रात के समय ट्रेन में शोर करना पडेगा भारी

भारतीय रेलवे ने बनाए कडे नियम

* शोरगुल करनेवाले यात्रियों पर होगी कार्रवाई
अमरावती /दि.10 – लंबी दूरी की यात्रा आरामदायक हो, इस बात के मद्देनजर अधिकांश लोगबाग रेल यात्रा का पर्याय चुनते है. परंतु हमेशा ही लापरवाही व बेफिक्री वाला व्यवहार करनेवाले कुछ यात्रियों द्वारा यात्रा के दौरान शांति भंग करते हुए अन्य यात्रियों को तकलीफ देने का काम करते है. विशेष तौर पर ऐसे बेफिक्र व लापरवाह यात्रियों द्वारा रात के समय मोबाइल पर जोर-जोर से बात की जाती है या फिर मोबाइल पर ‘फूल वाल्यूम’ में गाने बजाए जाते है. जिससे रेलवे कोच में शोरशराबे वाली स्थिति बन जाती है और यात्रा कर रहे अन्य यात्रियों को काफी समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पडता है. साथ ही उनके आराम में भी खलल पडता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए अब रेलवे ने ऐसे गैर अनुशासित व लापरवाह यात्रियों से निपटने हेतु बेहद कडे नियम बनाए है. जिसके चलते अब रेल यात्रा के दौरान अन्य यात्रियों के लिए दिक्कते पैदा करनेवाले यात्रियों के खिलाफ कडी कार्रवाई की जाएगी.
उल्लेखनीय है कि, रात के समय रेल यात्रा के दौरान जब अधिकांश यात्री नींद में होते है, तो कुछ यात्री अपने फोन पर तेज आवाज में गाने बजाते है या वीडियो भी फूल वॉल्यूम में देखते है. साथ ही कुछ लोग मोबाइल फोन का स्पीकर ऑन करके जोर-जोर से तेज आवाज में बात करते है. जिसके चलते अन्य यात्रियों को नाहक तकलीफ होती है. साथ ही इसे लेकर आपत्ति उठाए जाने पर ऐसे यात्रियों द्वारा बदतमिजी करने के साथ ही आपत्ति उठानेवाले रेल यात्रियों की बेइज्जती भी की जाती है. अमुमन एसी व स्लीपर कोच में टीसी व रेलवे स्टाफ की मौजूदगी रहने के चलते नियमों का पालन प्रभावी रुप से होता है, परंतु जनरल कोच में सबसे बुरी हालत रहती है.

* क्या है नियम?
रेल प्रशासन ने रात के समय की रेल यात्रा के दौरान रेलगाडियों में शांति बनाए रखने हेतु कुछ महत्वपूर्ण नियम निश्चित किए है. जिसके मुताबिक हेडफोन के बिना किसी भी इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट पर गाने सुनने या वीडियो चलाने को प्रतिबंधित किया गया है. साथ ही मोबाइल फोन पर जोर-जोर से बात करने की भी मनाई तय की गई है. इस नियम का उल्लंघन करनेवाले यात्री को दंड अथवा कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड सकता है. यह नियम एसी व स्लीपर कोच सहित जनरल कोच के लिए भी लागू किया गया है.

* क्या कहता है कानून?
रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 145 के अंतर्गत रेलगाडी में शांति भंग करना सजा हेतु पात्र अपराध है. साथ ही संबंधित यात्री को 500 रुपए से एक हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. इसके अलावा यदि संबंधित यात्री का वर्तन व व्यवहार अधिक आपत्तिजनक है, तो ऐसे मामले में संबंधित यात्री को अगले स्टेशन पर रेलगाडी से नीचे उतार देने का प्रावधान भी इस नियम में किया गया है. इस नियम पर अमल की जवाबदारी ट्रेन में तैनात टीसी व आरपीएफ के जवानों पर है. जिन्हें गैर अनुशासित यात्रियों के खिलाफ कडी कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है.

* छोटे बच्चों को नियम में छूट
विशेष उल्लेखनीय है कि, रेल यात्रा के दौरान रात के समय कई छोटे बच्चे अचानक ही नींद से जागकर जोर-जोर से रोते है और माता-पिता द्वारा प्यार से थपकी देने पर भी चूप नहीं होते. इसके अलावा कुछ बच्चे मोबाइल पर तेज आवाज में गाने सुनते है या रील देखते है, ऐसे बच्चों तथा उनके अभिभावकों के लिए रेल प्रशासन ने थोडा प्रेमवाला रवैया अपनाया है. जिसके तहत रेलवे प्रशासन ने आरपीएफ व टीसी को निर्देशित किया है कि, ऐसे मामलो में अगल-बगल वाले किसी यात्री की ओर से शिकायत मिलने पर बच्चों के माता-पिता को थोडा प्यार से समझाया जाए.

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