निकाय चुनावों पर अभी भी लटकी है तलवार

सुप्रीम कोर्ट में आज हुई थोडी बहस

* दो दिनों बाद शुक्रवार 28 को पुन: सुनवाई
* याचिकाकर्ता अपनी मांग पर अडे
* 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण का विरोध
* महाधिवक्ता ने मांगा समय, कोर्ट ने दिए दो दिन                                                                                                              मुंबई/ दि. 25- महाराष्ट्र प्रदेश की नगर परिषद और पंचायत चुनाव की महत्वपूर्ण प्रक्रिया आगे बढ जाने के बावजूद 50% से अधिक आरक्षण और ओबीसी आरक्षण संबंधी याचिका पर सुनवाई के कारण अभी भी चुनावों पर स्थगिती की तलवार लटकी हुई है. समाचार है कि प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत शर्मा और न्या. जॉयमाला बागची की खंडपीठ के सामने महाधिवक्ता ने और अधिक समय मांगा. यह मांग स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दो दिनों पश्चात अर्थात शुक्रवार 28 नवंबर को सुनवाई रखी है. जिसके कारण कहा जा रहा है कि निकाय चुनावों पर तलवार कायम लटकी है.
आज कोर्ट में थोडी बहस
याचिकाकर्ता की वकील इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट में कहा कि बाठिया आयोग से पहले के हालात में ओबीसी आरक्षण न था. उस समय के कानून अर्थात खानवीलकर की खंडपीठ द्बारा दिया गया फैसला. जिसमें आरक्षण न था.
महाधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट को निर्णय करने दें. मेहता ने कहा कि हमने कोर्ट के आदेश का सकारात्मक उद्देश से अर्थ लगाने का प्रयत्न किया. हम और भी अधिक जानकारी ले रहे हैं. एक दिन पश्चात सुनवाई रखी जा सकती है क्या ? नगर पालिका और नगर पंचायत के चुनाव चल रहे हैं. 2 दिसंबर को 246 परिषद और 42 नगर पंचायत के चुनाव है. जिला परिषद, पंचायत समिति और महापालिका के चुनाव शेष हैं.
40 प्रतिशत निकायों में उल्लंघन
एड. इंदिरा जयसिंह ने कहा कि चुनाव पहले घोषित है. नामांकन भरे जा चुके है. उन्होंने कहा कि 40% नगर परिषदों में 50% से अधिक आरक्षण के नियम का उल्लंघन हुआ हैै.
प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत – आज हम कोई भी मत नहीं रखेंगे.
महाधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा कि गुरूवार या शुक्रवार के अगली सुनवाई रखते हैंं. चुनाव आयोग की ओर से समय मांगा गया है. उस पर वकील इंदिरा जयसिंह ने जोरदार आपत्ति उठाई. कहा कि 50% आरक्षण सीमा का उल्लंघन हुआ है.
सीजेआई ने दी दो दिनों की मोहलत
प्रधान न्यायाधीश ने तुरंत स्पष्ट कर दिया कि आखिर इस मामले में दिया गया आदेश बंधनकारक रहेगा. उसके अधीन चुनाव होंगे. चुनाव आयोग ने कहा कि आज आपने निर्णय लिया तो उसके अनुसार हमें आरक्षण का वर्गीकरण करना होगा. तब प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने घोषणा कर दी कि शुक्रवार (28 नवंबर)दोपहर 12 बजे अगली सुनवाई होगी.
क्या है विवाद
विकास गवली ने याचिका दायर कर रखी है. जिसमें दावा किया गया कि कुछ स्वराज्य संस्थाओं में आरक्षण का अनुपात संविधान की 50 प्रतिशत की मर्यादा से अधिक रखा गया है. यह सरासर कानून का उल्लंघन है. राज्य सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि बांठिया आयोग के अहवाल का संदर्भ लेकर आरक्षण की रचना योग्य तरीके से की गई है.
निकायों मेें मर्यादा से अधिक
जिला परिषद-     32 में से 17
पंचायत समिति –  336 में से 83
नगर परिषद –      242 में से 40
नगर पंचायत –     46 में से 17
महापालिका –       29 में से 2                                                                                                                                              किन-किन नगर परिषदों में 50% से अधिक आरक्षण?
चिखलदरा (अमरावती) – 75%
जव्हार – 70%
कन्हान पिंपरी – 70%
बिलोली – 65%
त्र्यंबक – 65%
पिंपलगांव बसवंत – 64%
पुलगांव – 61.90%
तलोदा – 61.90%
इगतपुरी – 61.90%
बल्लारपुर – 61.76%
पाथरी – 60.87%
पूर्णा – 60.87%
मनमाड – 60.61%
कुंडलवाड़ी – 60%
नागभीड – 60%
धर्माबाद – 59.09%
घुघुस – 59.09%
कामठी – 58.82%
नवापुर – 56.52%
गडचिरोली – 55.56%
उमरेड – 55.56%
वाड़ी (नागपुर) – 55.56%
ओझर – 55.56%
भद्रावती – 55.17%
उमारी (नांदेड) – 55%
साकोली (शेंदुरवाफा) – 55%
चिमूर – 55%
आरमोरी – 55%
खापा (नागपुर) – 55%
पिंपलनेर – 55%
आर्णी – 54.55%
पांढरकवडा – 54.55%
डिगडोह (नागपुर) – 54.17%
दौंड – 53.85%
राजुरा – 52.38%
देसाईगंज – 52.38%
बुटीबोरी – 52.38%
ब्रह्मपुरी – 52.17%
शिर्डी – 52.17%
दर्यापुर (अमरावती) – 52%
कटोल – 52%
यवतमाल – 51.72%
तेल्हारा – 50%

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