असली मारामार पुरूष सीटों की

केवल 24 सीटें, ढेर सारे दावेदार

* बडे प्रमाण में हो सकती है बगावत
* पहली बार आधा दर्जन से अधिक प्रमुख दल                                                                                                                        अमरावती/ दि. 11- मनपा के अगले वर्ष के प्रारंभ में होने जा रहे आम चुनाव के वास्ते मंगलवार पूर्वान्ह आरक्षण लॉटरी के बाद सामान्य वर्ग के पुरूष उम्मीदवारों हेतु प्रत्यक्ष चुनाव लडने मात्र दो दर्जन स्थान शेष है. उनमें भी अधिकांश प्रभागों में सामान्य श्रेणी के एक- एक ही स्थान शेष होने से पार्टियों के सामने दावेदारों की संख्या सर दर्द बढानेवाली रहेगी, ऐसा अनुमान चुनावी जानकारों ने अमरावती मंडल से आज दोपहर चर्चा करते हुए व्यक्त किया. उन्होंने इसके साथ ही यह भी अंदाज जताया कि बडे प्रमाण में बंडखोरी (विद्रोह) हो सकता है.
एक अनार सौ बीमार की स्थिति
महापालिका में आबादी बढने के बावजूद सीटें 87 पर कायम हैं. ऐसे में विविध क्षेत्र के कई धुरंधर चुनाव लडने की बडी तमन्ना लेकर सत्तारूढ दलों के साथ जुडे हैं. आरक्षण व्यवस्था ने इन सभी के इरादों पर अभी तो बौछार कर दी है. 22 प्रभागों में बमुश्किल 24 सीटें सर्व सामान्य की रही है. ऐसे में सामान्य अर्थात ओपन कैटेगिरी के ढेर सारे दावेदार होने के बावजूद एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति बन रही है. अधिकांश प्रभागों में एक- एक स्थान ही ऐसा बचा है. जहां सामान्य श्रेणी के पुरूष चुनाव में किस्मत आजमा सकते हैं. मजे की बात है कि पुरूष सीट से महिलाएं चुनाव लड सकती है. बल्कि भूतकाल में देखा गया कि ओपन सीट से महिला प्रत्याशियों ने दम खम दिखाया था.
सभी दलों में दावेदारों की भीड
महापालिका की सदस्य संख्या कायम रहने से आरक्षण लॉटरी के बाद तस्वीर यही है कि 24 स्थानों के वास्ते चुनाव लडने के इच्छुकों की भरमार है. सत्तापक्ष के घटक दलों के पास अनेक कार्यकर्ता अपेक्षा जताए हुए हैं. ऐसे में नेताओं, पदाधिकारियों के सामने पशोपेश वाली स्थिति बन रही है. किसे राजी करें और किसे समझाएं, यह समस्या रहने की जानकारी इस क्षेत्र के जानकार ने दी. उन्होंने अनुमान व्यक्त किया कि, अधिकांश स्थान (44) महिलाओं के लिए आरक्षित होने से पदाधिकारी को पत्नी, बहन, माता जी को चुनाव लडवाने का ऑफर दिया जा सकता है. उसमें ना रहने पर आगे कोई अन्य आफर तगडे दावेदारों के सामने रखी जायेगी. इस सब के बावजूद सबसे बडा अंदेशा बडे प्रमाण में बगावत का बताया जा रहा है. अमूमन अधिकांश प्रभागों में बडे दलों में बगावत हो सकती है. लोग पिछले अनेक इलेक्शन याद कर रहे हैं. जब रातोरात उम्मीदवारों की पार्टियों की अदला बदली हो गई थी. उम्मीदवारों के पास इस बार बगावत के लिए दलों की भरमार भी एक कारण के रूप में गिनाई जा रही है.
एक दर्जन से अधिक प्रमुख दल
पहले ही महापालिका चुनाव को कोरोना और कोर्ट कचहरी की झंझटों की वजह से चार वर्ष विलंब हो चुका है. 2017 में पिछला महापालिका आम चुनाव हुआ था. उस समय भी राज्य में बीजेपी की सत्ता रही. इस बार भी महायुति की सरकार मुंबई पदारूढ है और बीजेपी नेता देवेन्द्र फडणवीस ही प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में बागडोर संभाल रहे हैं. कुछ बदला है तो शिवसेना और राकांपा में विभाजन हो गया है. बीजेपी और कांग्रेस के अलावा अब शिवसेना उबाठा तथा शिवसेना शिंदे एवं राकांपा अजीत पवार और राकांपा शरद पवार के साथ ही जिले के धाकड नेता बच्चू कडू की प्रहार जनशक्ति पार्टी, विधायक रवि राणा की युवा स्वाभिमान, महाराष्ट्र नव निर्माण सेना, वंचित बहुजन आघाडी जैसे प्रमुख दल कहे जा सकते हैं. जिनसे वह दावेदार संपर्क कर सकते हैं. जब उन्हें अपनी पार्टी से टिकट की ना सुनने मिले.
तीन प्रभागों में दो – दो ओपन सीटें
महापालिका के आरक्षण पर चुनाव लडने के इच्छुक चाहे तो एतराज ले सकते हैें. उसके लिए ठोस वजह और आंकडे देने होंगे. फिलहाल तो प्रभाग 10 बेनोडा- भीमटेकडी, प्रभाग 16 अलीम नगर- रहमत नगर, प्रभाग 21 जूनी बस्ती बडनेरा ऐसे प्रभाग है. जहां सामान्य श्रेणी की दो- दो सीटें बची है. जिससे इन प्रभागों पर बेशक सामान्य अर्थात ओपन कैटेगिरी के प्रत्याशियों का जोर रहेगा.
इन प्रभागों में बडी खींचतान
श्रीकृष्ण पेठ समाहित जवाहर स्टेडियम प्रभाग क्रमांक 7, गडगडेश्वर – रवि नगर प्रभाग क्रमांक 17, विलासनगर – मोरबाग प्रभाग क्रमांक 6, अंबापेठ प्रभाग क्रमांक 13, जवाहर गेट प्रभाग क्रमांक 14 में ओपन की एक- एक सीट होने और दावेदारों की भरमार रहने से इन प्रभागों के उम्मीदवार चुनने के लिए राजनीतिक दलों को मशक्कत करनी पड सकती है.

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