‘पक्षांतर’ वाली सरकार का ‘भावांतर’ पर ध्यान नहीं

राकांपा विधायक रोहित पवार ने सत्ता पक्ष पर साधा निशान

* बच्चू कडू के अनशन का मोझरी पहुंचकर किया समर्थन
* बोले – सीएम फडणवीस करते है केवल हवा-हवाई बातें
* किसानों को निजी साहूकारों के भरोसे छोडा सरकार ने
अमरावती/दि.12 – इस समय केंद्र सहित राज्य की सत्ता में रहनेवाली भारतीय जनता पार्टी का पूरा ध्यान पक्षांतर यानि दूसरे दलों के नेताओं को तोडकर अपनी ओर लाने पर है तथा सरकार का ध्यान किसानों को फायदा पहुंचाने वाली ‘भावांतर’ जैसी योजनाओं पर बिलकुल भी नहीं है. जिसकी वजह से आज किसान हैरान-परेशान और हलाकान हो चले है. साथ ही किसानों पर भूखों मरने व आत्महत्या करने जैसी नौबत आन पडी है. ऐसे में प्रहार जनशक्ति पार्टी के मुखिया व पूर्व मंत्री बच्चू कडू द्वारा किसानों के मुद्दों को लेकर किए जा रहे आमरण अनशन का हर किसान ने समर्थन करना चाहिए और इस आंदोलन के साथ जुडकर सरकार पर दबाव भी बनाना चाहिए, इस आशय का प्रतिपादन शरद पवार गुट वाली राकांपा के विधायक रोहित पवार द्वारा किया गया. विधायक रोहित पवार ने आज गुरुकुंज मोझरी पहुंचकर वहां राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज के महासमाधि स्थल के निकट पूर्व मंत्री बच्चू कडू द्वारा किसान कर्जमाफी की प्रमुख मांग सहित 17 मांगो को लेकर किए जा रहे अन्नत्याग आंदोलन का समर्थन करते हुए उपरोक्त प्रतिपादन किया.
बता दें कि, प्रहार जनशक्ति पार्टी के मुखिया व पूर्व मंत्री बच्चू कडू द्वारा किसानों सहित दिव्यांगो, निराधारों एवं विधवा महिलाओं की मांगो को लेकर विगत रविवार 8 जून से राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज की कर्मभूमि रहनेवाले गुरुकुंज मोझरी में अनिश्चितकालिन अन्नत्याग आंदोलन करनान शुरु किया गया है. विगत पांच दिनों से चल रहे इस अनशन को अब तक किसान नेता राकेश टिकैत, सांसद नीलेश लंके, पूर्व मंत्री वसंत पुरके, मराठा आंदोलक मनोज जरांगे सहित कई बडे राजनेताओं के साथ-साथ विभिन्न राजनीतिक दलों एवं सामाजिक संगठनों द्वारा अनशन स्थल पर पहुंचकर अपना प्रत्यक्ष समर्थन घोषित किया गया है. इसी कडी के तहत आज शरद पवार गुट वाली राकांपा के नेता व विधायक रोहित पवार ने भी आज गुरुकुंज मोझरी में स्थापित अनशन स्थल पर पहुंचकर पूर्व मंत्री बच्चू कडू के अन्नत्याग आंदोलन को अपना पूरा समर्थन घोषित किया. साथ ही उन्होंने किसानों से एकजुटता का आवाहन करते हुए आरोप लगाया कि, राज्य की मौजूदा महायुति सरकार द्वारा किसानों की हद दर्जे तक अनदेखी की जा रही है. जिसके चलते आज किसानों के सामने बेहद विपरित हालात है.
इस समय मंच पर वर्धा जिले के सांसद अमर काले, पूर्व विधायक राजकुमार पटेल व प्रकाश गजभिये सहित राकांपा नेता सलिल देशमुख, संगीता ठाकरे, प्रदीप राऊत, सुरेश भुसारा व पंकज बोराडे आदि के साथ ही अन्य कई पदाधिकारी मौजूद थे. जिसमें से अनेकों ने अपने समयोचित विचार व्यक्त किए. इस दौरान अनशन पंडाल में पूरा समय ‘अपना भिडू, बच्चू कडू’, ‘लडेंगे और जीतेंगे, अंतिम सांस तक डटे रहेंगे’ तथा ‘हल्लाबोल’ जैसे नारे गुंजायमान होते रहे.
