा केवल 3 सीटों पर ही चुनाव जीत पाई. जबकि कांग्रेस के 5, शिवसेना उबाठा के 4, शरद पवार गुट वाली राकांपा के 3 तथा अजीत पवार गुट वाली राकांपा व प्रहार पार्टी के 1-1 नगरसेवक निर्वाचित हुए है. जिसके चलते कहा जा सकता है कि, जहां पिछली बार नांदगांव खंडेश्वर नगर पंचायत में भाजपा का नगराध्यक्ष रहने के साथ ही सदन में भाजपा का बहुमत था. वहीं इस बार नांदगांव खंडे. नगर पंचायत में भाजपा का पूरी तरह से सुपडा साफ हो गया है. जिसके चलते कहा जा सकता है कि, क्षेत्र के विधायक प्रताप अडसड ने अपने गृह क्षेत्र में तो अपना किला सशक्त तरीके से बचा लिया. लेकिन किले के आसपास के दो मजबूत बुर्ज भाजपा के हाथ से पूरी तरह फिसल गए.
इसके अलावा अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र में शामिल 2 निकायों में से अचलपुर नगर परिषद में भाजपा ने जैसे-तैसे नगराध्यक्ष पद पर तो जीत हासिल कर ली, जहां पर भाजपा प्रत्याशी रुपाली अजय माथने ने रिकॉर्ड 14 हजार वोटों की लीड के साथ नगराध्यक्ष पद का चुनाव जीता. लेकिन 41 सदस्यीय सदन में भाजपा केवल 9 सीटों पर ही जीत पाई. जबकि अचलपुर नगर परिषद में जहां कांग्रेस ने सर्वाधिक 14 सीटे जीती, वहीं 12 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी विजयी रहे. इसके अलावा 3 सीटों पर प्रहार, 2 सीटों पर राकांपा व 1 सीट पर एमआईएम के प्रत्याशी निर्वाचित हुए. जिसके चलते कहा जा सकता है कि, अचलपुर नगर परिषद में नगराध्यक्ष पद का चुनाव जीतने के बावजूद अचलपुर नगर परिषद के सदन में सदस्य पदों का चुनाव भाजपा हार गई है.
इसके साथ ही इसी विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा रहनेवाली चांदुर बाजार नगर परिषद में भाजपा का लगभग पूरी तरह से सुपडा साफ हो गया है. जहां पर ऐन समय पर टिकट नकारे जाने के चलते भाजपा छोडकर प्रहार जनशक्ति पार्टी में शामिल हुई मनिषा नांगलिया ने प्रहार प्रत्याशी के तौर पर नगराध्यक्ष पद के चुनाव में जीत हासिल की और भाजपा प्रत्याशी कांता अहीर को हार का सामना करना पडा. वहीं दूसरी ओर 20 सदस्यीय सदन में 12 सीटें जीतते हुए प्रहार जनशक्ति पार्टी ने स्पष्ट बहुमत भी हासिल किया. चांदुर बाजार नगर परिषद में भाजपा केवल 3 सीटों पर ही चुनाव जीत पाई है. वहीं कांग्रेस सहित राकांपा के दोनों धडो ने 1-1 सीट तथा निर्दलीय प्रत्याशियों ने 2 सीट पर जीत हासिल की. चांदुर बाजार नगर परिषद के चुनावी नतीजों को देखते हुए कहा जा सकता है कि, इस क्षेत्र पर प्रहार जनशक्ति पार्टी के मुखिया व पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने एक बार फिर अपनी मजबूत पकड साबित की है.
इसके अलावा दर्यापुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा रहनेवाली दर्यापुर नगर परिषद में भी भाजपा को जबरदस्त नुकसान और झटके का सामना करना पडा है. जहां पर अकोट निर्वाचन क्षेत्र के भाजपा विधायक एवं दर्यापुर क्षेत्र के पूर्व विधायक प्रकाश भारसाकले की पत्नी नलिनी भारसाकले को भाजपा ने नगराध्यक्ष पद हेतु अपना प्रत्याशी बनाया था. जिन्हें क्षेत्र के सहकार नेता सुधाकर भारसाकले की पत्नी एवं कांग्रेस प्रत्याशी मंदाकिनी भारसाकले के हाथो हार का सामना करना पडा. वहीं 25 सदस्यीय दर्यापुर नगर परिषद में जहां कांग्रेस ने 17 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए स्पष्ट बहुमत हासिल किया, वहीं भाजपा केवल 4 सीटों पर ही सफलता प्राप्त कर सकी. जिसके चलते कहा जा सकता है कि, दर्यापुर नगर परिषद में भी भाजपा का पूरी तरह से सुपडा साफ हो गया है.
