‘उस’ महिला के शव का 7 दिन बाद हुआ अंतिम संस्कार

कलेक्ट्रेट पर चल रहे आंदोलन के दौरान हुई थी मौत

* मांगे पूरी होने तक परिजनों ने अंतिम संस्कार करने से किया था इंकार
* आखिरकार 7 दिन बाद बेटी और परिजन हुए अंतिम संस्कार हेतु राजी
अमरावती/दि.19 – अनुकंपा तत्व पर मनपा में नौकरी तथा खुद को अपने घर का ताबा मिलने की मांग को लेकर विगत अप्रैल माह से जिलाधीश कार्यालय के समक्ष धरना आंदोलन कर रही शांताबाई अठोर नामक 75 वर्षीय महिला की विगत सोमवार को आंदोलन के दौरान मौत हो गई थी. जिसके बाद से उसका शव जिला शवागार में सुरक्षित रखा हुआ था. क्योंकि शांताबाई अठोर की बेटी विजया अठोर सहित अन्य परिजनों ने मांगे पूरी होने तक और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होने तक शव का अंतिम संस्कार नहीं करने की भूमिका अपना ली थी. जिसके चलते प्रशासन ने उन्हें समझाने-बुझाने का प्रयास करना शुरु किया था. जिसमें अब कहीं जाकर सफलता मिली है और विजया अठोर सहित उसके परिजन शांताबाई अठोर के शव का अंतिम संस्कार करने हेतु राजी हुए. जिसके चलते आज शांताबाई अठोर के शव को जिला शवागार की शीतपेटी से निकालकर अठोर परिवार के सुपूर्द किया गया. पश्चात शव को अठोर परिवार के फ्रेजरपुरा परिसर स्थित निवासस्थान पर ले जाकर अंतिम यात्रा निकाली गई और फिर शव पर अंतिम संस्कार किए गए. जिसके चलते विगत एक सप्ताह से अधर में लटके इस मामले का आखिरकार पटापेक्ष हो गया.
बता दें कि, शांताबाई अठोर नामक 75 वर्षीय महिला ने यह आरोप लगाते हुए विगत अप्रैल माह से जिलाधीश कार्यालय के समक्ष आंदोलन व अनशन करना शुरु किया था कि, उसके पति की मनपा की सेवा में रहने के दौरान मौत हुई थी, जिसके बाद उसे अनुकंपा तत्व पर नौकरी मिलना अपेक्षित था. परंतु मनपा के कुछ अधिकारियों ने आपस में मिलिभगत करते हुए उसके हिस्से की नौकरी किसी और को दे दी. साथ ही फर्जी दस्तावेजों के जरिए उसके घर को हडपते हुए उसे बेघर भी कर दिया गया. ऐसे में उसे न्याय मिलना चाहिए, इन्हीं मांगों को लेकर 28 अप्रैल से जिलाधीश कार्यालय के समक्ष धरना आंदोलन कर रही शांताबाई अठोर की विगत सोमवार को आंदोलन के दौरान ही मौत हो गई थी. जिसके बाद शांताबाई की बेटी विजया ने अपनी मां के शव को आंदोलन पंडाल में ही रखकर धरना प्रदर्शन करना शुरु किया था. जिसके बारे में पता चलते ही पुलिस ने उस शव को अपने कब्जे में लेते हुए उसे पोस्टमार्टम हेतु जिला शवागार भिजवाया. जहां पर उक्त शव का पोस्टमार्टम करने के बाद उसे शितपेटी में सुरक्षित रख दिया गया और मृतका के परिजनों को अंतिम संस्कार हेतु शव ले जाने हेतु कहा गया. परंतु मृतका की बेटी व परिजनों ने अपनी मांगे पूर्ण होने तक शव को स्वीकार करने और उसका अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया. जिसके चलते शांताबाई अठोर की मौत हुए करीब 6-7 दिनों का समय बीत जाने के बावजूद उनके शव का अंतिम संस्कार नहीं हो पाया था और शांताबाई अठोर का शव जिला शवागार में शीतपेटी के भीतर सुरक्षित रखा हुआ था. इस दौरान प्रशासन द्वारा शांताबाई की बेटी विजया अठोर से लगातार संपर्क रखते हुए उसे उसकी मां के शव का अंतिम संस्कार करने हेतु समझाया-बुझाया जा रहा था और प्रशासन की ओर से सतत किए जा रहे प्रयासों को आज उस समय सफलता मिली, जब विजया अठोर ने अपनी मां के शव का अंतिम संस्कार करने पर रजामंदी दिखाई. जिसके बाद पुलिस बंदोबस्त के बीच शांताबाई अठोर के शव को जिला शवागार की शीतपेटी से निकालकर अठोर परिवार के सुपूर्द किया गया और फिर अठोर परिवार के सदस्यों ने शव को फ्रेजरपुरा परिसर स्थित अपने निवास पर ले जाकर शांताबाई की अंतिम यात्रा निकाली और शव पर अंतिम संस्कार भी किए. जिसके बाद एक सप्ताह से लगातार इस मामले की वजह से पेंच में फसे प्रशासन ने राहत की सांस ली.

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