* 25-30 वर्षों से आम जनता के हितों की लडाई लड रहे बच्चू कडू
अपने संबोधन में विधायक रोहित पवार ने कहा कि, प्रहार पार्टी के मुखिया बच्चू कडू जब विधायक नहीं थे तब भी वे किसानों सहित सर्वसामान्य जनता के हितों को लेकर आंदोलन व अनशन करने से नहीं चुकते थे और बच्चू कडू ने कभी भी इस बात की फिक्र नहीं की कि, राज्य में सरकार किसकी है, जिसकी बदौलत बच्चू कडू को पूरे राज्य में एक अलग पहचान मिली और वे लगातार चार बार विधायक भी निर्वाचित हुए. लेकिन विधायक निर्वाचित होने और एक बार मंत्री बनने के बावजूद बच्चू कडू के तेवर में कोई फर्क नहीं आया. बल्कि उसके बाद सडक पर गुंजनेवाली आवाज विधान मंडल के सदन में गुंजने लगी और बच्चू कडू ने सदन के भीतर किसानों व सर्वसामान्य नागरिकों के लिए हमेशा ही आवाज उठाई. फिर भी आज बच्चू कडू विधायक निर्वाचित होकर सदन का हिस्सा रहे होते तो निश्चित तौर पर वे किसान कर्जमाफी के मुद्दे को लेकर सदन के भीतर सरकार को घेरने का काम करते. परंतु आज भले ही बच्चू कडू सदन में नहीं और उन्हें सडक पर उतरकर संघर्ष करना पड रहा, लेकिन सदन में बच्चू कडू के हमारे जैसे कार्यकर्ता है और हम विधान मंडल के आगामी पावस सत्र में बच्चू कडू की आवाज बनकर सदन के भीतर किसानों से जुडी मांगों को उठाएंगे.
* विधानसभा चुनाव में हुई थी गडबडी, जानबुझकर हराया गया बच्चू कडू जैसे नेताओं को
इस समय अपने संबोधन में राकांपा विधायक रोहित पवार ने यह भी कहा कि, विधानसभा चुनाव में कई ऐसे तत्कालीन विधायकों को हार का सामना करना पडा, जो आगे चलकर राज्य की महायुति सरकार के लिए सरदर्द साबित हो सकते थे. चुनाव हारनेवाले ऐसे विधायकों में प्रहार पार्टी के मुखिया बच्चू कडू का भी समावेश था. साथ ही विधायक रोहित पवार ने यह दावा भी किया कि, खुद उन्हें उनके निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव हराने की पूरी तैयारी लगभग कर ली गई थी. लेकिन उनके विरोधी अपने मनसूबो में कामयाब नहीं हुए. यही वजह रही कि, पूरे राज्य में सबसे अंतिम नतीजा उनके निर्वाचन क्षेत्र से ही आया था. जहां पर मतगणना की प्रक्रिया को सबसे अधिक समय लगा था. इसके जरिए विधायक रोहित पवार ने अप्रत्यक्ष रुप से निशाना साधते हुए कहा कि, विधानसभा चुनाव के नतीजो में बडे पैमाने पर गडबडियां हुई है.
* अपने ही वादे से मुकरकर सरकार ने किसानों के साथ की जालसाजी
साथ ही साथ विधायक रोहित पवार ने यह भी कहा कि, राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले एवं महायुति के अन्य कई बडे नेताओं ने विधानसभा चुनाव के समय किसानों को कर्जमाफी देते हुए उनका 7/12 पूरी तरह से कोरा करने का आश्वासन दिया था. लेकिन चुनाव निपटते ही सभी नेता खुद अपने द्वारा कही गई बात से मुकर गए और अपने चुनावी घोषणापत्र में उल्लेखीत वादे को ही झुटलाने लगे, यह सीधे-सीधे राज्य के किसानों के साथ धोखाधडी और जालसाजी है. जिसे कदापी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. विधायक रोहित पवार ने यह आरोप भी लगाया कि, राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस केवल हवाहवाई बातें ही करते है और उनका जमिनी हकीकत से कोई वास्ता नहीं रहता. जहां एक ओर महाराष्ट्र के सभी किसान हैरान-परेशान है. वहीं दूसरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बिहार के विधानसभा चुनाव की पडी हुई है और वे बिहार में जाकर हवाहवाई वादे कर रहे है. जिनका महाराष्ट्र के किसानों से कोई लेना-देना नहीं है.