वहीं दर्यापुर विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा रहनेवाली अंजनगांव सुर्जी नगर परिषद में महज 124 वोटों की लीड के साथ भाजपा प्रत्याशी अविनाश गायगोले ने जैसे-तैसे जीत तो हासिल की. लेकिन 28 सदस्यीय अंजनगांव सुर्जी नगर परिषद में भाजपा केवल 6 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई. जबकि कांग्रेस 9 सीटों के साथ पहले व शिवसेना उबाठा 7 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही. इसके अलावा शिंदे गुट वाली शिवसेना ने 3, समाजवादी पार्टी ने 2 सीटों पर जीत हासिल की और 1 सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी विजयी रहा. जिसके चलते अंजनगांव में ‘हंग असेंबली’ वाली स्थिति कही जा सकती है.
इन सबके अलावा मोर्शी-वरुड निर्वाचन क्षेत्र में शामिल 3 निकायों में से वरुड एवं शें. घाट नगर परिषद में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया. लेकिन मोर्शी नगर परिषद में पार्टी का प्रदर्शन फिसड्डी रहा. वरुड नगर परिषद में नगराध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी ईश्वर सलामे विजयी रहे. साथ ही 26 सदस्यीय वरुड नगर परिषद में 18 सीटे जीतकर भाजपा ने स्पष्ट बहुमत भी हासिल किया. जबकि अजीत पवार गुट वाली राकांपा को 4, कांग्रेस को 2, प्रहार को 1 व अपक्ष को 1 सीट मिली. वहीं शेंदूरजना घाट नगर परिषद में भाजपा प्रत्याशी सुवर्णा वरखडे विजयी रहने के साथ ही 20 सदस्यीय सदन में भाजपा ने 11 सीटें जीतते हुए स्पष्ट बहुमत हासिल किया और शेष 9 सीटों में से 6 सीट पर अजीत पवार गुट वाली राकांपा, 2 सीट पर शिवसेना शिंदे गुट तथा एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी की जीत हुई. जिसके चलते वरुड तहसील के दोनों निकायों पर क्षेत्र के विधायक उमेश उर्फ चंदू यावलकर का दबदबा दिखाई दिया. लेकिन इसी विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा रहनेवाले मोर्शी नगर परिषद में नगराध्यक्ष पद का चुनाव भाजपा हार गई. जहां पर शिंदे गुट वाली शिवसेना की प्रत्याशी प्रतीक्षा गुल्हाने की जीत हुई है. साथ ही 24 सदस्यीय मोर्शी नगर परिषद में ‘हंग असेंबली’ वाली स्थिति है. जहां पर भाजपा ने 6, कांग्रेस ने 5, शरद पवार गुट वाली राकांपा ने 6, अजीत पवार गुट वाली राकांपा ने 2, शिंदे सेना ने 2, प्रहार ने 1 व निर्दलियों ने 2 सीटों पर जीत हासिल की है.
ऐसे में अमरावती जिले के निकाय चुनाव के नतीजों को देखते हुए साफ तौर से दिखाई देता है कि, जहां एक ओर कांग्रेस अपनी पूरी सुझ-बूझ के साथ आगे बढी और उसने कई निकाय क्षेत्रों की सत्ता से भाजपा को बेदखल करने में सफलता हासिल करते हुए अपने लिए भी जीत हासिल की. वहीं दूसरी ओर केंद्र सहित राज्य की सत्ता में शामिल रहनेवाली भाजपा के स्थानीय नेताओं के सिर पर कुछ हद तक सत्ता भूत सवार था और वे अति आत्मविश्वास व गफलत का शिकार रहे.

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