शहर का पानी बंद नहीं होगा !
मजीप्रा ने कर दिया ठेकेदारों का कुछ भुगतान

* एक वर्ष से पेंडिंग था बिल
अमरावती/ दि. 17- अमरावती बडनेरा शहर की 8 लाख की आबादी को 17 अक्तूबर से ऐन दिवाली के समय पेय जल से वंचित रहने की नौबत टल गई है. महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण ने हडताल की चेतावनी देनेवाले जलापूर्ति के रखरखाव के ठेकेदारों से तीन घंटे की लंबी चर्चा कर उनके द्बारा प्रस्तुत बिलों का कुछ मात्रा में भुगतान कर देने राजी होने का समाचार है. जिससे हडताल की घोषणा करनेवाले ठेकेदारों ने अपना आंदोलन महीने में दूसरी बार स्थगित कर दिया है. बता दें कि ठेकेदारों का आरोप था कि उनका बिल गत एक वर्ष से प्रलंबित है. बिल भुगतान के लिए प्राधिकरण अधिकारियों से गत दो माह से पत्राचार करने के बाद भी भुगतान नहीं हो सका. इसलिए दिवाली के सामने उन्हें हडताल करने की नौबत आयी थी.
अधिकारी और अभियंता से चर्चा में ठेकेदारों की तरफ से धनंजय बंड, मंगेश बडनखे, नितिन काले, अनिल भटकर और अन्य का समावेश है. मुंबई के अधिकारियों से वीडियो कॉल पर चर्चा होने की जानकारी सूत्रों ने अमरावती मंडल को दी. उन्होंने बताया कि ठेकेदारों ने आज शाम 6 बजे तक अल्टीमेटम दिया है.
दर्यापुर, चिखलदरा भी प्रभावित
मजीप्रा में आंदोलन के कारण अमरावती बडनेरा शहर के साथ ही दर्यापुर, चिखलदरा, अंजनगांव सहित 340 गांवों में जलापूर्ति का काम प्रभावित हो सकता था. लगभग 15 लाख की आबादी पर पेयजल संकट आ सकता था. जल संकट बढने पर कानून व्यवस्था की समस्या की आशंका जताई जा रही थी. उधर मजीप्रा अधिकारियों से इस विषय में उनकी भूमिका जानने का प्रयत्न किया गया तो उन्होंने बताया कि ठेकेदारों के प्रतिनिधि और उच्चाधिकारियों के बीच चर्चा हुई. चर्चा लंबी चली. जिसमें भुगतान को लेकर बडा निर्णय हो गया है. अधिकारियों ने दावा किया कि आज शाम से होनेवाली हडताल स्थगित हो सकती है.
शहरवासियों पर करोडों बकाया
मजीप्रा के पास मानव संसाधन कम होने से वह अपनी जलापूर्ति की सेवाओं के लिए आउट सोर्सिंग करते हैं. जिसमें लगभग 25 ठेकेदारों के 160 कर्मचारी कार्यरत हैं. इन कर्मचारियों द्बारा दैनंदिन रूप से वॉल शुरू और बंद करने के कार्य के अलावा अन्य जिम्मेदारियां वहन की जाती है. जिसका लगभग 18 करोड का बकाया मजीप्रा पर हो गया था. वह सभी इसीलिए ऐन दिवाली के मुहाने पर परेशान हो गये थे. जबकि मजीप्रा का दावा है कि शहरवासियों सहित अनेक प्रमुख संस्थाओं, कार्यालयों पर मजीप्रा के पानी के बिल पेटे करीब 450 करोड रूपए बकाया है. यह भी बताया गया कि मजीप्रा का प्रतिवर्ष जलापूर्ति का खर्च 36 करोड है. किंतु हर बार वसूली कम हो पाती है. मजीप्रा ने वसूली का काम दुरूस्त करने आउट सोर्सिंग का प्रयत्न किया. जिससे बमुश्किल 32 करोड की वसूली हो सकी.





