पीढी को संस्कारवान बनाना होगा, कई समस्याएं होगी दूर

पुष्टि मार्ग के गोस्वामी श्याम मनोहरजी महाराज से अमरावती मंडल की चर्चा

* धर्म को राजनीति से दूर करने के कारण विश्व में अशांति
* दूसरी ओर भी जनसंख्या नियंत्रण आवश्यक
अमरावती /दि.23 – संस्कार न्यूनता के कारण नानाविध समस्याएं पैदा हुई है, बल्कि समस्याओं का रुप-स्वरुप बढता और बिगडता जा रहा है. ऐसे में अनेकानेक समस्याओं का स्थायी निराकरण केवल और केवल पीढी को संस्कारवान बनाने से हो सकता है. पुष्टि मार्ग अपनाने से हमारी पीढियां संस्कारों से बंधी रही. आगे भी रहनी चाहिए, इसलिए पुष्टि मार्ग के नियम व स्वरुप अपनाने का आवाहन दीगर नहीं है. इस आशय का बडा ही स्पष्ट प्रतिपादन वाराणसी षष्ठपीठ श्रीगोपाल मंदिर के पीठाधीश और आचार्य गोस्वामी श्री श्याम मनोहरजी महाराज ने आज सबेरे किया. वे वसंतबाबू मालपानी के कैम्प स्थित निवास ‘कृष्णाश्रय’ में अमरावती मंडल से धर्म चर्चा और वैश्विक, सामाजिक विषयों पर चर्चा कर रहे थे. इस समय वैष्णव डॉ. घनश्याम बाहेती, षष्ठपीठ के जनसंपर्क अधिकारी अतुलजी शाह, अमरावती की संस्कृत पाठशाला के पं. शत्रुघ्न पांडेय उपस्थित थे. अपितु डॉ. बाहेती ने भी विविध सामाजिक विषयों पर सार्थक चर्चा छेडी. आचार्यश्री को मुखर किया.
* 500 वर्षों की पुष्टि मार्ग परंपरा
आचार्यजी ने बताया कि, पुष्टि मार्ग के अपने नियम है, जो विगत पांच शतको से चले आ रहे हैं. इस मार्ग के आचार्यो ने भारतवर्ष के गांव-देहातो में ही संस्कार और परंपराओं का जतन करने के लिए बैठक व मंदिर स्थापित किए. जिससे आज भी अनेकानेक भागों में लोग पुष्टि मार्ग को अपनाते हुए साधनसंपन्न और सुखी है.
* संस्कार नहीं तो समस्याएं ही
एक प्रश्न के उत्तर में अपनी संस्कृतनिष्ठ और धारा प्रवाह हिंदी में पीठाधीश्वर ने कहा कि, भारत हो या विश्व के अन्य देश. जहां संस्कार न्यूनता है, वहां नानाविध समस्याएं है. मातृशक्ति की अवहेलना, दूसरे समाज या संप्रदाय के विरुद्ध द्वेष और अपनी ही परंपराओं से मुंह मोडने की समस्याएं उपजी है, विकराल हुई है. जबकि केवल संस्कारों का अवलंब कर ले तो कई समस्याएं स्वयंमेव समाप्त हो जाती है. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि, मातृशक्ति का इसमें सबसे बडा रोल है. आखिर बच्चे की प्रथम गुरु माता ही होती है.
* आज के परिवेश में नितांत आवश्यक
पीठाधीश्वर श्याम मनोहरजी महाराज ने कहा कि, आज के परिवेश में पुष्टि मार्ग को अपनाने के साथ अपने संस्कारों पर दृढ रहना आवश्यक है. इससे नाहक इर्ष्या, द्वेष से दूर रहा जा सकता है. उसी प्रकार माताओं, बहनों के प्रति आदर व स्नेहभाव उपजता है. जिससे समाज के सामने की बडी समस्या का निराकरण हो जाता है. उन्होंने पुन: माता-पिता की भूमिका अधोरेखित की. पाश्चात्य संस्कृति से अपने युवाओं को दूर रखना, बचाना भी महत्वपूर्ण रहने की बात उन्होंने कही.
* विश्व में अशांति, युद्ध की परिस्थिति क्यों?
