शानदार रहा ‘अहिसास’ का कवि सम्मेलन

स्वतंत्रता दिवस की उत्तर संध्या पर हुआ आयोजन

अमरावती /दि.19 – स्वतंत्रता दिवस की उत्तर संध्या इस वर्ष अमरावती में कुछ खास रही. साहित्यिक संस्था अहिसास द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन ने शनिवार की शाम को भावनाओं, विचारों और साहित्यिक रंगों से सराबोर कर दिया. यह आयोजन न केवल कवियों और विचारकों की महफ़िल साबित हुआ, बल्कि समाज में चेतना और संवाद की नई ऊर्जा भी भर गया.
इस कार्यक्रम में बैतूल से पधारे कवि मनोज शुक्ला ने अपनी रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं को गहराई से जोड़ा. मंच पर अहिसास की सचिव नरगिस अली और सप्तारंगी की सचिव बरखा शर्मा का एक साथ आना, साहित्यिक सहयोग और समन्वय का प्रतीक बना. सप्तारंगी के पूर्व अध्यक्ष शंकर भूतड़ा एवं वर्तमान अध्यक्ष नरेन्द्र देवरणकर की उपस्थिति ने भी इस संध्या को विशेष गरिमा प्रदान की. प्रीतम जौनपुरी ने भ्रष्टाचार और जातिवाद पर प्रखर प्रहार करते हुए कहा, ‘जब तक भ्रष्टाचार और जातिवाद जैसे गुंडों का अंत नहीं होगा, तब तक हमारा और तुम्हारा मिलन संभव नहीं होगा.’ मनोज शुक्ला ने भावनात्मक स्वर में कहा, ‘जिसकी आंखें हिन्दू, जिसका दिल मुसलमान, वही है मेरा हिंदुस्तान.’ मनोज मद्रासी ने अपने हास्य व्यंग्य से श्रोताओं को ठहाकों पर मजबूर कर दिया. दीपक सूर्यवंशी ने सवाल उठाया, ‘मंदिर से भगवान की मूर्ति चोरी हो गई, पर भगवान परेशान हैं, करें भी तो क्या करें.’ बरखा शर्मा ‘क्रांति’ ने प्रेम और मानवीय रिश्तों पर गहन भावनाएं व्यक्त कीं. हनुमान गूजर ने राजनीति की विडंबना पर तंज कसते हुए कहा, ‘जो पकड़े गए वो गुनाहगार हो गये, जो नहीं पकड़े गए वो सरकार हो गये.’ मुजीब आलम ने सह-अस्तित्व का संदेश देते हुए कहा, ‘सुबह मंदिर में आरती, मस्जिद में अजान, मिल-जुल कर रहते हम-हिन्दू, मुसलमान.’ नरेन्द्र अगमें ने शहीदों को याद करते हुए भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की. विनोद अग्रवाल, प्रीति यावलीकर और नरेन्द्र देवरनकर ‘निर्दोष’ ने भी अपनी कविताओं से देशभक्ति और मानवीय रिश्तों का महत्व रेखांकित किया.
कार्यक्रम के अध्यक्ष वसंत पाटिल ने पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि फलदार पेड़ ही ज्यादा लगाए जाएं, जिनके फल पशु-पक्षी और इंसान मजे से खा सकें. विशेष अतिथि सुनील खराटे ने हिन्दी साहित्य की उपेक्षा पर चिंता जताई और अहिसास संस्था द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की. संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आधुनिक जीवन की सच्चाई को रेखांकित करते हुए कहा, ‘मोबाइल से सारी दुनिया मुट्ठी में सिमट गई और इस दुनिया से इंसान ही डिलीट हो गया.’
इस कवि सम्मेलन की सफलता का श्रेय अहिसास के सक्रिय सदस्यों, डॉ. खड़से, प्रीतम जौनपुरी, वसंत पाटिल, हनुमान गूजर, दीपक सूर्यवंशी, मनोज दोन्ती, नरगिस अली, सत्यप्रकाश गुप्ता, अलका देवरणकर और प्रशांत सोलंकी के अथक परिश्रम को जाता है. यह कवि सम्मेलन केवल एक साहित्यिक आयोजन नहीं रहा, बल्कि स्वतंत्रता दिवस की उत्तर संध्या को विचार, भावनाओं और सामाजिक चेतना की सुगंध से सराबोर करने वाला यादगार अवसर बन गया.

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