लोनार झील के खारापन में कमी!

बुलढाणा/दि.19 – उल्कापिंड के टकराने से निर्मित विश्व का एकमात्र और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त रामसर स्थल, लोनार झील वर्तमान में एक नाजुक और संवेदनशील मोड़ पर है. एक ओर, झील का जलस्तर पिछले स्तर की तुलना में 2.80 मीटर तक बढ़ गया है और यह वृद्धि 2022 से लगातार जारी है, वहीं दूसरी ओर, झील के पानी के रासायनिक घटकों में सूक्ष्म लेकिन दूरगामी परिवर्तन दर्ज किए जा रहे हैं. ये परिवर्तन केवल पानी तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि झील की जैव विविधता और पारिस्थितिक संतुलन को सीधे तौर पर प्रभावित कर रहे हैं.
बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच के निर्देशों के अनुसार, भूजल सर्वेक्षण एवं विकास प्राधिकरण (जीएसडीए) द्वारा 2019 से अक्टूबर 2025 तक किए गए एक गहन अध्ययन से यह बात सामने आई है. इस अध्ययन में झील के पानी के पीएच, कुल घुलनशील ठोस (टीडीएस), कठोरता और क्लोराइड की दीर्घकालिक समीक्षा शामिल थी. अक्टूबर 2025 की जीएसडीए रिपोर्ट के अनुसार, लोनार झील के मुख्य जल का पीएच अभी भी 9 और 11 के बीच है, जिसका अर्थ है कि पानी अत्यधिक क्षारीय है. हालांकि, ’गोमुख’, ’सीता न्हानी’ और दरगाह क्षेत्र के झरनों का पीएच 7 और 8 के बीच है, जो इसे अपेक्षाकृत मीठा और प्राकृतिक बनाता है.

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