जिले में 10 हजार से घटी बैलों की संख्या
गत वर्ष थे 83 हजार बैल, इस वर्ष केवल 73 हजार

अमरावती /दि.23- लगातार बढते यांत्रिकीकरण की वजह से कभी बैलों के दम पर की जानेवाली खेतीबाडी अब ट्रैक्टर से होने लगी है. वहीं अब कृषि व्यवसाय काफी हद तक बेभरोसे का हो गया है. साथ ही जानवरों की कीमतों में भी अच्छा-खासा इजाफा हो चुका है. जिसकी वजह से जिले में बैलों की संख्या घट गई है. जहां गत वर्ष अमरावती जिले में 83 हजार 297 बैल हुआ करते थे, वहीं इस समय जिले में बैलों की संख्या 73 हजार 303 रहने की जानकारी है, यानि एक साल के भीतर लगभग 10 हजार बैल अमरावती जिले में कम हो चुके है. श
चूंकि अब खेत-खलिहानों में बैलजोडियों की बजाए ट्रैक्टर का उपयोग होने लगा है. जिसके चलते कभी किसानों के बेहद भरोसेमंद साथी रहनेवाले ‘सर्जा-राजा’ की जोडी अब कम दिखाई देती है. चारा टंचाई और बैलों की लगातार बढती कीमतों के चलते अब बैलों को पालने हेतु लगनेवाला खर्च किसानों की पहुंच से बाहर हो चला है. इस वजह से भी अब किसानों के यहां बैलों की संख्या घटने लगी है. इन दिनों खेतों में नांगरणी, कोलपनी, पेरणी व मलनी जैसे कामों को करने हेतु ट्रैक्टर व रोटावेटर का जमकर प्रयोग किया जाता है. जिसके चलते अन्य जानवरों की तुलना में बैलों की संख्या महज 34 फीसद के आसपास बची है. सन 2019 में हुई पशु गणना के अनुसार जिले में 5 लाख 55 हजार 595 पशुधन है. जिसमें से करीब 3 लाख गाय वर्ग तथा 2 लाख म्हैस वर्ग पशुधन रहने की जानकारी है.
* पोले पर नकली बैलों को पूजने की नौबत
इससे पहले ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक घर पर बैलजोडी रहा करती थी. जिसके चलते बैल पोले वाले दिन इन बैलों का गांव में जुलूस निकालने के बाद प्रत्येक घर पर बैलों की पूजा की जाती थी. परंतु अब किसानों के पास बैलजोडी ही नहीं रहने के चलते बैल पोला वाले दिन भी मिट्टी अथवा लकडी से बने नकली बैलों की मूर्तियों की पूजा करने की नौबत आन पडी है.
* मशीनों के बढने से बैलों की संख्या घटी
यांत्रिकीकरण के चलते बैलों की संख्या लगातार घट रही है. क्योंकि अब बैलों की जगह ट्रैक्टर ने ले ली है. किसानों को अपना जीवनमान उंचा रखने के लिए काफी मेहनत करनी पडती है. वहीं बैलों को खरीदने व उनको पालने में काफी अधिक खर्च होता है. ऐसे में कई पशुपालक अपनी बैलजोडियों को बेच देते है.
– डॉ. संजय कावरे
उपसंचालक, पशुसंवर्धन विभाग.





