स्मशानभूमि की आरक्षित जमीन से हटाया जाए गोविंदप्रभू देवस्थान का अतिक्रमण
राष्ट्र उन्नति संगठन के पंकज विलेकर ने पत्रवार्ता में उठाई मांग

* जिलाधीश को भी सौंपा गया मांगों का ज्ञापन
अमरावती/दि.4 – स्थानीय रहाटगांव के शेत सर्वे नं. 9 पोट खराब क्षेत्रफल 0.90 हे.आर. की एफ-क्लास जमीन विगत 100 वर्षों से हिंदू व अन्य धर्मों व जातियों के लिए स्मशानभूमि हेतु आरक्षित है. जहां पर पुरातन शिव मंदिर भी है और इस स्थान से क्षेत्रवासियों की भावनाएं एवं बुजूर्गों की यादें जुडी हुई है. परंतु इस जगह पर गोविंदप्रभू मंदिर संस्थान द्वारा अतिक्रमण करते हुए 100 वर्ष पुरानी स्मशानभूमि व पुरातन शिव मंदिर को हटाने का कृत्य किया जा रहा है. जिसे क्षेत्रवासियों द्वारा कदापि बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, इस आशय का प्रतिपादन राष्ट्र उन्नति संगठन के संस्थापक अध्यक्ष पंकज रामदास विलेकर द्वारा किया गया.
इस विषय को लेकर आज यहां बुलाई गई पत्रवार्ता में पंकज विलेकर ने कहा कि, स्मशानभूमि की जगह को महानुभाव पंथियों द्वारा हडपने का प्रयास किया जा रहा है. जिसके लिए अमरावती के तहसीलदार विजय लोखंडे के साथ मिलिभगत करते हुए गोविंदप्रभू मंदिर के पक्ष में तथ्यहिन व एकतरफा फैसला सुनाया गया तथा गांव नमूना 7/12 में गोविंदप्रभू मंदिर का नाम शामिल किया गया. जबकि ब्रिटीशकाल से लेकर जारी वर्ष 2025 तक यह जमीन हिंदू व अन्य धर्म के लोगों हेतु स्मशानभूमि के लिए आरक्षित थी. ऐसे में इसी एक नाम को 7/12 में कायम रखा जाना चाहिए और इसके अलावा शामिल किए गए नाम को रद्द किया जाना चाहिए. इसके साथ ही उक्त जमीन पर अस्तित्व में रहनेवाले पुरातन शिव मंदिर को उसके स्थान से हटाने का बिल्कुल भी प्रयास नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि गोविंदप्रभू देवस्थान द्वारा अतिक्रमित की गई जगह को मुक्त कराया जाना चाहिए.
इस समय यह भी बताया गया कि, इस विषय को लेकर जिलाधीश को ज्ञापन सौंपते हुए चेतावनी दी गई है कि, यदि सात दिन के भीतर इन मांगों को पूरा नहीं किया गया तो, रहाटगांव परिसर वासियों द्वारा अपने अधिकारों के लिए लोकतांत्रिक पद्धति व शांतिपूर्ण ढंग से सरकार के खिलाफ ‘शिव आंदोलन’ किया जाएगा.





