कबूतरखाना बंद रहेगा, हाईकोर्ट ने कायम रखा फैसला
पक्षियों को रास्ते पर खाद्य नहीं दिया जा सकता

* बॉम्बे हाईकोर्ट ने व्यक्त किया अपना स्पष्ट विचार
मुंबई/दि.13 – मुंबई के कबूतरखाना प्रतिबंध मामले को लेकर आज मुंबई हाईकोर्ट में दायर याचिका पर दुबारा सुनवाई हुई. जिसमें सरकार के महाधिवक्ता ने महाराष्ट्र सरकार व मुंबई महानगर पालिका सहित याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखा. जिसके बाद हाईकोर्ट ने अपने कुछ महत्वपूर्ण निरीक्षण दर्ज करते हुए स्पष्ट तौर पर कहा कि, कंट्रोल फिडींग को अनुमति देने के पहले सार्वजनिक स्वास्थ का विचार किया जाना चाहिए और इसे लेकर नागरिकों से आपत्ति व आक्षेप मंगाए जाने चाहिए. साथ ही महानगर पालिका इस बारे में सीधे कोई निर्णय नहीं ले सकती है. इसके साथ ही न्या. गिरीश कुलकर्णी व न्या. आरिफ डॉक्टर की दो सदस्यीय खंडपीठ ने कबूतरखाने पर लगाई गई पाबंदी को फिलहाल अस्थाई तौर पर कायम रखा है.
आज हुई सुनवाई के दौरान मुंबई की विशेषज्ञ समिति और उसके संभावित सदस्यों के नामों की सूची भी हाईकोर्ट में प्रस्तुत की गई. इस समिति में स्वास्थ अधिकारी एवं नगर विकास अधिकारी का समावेश रहेगा. पिछली सुनवाई में बंदी का उल्लंघन करनेवालों पर कार्रवाई के आदेश को बॉम्बे हाईकोर्ट ने कायम रखा था. साथ ही इस मामले के समाधान को राज्य सरकार व महापालिका का काम बताते हुए लोगों के सार्वजनिक स्वास्थ की दृष्टि से विशेषज्ञों का अभिप्राय लेने की सलाह भी हाईकोर्ट ने दी थी. सार्वजनिक स्वास्थ को प्राथमिकता देते हुए सभी नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को ध्यान में रखकर समिति स्थापित करने के निर्देश भी हाईकोर्ट द्वारा जारी किए गए थे. जिसके चलते विशेषज्ञों की समिति में शामिल संभावित सदस्यों के नामों की सूची हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की गई है. इस समिति में इम्युनोलॉजिस्ट व मायक्रोबॉयलॉजी जैसे विशेषज्ञों का समावेश रहेगा.
इस मामले की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता बिरेंद्र सराफ ने सार्वजनिक स्वास्थ को खतरा पहुंचाए बिना कुछ निश्चित स्थानों पर पक्षियों हेतु दाना-पानी डालने के संदर्भ में राज्य सरकार की भूमिका स्पष्ट की. जिस पर हाईकोर्ट ने कहा कि, हमारे लिए सार्वजनिक स्वास्थ सबसे महत्वपूर्ण है. इस समय मुंबई मनपा द्वारा हाईकोर्ट को बताया गया कि, दादर कबूतरखाने द्वारा पक्षियों को दाना-पानी डालने की अनुमति मांगी गई है. जिन्हें सुबह 6 से 8 बजे तक अनुमति देने का प्रस्ताव विचाराधीन है. साथ ही साफसफाई की जिम्मेदारी दादर कबूतरखाना पर रहेगी. जिस पर सवाल उपस्थित करते हुए हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि, पक्षियों को सडकों पर अथवा किसी भी सार्वजनिक स्थान पर दाना-पानी नहीं दिया जा सकता.
* जैन समाज हुआ आक्रामक
इसी बीच दादर स्थित कबूतरखाना को शुरु रखने हेतु मुंबई निवासी जैन समाज ने बेहद आक्रामक रवैया अपना लिया है. हाईकोर्ट के आदेश पश्चात मुंबई मनपा ने मुंबई के सभी कबूतरखानों को बंद कर दिया था. जिसके बाद दादर स्थित कबूतरखाने के पास जैन समाज द्वारा जमकर आंदोलन किया गया तथा आंदोलन के दौरान कबूतरखाने पर डाली गई ताडपत्री को फाडकर फेंक दिया गया. ऐसे में यह आंदोलन उग्र होते ही राज्य सरकार ने कंट्रोल फिडिंग का पर्याय देते हुए मामले का अस्थाई समाधान निकाला है.





