चुनाव घोषित लेकिन महापौर पद का आरक्षण क्योंं नहीं निकाला

किस प्रवर्ग का महापौर रहेगा इस बाबत नागरिकों में उत्सुकता

अमरावती/दि.18- मनपा चुनाव घोषित होने के बाद राजनीतिक गतिविधियां तेज जो गई हैं. फिर भी चुनाव का केंद्रबिंदू रहे महापौर पद का आरक्षण ही अब तक न निकाले जाने से इस बार किस प्रवर्ग का महापौर रहेगा इस बाबत उत्सुकता निर्माण हो गई हैं.
मनपा चुनाव का बिगूल बज गया है. आगामी वर्ष 15 जनवरी को मतदान होनेवाला है. राज्य चुनाव आयोग ने प्रभाग रचना तथा महिलाओं का 50 प्रतिशत और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछडा वर्ग का आरक्षण घोषित किया गया है. लेकिन शहर की राजनीति के सबसे महत्व के रहे महापौर पद का आरक्षण अब तक घोषित न होने से किस प्रवर्ग का महापौर रहेगा इस बाबत काफी उत्सुकता है. मनपा चुनाव यानी केवल नगरसेवकों का चयन नहीं बल्कि शहर के कामकाज की दिशा ठहरानेवाले महापौर पद के लिए लडाई रहती है, ऐसा रहते हुए भी इस बार महापौर पद किस प्रवर्ग के लिए आरक्षित रहेगा यह चुनाव घोषित होने के बावजूद स्पष्ट नहीं हुबा है. क्योंकि अब तक इस पद के लिए आरक्षण ड्रा निकाला नहीं गया है. चुनाव प्रचार का महापौर पद का चेहरा महत्वपूर्ण रहता है. मतदाताओं को मतदान करते समय किस प्रवर्ग का महापौर चयनीत किया जानेवाला है इसकी जानकारी रहने से इसका परिणाम भी मतदान पर होने की संभावना रहती हैं. केवल मतदाता ही नहीं बल्कि इस बार आरक्षण ड्रा ही न निकाले जाने से महापौर पद किस प्रवर्ग में जाएगा यह निश्चित नहीं हुआ हैं.
राज्य चुनाव आयोग के नियमानुसार नगरसेवक पद के लिए आरक्षण ड्रा निकाला जाता हैं. महापौर पद के आरक्षण बाबत अब तक निर्णय न होने से अनेक प्रश्न निर्माण हो रहे है. महापौर पद के आरक्षण के बगैर चुनाव होने की बात पहली बार होने की चर्चा है. इस कारण चुनाव के बाद महापौर पद के चयन के समय राजनीतिक समिकरण बदलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. महापौर पद के कार्यकाल के बाबत भी राज्य सरकार ने पिछले कुछ साल में बार-बार बदलाव किए है. कभी एक साल तो कभी ढाई साल का कार्यकाल रहा है. वर्ष 2002 से महापौर पद का ढाई साल का कार्यकाल निश्चित किया गया. वर्तमान में भी महापौर पद ढाई साल का ही रहनेवाला है. लेकिन महापौर पद का आरक्षण पांच साल की कालावधि के लिए लागू किया जाता है, यह बात ध्यान में लेने जैसी हैं.

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