रोचक हैं अमरावती के इस देवालय की स्थापना कथा

सतीधाम में ही रचा गया था दादी का मंगलपाठ

* मंदिर अगले सप्ताह होगा 50 वर्ष का
* दो दिन विविध अनुष्ठान, आयोजन
अमरावती/ दि. 5-रॉयली प्लॉट स्थित सतीधाम मंदिर आगामी 10 जुलाई को अपना 50 वां पाटोत्सव मनाने जा रहा है. 9 और 10 जुलाई को दो दिवसीय आयोजन, अनुष्ठान रखे गये हैं. सूरत से पधार रहे जस गायक सुरेश जोशी के मुखारविंद से रानी सती दादी का मंगल पाठ होगा. उल्लेखनीय है कि यह मंगलपाठ इसी सतीधाम में बैठकर पूज्य रमाकांत शास्त्री शर्मा ने लिखा था. इस प्रकार का पांच दशकों का अनेक आयोजनों, धर्मक्षेत्र के महापुरूषों की दर्शन भेंट और कथाओं के सफल आयोजन सहित बडा सुंदर एवं रोचक इतिहास सतीधाम का है.
* जीनिंग का हनुमान मंदिर
मंदिर से आरंभ से ही जुडे ओमप्रकाश जोशी बताते हैं कि जिस स्थान पर आज भव्य मंदिर स्थित है. वहां पहले जिनिंग मिल थी. इसी मिल परिसर में एक पेड के नीचे हनुमान जी का मंदिर था. 1974 में मिल की जगह पर मंदिर निर्माण का निर्णय हुआ. रानी सती दादीजी का महाराष्ट्र एवं क्षेत्र में प्रथम मंदिर निर्माण की कल्पना उद्यमी मधुसूदन झुनझुनवाला ने की थी.
* कालांतर में होता गया विकास
रानी सती मंदिर का निर्माण 1974 में प्रारंभ किया गया. जिसमें उस समय जहां हनुमान जी का मंदिर था, उसे कायम रखते हुए नव निर्माण किया गया. 1975 में मंदिर का निर्माण पूर्ण हुआ. 10 जुलाई को विधि विधान से रानी सती मंदिर की प्रतिस्थापना की गई. दादी जी के भक्तों के लिए यह अनुपम भेंट रही. उन्हें सुदूर राजस्थान में झुंझनू जाना पडता था. बाद में भगवान राधाकृष्ण का मंदिर जोडा गया. उपरांत गणेशजी तथा उसके उपरांत शंकरजी का संपूर्ण परिवार यहां स्थापित किया गया. तत्पश्चात राम दरबार की भी स्थापना विधि विधान से सतीधाम मंदिर में की गई.
* रमाकांत जी शास्त्री के उपक्रम
झुनझुनवाला परिवार ने दादीजी की सेवा के साथ अन्य देवी देवताओं की स्थापना कर पूजन एवं उत्सव प्रारंभ किए. परिवार से जुडे पं. रमाकांत शास्त्री शर्मा के यहां बहुतेरे कथा प्रवचन हुए. रमाकांत जी ने सतीधाम में बैठकर ही लगभग 35-40 वर्ष पूर्व रानी सती दादी का मंगलपाठ लिखा. यह दादी जी का जीवन चरित्र बखान करता है. आज अधिकांश भक्त इसी मंगलपाठ का नित्य वाचन कर अपनी भक्ति, श्रध्दा प्रदर्शित करते हैं. मंगल पाठ को अधिकाधिक भक्तों तक पहुंचाने के लिए ओम प्रकाश जोशी की देखरेख व संयोजन में रमाकांत जी शर्मा के स्वर में ही ऑडियो रिकॉर्डिंग की गई. कैसेट जारी हुए. घर-घर यह कैसेट रानी सती दादी के भक्त श्रध्दा व चाव से बजाते.

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