मनपा के नए कचरा ठेके की प्रक्रिया को लगा झटका!

जोननिहाय ठेके को ‘स्टेटस-को’, 11 नवं. को हाईकोर्ट में अगली सुनवाई

* नए कचरा ठेके की प्रक्रिया के खिलाफ दायर हुई थी याचिका
* एक जोननिहाय ठेकेदार ने अपना समय बचा रहने के चलते उठाई थी आपत्ति
* नई निविदा में घर-घर जाकर कचरा संकलन का समावेश किए जाने को लेकर दर्ज कराया था आक्षेप
* न्या. किलोर व न्या. व्यास की अदालत ने जोननिहाय ठेकेदारों को दी राहत
अमरावती /दि.15- अमरावती महानगर पालिका द्वारा शहर में साफसफाई करने से लेकर पूरे शहरभर से जमा होनेवाले कचरे को कंपोस्ट डिपो तक पहुंचाने हेतु नए सिरे से अमल में लाई जा रही निविदा प्रक्रिया को आज उस समय जबरदस्त झटका लगा, जब मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने जोननिहाय स्वच्छता ठेकेदारों की ओर से दायर याचिका पर ‘स्टेटस-को’ आदेश जारी करते हुए महानगर पालिका को आगामी 11 नवंबर तक अपना जवाब पेश करने हेतु कहा. अपने आदेश में अदालत ने कहा कि, याचिका पर सुनवाई जारी रहने तक घर-घर जाकर कचरा संकलित करने के काम हेतु निविदा की प्रक्रिया को फिलहाल रोका जाए. वहीं शहरभर से निकलने वाले कचरे को संकलित कर कंपोस्ट डिपो तक पहुंचाने हेतु जारी निविदा की प्रक्रिया को आगे बढाया जा सकता है.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक सफाई ठेकेदार रहनेवाली श्री नागरिक सेवा सहकारी बेरोजगार संस्था की ओर से कर्नलसिंह राहल ने मनपा द्वारा स्वच्छता व घनकचरा व्यवस्थापन को लेकर चलाई जा रही निविदा प्रक्रिया पर आपत्ति उठाते हुए नागपुर हाईकोर्ट में अपने वकील के मार्फत एक याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि, घर-घर जाकर कचरा संकलित करनेवाले अमरावती मनपा के जोननिहाय स्वच्छता ठेकेदारों का अब भी तीन वर्षों का कार्यकाल बाकी है. परंतु इसके बावजूद नई निविदा प्रक्रिया में घर-घर जाकर कचरा संकलन करने के काम का भी समावेश किया गया है. जो कि पूरी तरह से गलत है. क्योंकि नियमानुसार इस तरह से बीच में कचरा संकलन के ठेके को बिना किसी पूर्वसूचना के रद्द नहीं किया जा सकता और अब तक अमरावती मनपा द्वारा सफाई ठेकेदारों को इस बारे में कोई पूर्वसूचना भी नहीं दी गई है. इस याचिका में यह दावा भी किया गया कि, अमरावती शहर में साफसफाई को लेकर हाईकोर्ट में दायर एक अन्य याचिका पर चल रही सुनवाई के चलते खुद अपने-आप को बचाकर रखने की नियत से मनपा प्रशासन ने अचानक ही स्वच्छता एवं कचरा संकलन को लेकर अचानक ही नई निविदा प्रक्रिया पर अमल करना शुरु कर दिया है. जिसमें आश्चर्यजनक रुप से कचरा ढुलाई यानि ट्रान्सपोर्टींग के साथ घर-घर जाकर कचरा संकलित करने के काम का भी समावेश किया गया है. यह सीधे-सीधे छोटे ठेकेदारों को सफाई के काम से बाहर करने और किसी एक बडे ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए सभी कामों व आपस में क्लब करते हुए निविदा प्रक्रिया चलाई जा रही है. जिसका खामियाजा मनपा के मौजूदा जोननिहाय ठेकेदारों को उठाना होगा.
इस याचिका में यह भी कहा गया कि, जोननिहाय साफसफाई के ठेके प्राप्त करनेवाले ठेकेदारों ने मनपा की ओर से तय किए गए नियमों व शर्तों की पूर्तता करते हुए अपनी जेब से पैसा खर्च कर कचरा संकलन करनेवाली घंटा गाडियां खरीदने के साथ ही मनुष्यबल की नियुक्ति में अच्छा-खासा पैसा खर्च किया. परंतु अभी ठेकेदारों की लागत भी नहीं निकल पाई है और ठेकेदारों का तीन साल का समय बाकी रहने के बावजूद मनपा द्वारा नए सिरे से कचरा संकलन के ठेके जारी करने की तैयारी की जा रही है. इसके बारे में मौजूदा ठेकेदारों को कोई पूर्वसूचना भी नहीं दी गई है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्या. अनिल किलोर व न्या. रजनीश व्यास की दो सदस्यीय खंडपीठ ने जोननिहाय ठेकों की मौजूदा स्थिति को जस का तक रखने का आदेश जारी करते हुए अमरावती मनपा प्रशासन को आगामी 11 नवंबर तक अपना पक्ष रखने हेतु कहा है. इस मामले में अगली सुनवाई आगामी 11 नवंबर को ही होनेवाली है.

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