शहीद पुलिस कर्मी की पत्नी का संघर्ष रहा सफल

अपने अधिकारों के लिए 6 साल तक लडनी पडी कानूनी लडाई

* हाईकोर्ट ने गृह विभाग को दिया नियमित वेतन अदा करने का आदेश
नागपुर /दि.13 – संगठित अपराध नियंत्रित करने का काम करते हुए अपनी ड्यूटी निभाते समय शहीद हुए पुलिस सिपाही की पत्नी द्वारा अपने अधिकारों हेतु किया गया संघर्ष 6 वर्ष बाद उस समय सफल हुआ, जब मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को निर्देशित किया कि, शहीद पुलिस कर्मी की पत्नी सहित अन्य उत्तराधिकारियों को 29 नवंबर 2008 को जारी शासन निर्णयानुसार नियमित वेतन व अन्य लाभ अदा किए जाए.
जानकारी के मुताबिक चंद्रपुर जिले के भद्रावती पुलिस थाने में पदस्थ पुलिस कांस्टेबल प्रकाश मेश्राम 20 जनवरी 2019 को थंबाडा क्षेत्र में ड्यूटी पर तैनात थे और जांच-पडताल के लिए सडक से गुजर रहे वाहनों को रुकवा रहे थे. उसी समय जानवरों की तस्करी करनेवाले एक वाहन ने पुलिस की ओर से किए गए इशारे की अनदेखी करते हुए पुलिस कांस्टेबल प्रकाश मेश्राम को टक्कर मारकर बुरी तरह से कूचल दिया था. जिसके चलते पुलिस सिपाही प्रकाश मेश्राम की मौके पर ही मौत हो गई थी. इसके बाद प्रकाश मेश्राम की पत्नी विशाखा मेश्राम ने अपने पति की मौत संगठित अपराध को नियंत्रित करते समय होने के चलते खुद को 28 नवंबर 2008 के सरकारी निर्णयानुसार लाभ दिए जाने का निवेदन पुलिस महकमे से किया था. जिसे स्वीकार करते हुए विशेष पुलिस महानिरीक्षक (प्रशासन) ने भी 12 मार्च 2019 को गृह विभाग के पास अपनी सिफारिश भेजी थी. परंतु गृह विभाग ने इसे यह कहते हुए नामंजूर कर दिया था कि, मेश्राम की मौत के बाद संगठित अपराध नियंत्रण कानून के तहत मामला दर्ज नहीं किया गया है. अत: इस सिफारिश व प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया जा सकता. जिसके चलते विशाखा मेश्राम ने नागपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए न्या. नितिन सांबरे व न्या. महेंद्र नेरलीकर ने तमाम बातों व मुद्दों को ध्यान में रखते हुए गृह विभाग के विवादास्पद निर्णय को अवैध ठहराया. साथ ही कहा कि, किसी सक्षम अधिकारी द्वारा की गई सिफारिश की अनदेखी करते हुए गृह विभाग अपना स्वतंत्र मत या विचार तय नहीं कर सकता है. इस मामले में याचिकाकर्ता विशाखा मेश्राम की ओर से एड. शिल्पा गिरडकर ने सफल युक्तिवाद किया.

* ऐसा है 29 नवंबर 2008 का सरकारी निर्णय
नक्सलवादी या आतंकवादी कार्रवाई, डाके व संगठित अपराध नियंत्रण तथा आपत्ति व्यवस्थापन का काम करते हुए कर्तव्य निभाते समय किसी पुलिस अधिकारी या कर्मचारी की मौत हो जाने पर उसके शेष कार्यकाल हेतु उसका मासिक वेतन उसके परिजनों को दिया जाएगा और यह वेतन संबंधित अधिकारी या कर्मचारी सेवानिवृत्ति की तारीख तक देने के साथ ही वेतन में नियमानुसार व पदोन्नति के अधिकार के अनुसार समय-समय पर वृद्धि की जाएगी. इसके साथ ही संबंधित परिवार को अन्य कई लाभ भी दिए जाएंगे, ऐसा 29 नवंबर 2008 को जारी शासन निर्णय में कहा गया है.

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