चिखलदरा में शिक्षा क्षेत्र की दुरावस्था से भी हो रहा पलायन

भाजपा शहराध्यक्ष वेदांत सुरपाटणे ने जिलाधीश से की चर्चा

चिखलदरा/दि.27 – विगत लंबे समय से आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र का हिस्सा रहनेवाले चिखलदरा शहर एवं तहसील में शिक्षा क्षेत्र भी दुरावस्था का शिकार हो चला है. जिसकी वजह से भी चिखलदरा से लोगों का पलायन परतवाडा सहित अन्य शहरी क्षेत्रों की ओर हो रहा है. इस बात के मद्देनजर क्षेत्र के पूर्व पार्षद एवं भाजपा शहराध्यक्ष वेदांत सुरपाटणे द्वारा जिलाधीश आशीष येरेकर से चर्चा करते हुए उनका ध्यान चिखलदरा नगर पालिका की शालाओं की दुर्दशा की ओर दिलाया गया. साथ ही चिखलदरा शहर में शैक्षणिक सुविधाओं को चुस्त-दुरुस्त करने की मांग की गई.
बता दें कि, विगत 24 सितंबर को स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रशिक्षण केंद्र में जिलाधीश आशीष येरेकर द्वारा क्षेत्र की समस्याओं को जानने व समझने के लिए शहर एवं तहसील के सभी अधिकारियों की बैठक बुलाई गई थी. जिसमें पालिका मुख्याधिकारी, तहसीलदार व बीडीओ सहित सभी बडे अधिकारी भी उपस्थित थे. इसी बैठक में पूर्व पार्षद व भाजपा शहराध्यक्ष वेदांत सुरपाटणे ने भी हिस्सा लेते हुए चिखलदरा की गंभीर समस्याओं व मुद्दों की ओर जिलाधीश का ध्यान आकर्षित किया. जिसके तहत चिखलदरा में प्राथमिक शिक्षा की अव्यवस्था व दुर्दशा को लेकर सवाल उठाते हुए नगर पालिका की शालाओं में शिक्षक ही नहीं रहने की वजह से पटसंख्या भी नहीं रहने की ओर जिलाधीश का ध्यान दिलाया गया और बताया गया कि, नगर पालिका की शालाओं में शिक्षक ही उपलब्ध नहीं रहने के चलते इन शालाओं में प्रवेशित विद्यार्थियों को पढाई-लिखाई से वंचित रहना पड रहा है और सरकारी स्कूलों के अलावा पढाई-लिखाई का इस क्षेत्र में और कोई इंतजाम नहीं रहने के चलते कई परिवारों को बेहद मजबूरी में चिखलदरा से परतवाडा शिफ्ट होना पड रहा है. ऐसे में बेहद जरुरी है कि, केवल पढाई के लिए चिखलदरा से होनेवाले स्थलांतरण को रोकने हेतु चिखलदरा में शैक्षणिक सुविधाओं को पूरी तरह से चुस्त-दुरुस्त किया जाए. इस समय यह भी बताया गया कि, आर्थिक रुप से सक्षम रहनेवाले परिवार तो अपने बच्चों को पढने-लिखने के लिए परतवाडा सहित अन्य शहरों में भेज देते है. लेकिन आर्थिक रुप से कमजोर विद्यार्थियों के परिजन ऐसा नहीं कर पाते. जिसके चलते ऐसे परिवारों के बच्चों को पढाई-लिखाई छोड देने पर मजबूर होना पडता है. जिसके चलते इस क्षेत्र से कई बच्चे पढाई-लिखाई से वंचित रह जाते है. ऐसे में बेहद जरुरी हो चला है कि, इस पर्वतीय अंचल व पर्यटन क्षेत्र में नगर पालिका शालाओं की स्थिति को चुस्त-दुरुस्त किया जाए तथा समुचित शैक्षणिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए.
इसके साथ ही पूर्व पार्षद व भाजपा शहराध्यक्ष वेदांत सुरपाटणे ने जिलाधीश को नगर पालिका के लचर कामकाज के बारे में भी जानकारी देते हुए बताया कि, अक्सर ही पालिका मुख्याधिकारी चिखलदरा में उपस्थित नहीं रहते तथा नगर पालिका के कई अधिकारी व कर्मचारी शिक्षकों की तरह ही परतवाडा व अमरावती से चिखलदरा रोजाना अप-डाऊन करते है. ऐसे में नगर पालिका के कामकाज पर बेहद विपरित परिणाम होता है. चिखलदरा में सडकों पर हर ओर जानवर बैठे दिखाई देते है और सडकों पर चहुंओर गंदगी फैली रहती है. इसके अलावा चिखलदरा में पर्यटकों के लिए बनाए गए शौचालय भी बंद पडे हुए है. जिससे यहां आनेवाले पर्यटकों को काफी असुविधाओं का सामना करना पडता है. लेकिन पर्यटकों से ‘मुंडी टैक्स’ के तौर पर अच्छा-खासा राजस्व हासिल करनेवाली नगर पालिका द्वारा इसकी ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया जा रहा. जिसके चलते चिखलदरा आनेवाले पर्यटकों की संख्या लगातार घटती जा रही है. जिसका असर इस क्षेत्र में रोजगार का एकमात्र साधन रहनेवाले पर्यटन व्यवसाय पर पड रहा है.
इन तमाम बातों को सुनने के बाद जिलाधीश ने इस बारे में तुरंत ही अधिकारियों से आवश्यक विचारविमर्श करते हुए दिशानिर्देश जारी किए तथा नगर पालिका शालाओं की खस्ताहाल स्थिति को सुधारकर नप शालाओं में पटसंख्या बढाने हेतु आवश्यक उपाय करने हेतु कहा. ऐसे में अब यह उम्मीद बंधती नजर आ रही है कि, चिखलदरा शहर एवं तहसील में सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक सुविधाएं चुस्त-दुरुस्त होंगी.

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