कचरे व सफाई को लेकर ‘निगरघट्ट’ बना मनपा प्रशासन

सफाई ठेकेदार पर मनपा का कोई अंकूश नहीं

* हर ओर चल रही सफाई ठेकेदार की मनमानी
* शहर में कहीं से भी नहीं उठाया जा रहा कचरा
* जगह-जगह कचरे व गंदगी के पडे हैं ढेर
* जनप्रतिनिधियों ने भी पूरी तरह से साध रखी है चुप्पी
* कचरे व गंदगी से आम जनता हैरान-परेशान व हलाकान
* 240 करोड रुपए का ठेका देने के बावजूद कचरे की समस्या जस की तस
* कोणार्क कंपनी ने अब तक कचरा उठाने का काम ही नहीं किया शुरु
अमरावती/दि.18 शहर में कचरा और गंदगी की समस्या ने एक बार फिर गंभीर रूप धारण कर लिया है. अमरावती महानगरपालिका प्रशासन की लापरवाही और निष्क्रियता के चलते पूरे शहर में सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है. स्थिति यह है कि मनपा प्रशासन कचरे को लेकर पूरी तरह ‘निगरघट्ट’ बना हुआ है, जबकि सफाई ठेकेदार पर उसका कोई अंकुश दिखाई नहीं दे रहा.
बता दें कि, शहर के अनेक इलाकों में कई-कई दिनों से कचरा उठाया ही नहीं जा रहा. मुख्य सड़कों से लेकर गली-मोहल्लों तक जगह-जगह कचरे और गंदगी के ढेर लगे हुए हैं. दुर्गंध और गंदगी के कारण नागरिकों का घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है. इसे लेकर दैनिक ‘अमरावती मंडल’ ने गत रोज ही कई रिहायशी इलाकों के छायाचित्रों के साथ विस्तृत समाचार प्रकाशित किया था. जिसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि, संभवत: इस विषय को लेकर अमरावती मनपा प्रशासन में कुछ हलचल होगी तथा सफाई ठेकेदार को जरुरी दिशा-निर्देश देते हुए शहर के रिहायशी क्षेत्रों में पडे कचरे व गंदगी के ढेरों को हटाने का काम किया जाएगा. लेकिन हैरत की बात यह रही कि, मनपा प्रशासन ने एक बार फिर अपनी लापरवाही व बेशर्मी का ही परिचय दिया और आज भी कचरे व गंदगी की समस्या जस की तस है.
* 240 करोड़ का ठेका, ज़मीनी हकीकत शून्य
ज्ञात रहे कि, मनपा द्वारा करीब 240 करोड़ रुपये का विशाल सफाई ठेका देने के बावजूद हालात जस के तस बने हुए हैं. आरोप है कि ठेका पाने वाली कोणार्क कंपनी ने अब तक शहर में कचरा उठाने का काम शुरू ही नहीं किया है. इसके बावजूद न तो मनपा प्रशासन की ओर से कोई सख्त कार्रवाई की जा रही है और न ही ठेकेदार से जवाबदेही तय की जा रही है.
* ठेकेदार की मनमानी, प्रशासन मूकदर्शक
यहां यह कहना कतई अतिशयोक्ति नहीं होगा कि, शहर में सफाई ठेकेदार अपनी मनमर्जी से काम कर रहा है. तय समय, तय वार्ड और तय व्यवस्था-किसी का भी पालन नहीं हो रहा. इसके बावजूद मनपा अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं. ऐसा प्रतीत हो रहा है, मानो प्रशासन ने शहर की सफाई व्यवस्था ठेकेदार के हवाले कर पूरी तरह हाथ खड़े कर दिए हों.
* जनप्रतिनिधियों की रहस्यमयी चुप्पी
इस पूरे मामले में सबसे अधिक आश्चर्यजनक और चौंकाने वाली बात यह है कि इस गंभीर मुद्दे पर जनप्रतिनिधियों ने भी पूरी तरह चुप्पी साध रखी है. जनता की समस्याओं को लेकर आवाज उठाने वाले जनप्रतिनिधि इस बार नजर नहीं आ रहे, जिससे नागरिकों में भारी रोष और निराशा व्याप्त है.
* जनता हलाकान, बीमारियों का खतरा बढ़ा
कचरे और गंदगी के कारण शहर में मच्छरों और बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है. आम नागरिक हैरान, परेशान और हलाकान हैं. नागरिकों का कहना है कि टैक्स पूरा वसूल किया जाता है, लेकिन बदले में बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं कराई जा रहीं. अब देखना यह है कि अमरावती मनपा प्रशासन कब नींद से जागता है, सफाई ठेकेदार पर सख्ती करता है और शहर को कचरे के इस अंबार से कब निजात दिलाता है-या फिर यह समस्या यूं ही कागजों में करोड़ों खर्च होने के बावजूद सड़कों पर सड़ती रहेगी.

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