विश्व के कई भागों में अशांति और युद्ध के वातावरण संबंधी प्रश्न पर षष्ठपीठ के पीठाधीश ने बेबाकी से कहा कि, निश्चित ही कुछ कर्णधारों के अहम् का यह दुष्परिणाम है. वहीं यह भी स्पष्ट किया कि, राजनीति से धर्म को विलग करने के परिणाम दुनिया देख रही है. जबकि भारतवर्ष में रामायण और महाभारत काल से ही राजनीति और धर्म साथ-साथ रहे हैं. जिससे अशांति को दूर किया जा सकता है. धर्म को इतना महत्व प्राप्त था कि, मगध काल हो या मौर्य काल, राज दरबार में धर्म के ज्ञानी हेतु पद रहता ही था. आज की परिस्थितियां इसलिए बनी है कि, कुछ लोगों ने राजनीति से धर्म को दूर करने के अपने कुतर्क दिए और उन्हें थोप भी दिया.
* शिक्षा और ज्ञान में अंतर
सामाजिक समस्याओं पर पूछे गए प्रश्नों के निराकरण का प्रयत्न महाराजश्री ने किया. उन्होंने कहा कि, शिक्षा का लक्ष्य केवल धन कमाना रह गया है. इससे भी समस्याएं उपजी है. वस्तुत: शिक्षा का लक्ष्य ज्ञान प्राप्त करना होना चाहिए. महाराजश्री ने वेदों और धर्मग्रंथों के उद्धरण देते हुए अपनी बात को सरलता से स्पष्ट किया. उन्होंने यह भी कहा कि, षोडश संस्कार लुप्त हो जाने के कारण समाज में कई समस्याएं निर्मित हुई है. षोडश संस्कार और विधान न केवल लुप्तप्राय बल्कि नष्टप्राय हो गए हैं. इसके लिए बेशक सभी का दायित्व बनता है.
* हिंदू कोड क्यों?
महाराजश्री ने दावा किया कि, भारत को धर्मनिरपेक्ष घोषित करने के बावजूद जवाहरलाल नेहरु ने हिंदू कोड लाया. जिस पर राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्रप्रसाद ने हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया. तब डॉ. राजेंद्रप्रसाद का दूसरे कार्यकाल का दावा रहने पर भी नेहरु ने उन्हें दोबारा राष्ट्रपति नहीं बनाया. डॉ. राधाकृष्णन को हिंदू कोड पर हस्ताक्षर करने की शर्त के साथ अगला राष्ट्रपति बनाया गया. तब से अनेक समस्याएं है. भ्रष्टाचार का बीजारोपण उसी समय से होने के साथ अनेक समस्याएं नासूर बनी हुई है.

* जनसंख्या नियंत्रण सभी के हित में
जनसंख्या नियंत्रण कानून के कडाई से और सभी के लिए समान रुप से लागू किए जाने पर पुष्टि मार्ग के धर्मगुरु श्री श्याम मनोहर महाराजजी ने बल दिया. उन्होंने कहा कि, दूसरे पक्ष की जनसंख्या बढने से एक पक्ष को जनसंख्या बढाने का आवाहन नहीं किया जाना चाहिए. प्रकृति और संसाधनों को देखते हुए जनसंख्या का नियंत्रण सभी के हित में आपने बतलाया.

* युवाओं के विवाह पर बोले
महाराजश्री ने युवाओं के उचित आयु में विवाह करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि, यथासमय सभी कार्य करने की भारतवर्ष की परंपरा रही है. हाल के वर्षों में देखा गया कि, करिअर और अन्य बातों के बहाने विवाह संबंध प्रलंबित किए जाते हैं. जबकि युवक हो या युवती उनका यथासमय मिलन आवश्यक है. इस पर भारत का और विश्व का भविष्य निर्भर रहता है.

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