सरल हो आधार कार्ड मे जन्म तारीख सुधार की प्रक्रिया

पत्रकार अजहर पटेल ने पालक मंत्री से लगाई गुहार

अमरावती/ दि.4 -आज देश में आधार कार्ड सिर्फ एक पहचान पत्र नहीं, बल्कि हर नागरिक की जीवनरेखा बन चुका है. चाहे वह सरकारी योजना हो या बैंक खाता, गैस कनेक्शन हो या स्कूल-कॉलेज में प्रवेश, पेंशन हो या स्वास्थ्य सेवाएं आधार कार्ड के बिना कोई भी प्रक्रिया अधूरी रह जाती है. ऐसे में यदि आधार पर दी गई जानकारी, विशेषकर जन्मतारीख, गलत हो जाए, तो यह पूरे जीवन को प्रभावित कर सकता है.
* जन्म प्रमाणपत्र की अनिवार्यता बनी सबसे बड़ी रुकावट
वर्तमान में यूआडीएआय ने आधार में जन्मतिथि सुधार के लिए सिर्फ जन्म प्रमाणपत्र या पासपोर्ट को ही मान्य दस्तावेज माना है. लेकिन भारत जैसे देश में, जहाँ 30% से भी कम लोगों के पास जन्म प्रमाणपत्र है, यह शर्त आम लोगों के लिए एक असंभव सी चुनौती बन चुकी है. ग्रामीण क्षेत्रों, गरीब,आदिवासी तबकों और पिछड़े समाजों में 50-60 साल पहले जन्मे करोड़ों लोगों का कोई जन्म प्रमाणपत्र ही नहीं है, क्योंकि उस समय न तो जन्म पंजीकरण की जागरूकता थी और न ही संसाधन. ऐसे में उनके लिए आधार मे जन्म तारीख सुधारना नामुमकिन होता जा रहा है.
महिलाओं के लिए पासपोर्ट की शर्त
विवाहित महिलाओं के लिए तो स्थिति और भी अधिक जटिल है. जन्म प्रमाणपत्र मे उनके पिता का नाम होता हैं और आधार मे पति का इसी कारण उनका जन्म प्रमाण पत्र स्वीकार नहीं किया जाता. यूआयडीएआय ने उनके लिए पासपोर्ट को अनिवार्य दस्तावेज बना दिया है, क्यूकि के पासपोर्ट मे पिता और पति दोनो का नाम होता हैं जबकि भारत की केवल 5 से 7% महिलाएं ही पासपोर्ट धारक हैं. नतीजतन लाखों महिलाएं अपने आधार में जन्म तारीख सुधार नहीं पा रहीं जिससे उन्हें सरकारी योजनाओं, छात्रवृत्ति, या बैंकिंग सेवाओं से वंचित होना पड़ता है. वैकल्पिक दस्तावेजों को मान्यता देने की माँगइस गंभीर परिस्थिति को देखते हुए, पत्रकार अजहर पटेल ने महाराष्ट्र राज्य महसूल मंत्री और अमरावती जिल्हा के पालक मंत्री मानिय चंद्रशेखर बावनकुळे साहब को निवेदन सौंपा है, जिसमें उन्होंने वैकल्पिक दस्तावेजों को भी मान्यता देने की माँग की है. इन वैकल्पिक दस्तावेजों में स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (टीसी), पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पुराना मतदाता पहचान पत्र जैसे अधिकृत दस्तावेज शामिल हैं, जिन्हें आधार में जन्मतिथि सुधार के लिए ग्राह्य माना जाना चाहिए. निवेदन में स्पष्ट रूप से यह माँग की गई कि नागरिकों के पास उपलब्ध अन्य वैध दस्तावेजों को भी मान्यता दी जाए, जिससे आधार में जन्मतिथि सुधार की प्रक्रिया सरल और सुलभ हो सके.
* प्रशासन से उम्मीद, केंद्र व यूआयडीएआय से करे हस्तक्षेप
निवेदनकर्ताओं ने मांग की है कि जिलाधिकारी व पालकमंत्री इस विषय को गंभीरता से लें और केंद्र सरकार व यूआयडीएआय से संपर्क कर नागरिकों की इस तकलीफ का समाधान निकालें. यदि यह मांग नहीं मानी गई, तो यह सिर्फ एक कागज़ी गलती नहीं, बल्कि करोड़ों नागरिकों की आजीविका, शिक्षा, और सामाजिक सुरक्षा से जुड़ा न्याय का मुद्दा बन जाएगा.

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