तेंदुए और मनुष्य संघर्ष को रोकने के लिए वन विभाग को 560 करोड रुपए का फंड

3 जिलों में 1800 रेस्क्यू सेंटर, नैसर्गिक आपदा घोषित होगी

अमरावती/दि.9 – वर्तमान में राज्य में जिलों में तेंदुए फैल चुके हैं और उनके हमलों में कई लोगों की जान जा चुकी है. तेंदुओं और मैंग्रोव के बीच संघर्ष को रोकने के लिए वन विभाग को 560 करोड़ रुपये का फंड देने की घोषणा की गई है. इसके अलावा, पुणे, अहिल्यानगर और नासिक जिलों में 1800 तेंदुओं को रखने के लिए जंगलों में रेस्क्यू सेंटर बनाए जाएंगे. इससे जो नुकसान होगा, तेंदुए और मानव संघर्ष अब प्राकृतिक आपदा साबित होंगी.
महाराष्ट्र में, चंद्रपुर, गढ़चिरोली, नागपुर, नासिक, अहिल्यानगर, बुलढाणा, पुणे, कोल्हापुर, सतारा और सांगली जिलों में तेंदुए अब मानव बस्तियों में घुस रहे हैं, जिससे सरकार चिंतित है. तेंदुओं के बढ़ते हमलों को देखते हुए, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नवंबर 2025 में वरिष्ठ वन अधिकारी, सचिव, जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, वित्त सचिव और विद्युत वितरण महाप्रबंधक के साथ बैठक की. उन्होंने स्थिति से निपटने के निर्देश दिए.

* सोलर फेंसिंग का प्रावधान
– वन्य जीव अधिनियम की अनुसूची 1 से अनुसूची 2 में तेंदुए को शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने का निर्णय लिया गया. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी योजना के तहत तेंदुआ प्रभावित क्षेत्रों में घरों, गौशालाओं, स्कूलों, अस्पतालों आदि के आसपास सौर ऊर्जा फेसिंग निर्माण की जानेवाली हैं.
– इंसानों पर हमला करनेवाले तेंदुओं को नरभक्षी घोषित करने का निर्णय लिया गया है. विशेष कार्य अधिकारी उदय ढगे ने 5 दिसंबर, 2025 को एक पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी.

* 1800 तेंदुए होंगे कैद, रैपिड रेस्क्यू यूनिट भी बढ़ाई गई
– तीन जिलों – नासिक, अहिल्यानगर और पुणे – में तुरंत बचाव केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जिनमें प्रत्येक में 600 तेंदुओं को रखा जाएगा.
– तीन जिलों में वन विभाग की भूमि पर 1800 तेंदुओं को वन क्षेत्र में रखने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. समयानुसार अन्य जिलों में रेस्क्यू सेंटरों की संख्या बढ़ाई जाएगी.
– इसके अलावा रैपिड रेस्क्यू यूनिट की संख्या बढ़ाई जाएगी. इसलिए पहली बार वन विभाग में रैपिड यूनिट की स्थापना की जाएगी.

* यह एक प्राकृतिक आपदा होगी
– चूंकि तेंदुआ-मानव संघर्ष में वृद्धि से मानव हताहत हो रहे हैं और पशुधन और कृषि फसलों को नुकसान हो रहा है, इसलिए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुपालन में ’प्राकृतिक आपदा’ घोषित किया जाए.
– तेंदुए के बढ़ते हमलों को देखते हुए वन तथा राहत एवं पुनर्वास विभाग को ’राज्य प्राकृतिक आपदा’ घोषित करने के संबंध में फीडबैक देने के भी निर्देश दिए गए हैं.

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