* रातोरात बदली जा रही कृषि संबंधी नीतियां
इस समय विधायक रोहित पवार ने यह भी कहा कि, सरकार द्वारा किसानों की भलाई वाली नीतियों को रातोरात बदला जा रहा है. जिसके चलते अधिकतम तीन हेक्टेअर की मर्यादा को घटाकर दो हेक्टेअर कर दिया गया. साथ ही साथ प्रति हेक्टेअर सहायता राशि को भी घटा दिया गया. इसके अलावा महज एक रुपए में मिलनेवाली फसल बीमा योजना को बंद करते हुए अब बीमा योजना का पूरा बोझ किसानों पर डाल दिया गया. साथ ही साथ फसल बीमा योजना के मानकों को भी बदल दिया गया. जिसके चलते अब इस बीमा योजना का लाभ किसानों को नहीं बल्कि बीमा कंपनी को होगा.
* कृषिमंत्री और पालकमंत्री किसी काम के नहीं
अपने संबोधन में राकांपा विधायक रोहित पवार ने राज्य के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे तथा राजस्व मंत्री व अमरावती जिले के पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले पर भी जमकर निशाना साधा और कहा कि, रोज नया कोट पहनने वाले कृषिमंत्री कोकटे को किसानों के फटे हुए धोती व कुर्ता दिखाई नहीं देते. वहीं जिला पालकमंत्री बावनकुले का अमरावती जिले के किसानों के सुखदुख से मानों कोई लेना-देना ही नहीं है. अभी विगत मई माह के दौरान हुई बेमौसम बारिश से अमरावती जिले में करीब 22 हजार हेक्टेअर क्षेत्र में फलबागानों व ग्रीष्मकालिन फसलों सहित साग-सब्जियों का नुकसान हुआ. लेकिन पालकमंत्री बावनकुले ने अब तक एक बार भी नुकसान प्रभावित क्षेत्रों का दौरान नहीं किया है. इसके अलावा किसानों को बकाएदार व कर्जदार बनाते हुए निजी साहूकारों के दरवाजे पर खडे होने के लिए मजबूर कर दिया गया है. जहां से किसानों को उंची ब्याज दरों पर मजबूरी में कर्ज लेना पड रहा है.
* वर्ना सत्तापक्ष के सांसदों व विधायकों का घर से बाहर निकलना मुश्किल कर देंगे
अपने-आप को पूरी तरह से बच्चू कडू के इस आंदोलन के साथ बताते हुए विधायक रोहित पवार ने बच्चू कडू के लगातार गिरते स्वास्थ को लेकर भी चिंता जताई और कहा कि, आज के दौर में दूसरों के लिए अपनी जान को खतरे में डालनेवाले बच्चू कडू जैसे नेता मिलना बेहद मुश्किल है. यही वजह है कि, आज पूरे महाराष्ट्र के किसान बच्चू कडू के साथ खडे है. ऐसे में यदि बच्चू कडू के इस अनशन की वजह से कुछ भी होता तो यह सरकार के लिए बहुत भारी पडेगा और सरकार को इसकी बडी भारी कीमत चुकानी होगी. साथ ही यदि जल्द ही इस मसले का हल नहीं निकाला गया तो प्रहार पार्टी के पदाधिकारियों के साथ मिलकर शरद पवार गुट वाली राकांपा के नेता व पदाधिकारी पूरे राज्य में जबरदस्त जनआंदोलन खडा करेंगे तथा सत्ता पक्ष के नेताओं, सांसदों व विधायकों का घर से बाहर निकलना भी मुश्किल कर दिया जाएगा.

 

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