विदर्भ की चार महापालिका में ‘ठाकरे बंधु’ एकसाथ

ठाकरे बंधु की युति अब विदर्भ के मैदान में उतरेगी

* सेना-मनसे युति पर मुहर
* मनसे नेता राजू उंबरकर ने दिया समर्थन
अकोला/दि.19 – राज्य में 29 महापालिका के चुनावों की घोषणा होते ही राजनीतिक समीकरणों ने गति पकडी है. उसमें ही सबसे बडी और निर्णायक खबर सामने आ रही है. मुंबई-पुणे तक ही सीमित लगने वाली ठाकरे बंधू की युति अब विदर्भ के मैदान में उतरेगी. नागपुर, चंद्रपुर, अमरावती और अकोला विदर्भ के इन चार महत्वपूर्ण महापालिकाओं में उद्धव ठाकरे की शिवसेना और राज ठाकरे की मनसे संयुक्त रूप से चुनाव लडने के साफ संकेत मिले है. इसलिए अब राज्य में कुल 8 बडी महापालिकाओं में ठाकरे ब्रांड का शक्तिप्रदर्शन दिखाई देगा.
महाराष्ट्र नवनिर्माण् सेना के प्रदेश उपाध्यक्ष राजू उंबरकर ने इस युति संबंध में अधिकृत समर्थन दिया है. विदर्भ के नागपुर, चंद्रपुर, अमरावती और अकोला इन चारों महापालिकाओं में शिवसेना-मनसे एकसाथ भाजपा और महायुति को चुनौती देंगी. विदर्भ में ठाकरे ब्रांड एकसाथ आ रहा है, इसका सकारात्मक परिणाम चुनाव के नतीजों में दिखेगा. इस युति को भारी सफलता मिलेगी, यह विश्वास उंबरकर ने व्यक्त किया. राजू उंबरकर फिलहाल अकोला दौरे पर है. उन्होंने मनसे के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं की बैठक ली. अकोला महापालिका के लिए इच्छुक उम्मीदवारों के साक्षात्कार भी इस समय लिए गए. विदर्भ में सीटें आवंटन और प्रचार की संयुक्त रणनीति अब अंतिम चरण में होने की बात गतिविधियों से स्पष्ट हो रही है. पश्चिम महाराष्ट्र और कोंकण में पहले से ही चर्चा में रहने वाले ठाकरे बंधु की युति अब विदर्भ में पहुंचने से राजनीतिक गणित बदलेगा.
* आठ जिले में प्रत्यक्ष युति
मुंबई, ठाणे, पुणे और नासिक इन शहरों में पहले ही दोनो ठाकरे बंधु एकत्र आने के संकेत मिले थे. अब विदर्भ में चार शहरों में भी युति होने से राज्य में 8 महत्वपूर्ण महापालिकाओं में ठाकरे बंधु की युति प्रत्यक्ष मैदान में दिखेगी. 15 जनवरी को होने वाले महापालिका चुनाव के मतदान के लिए यह नई आघाडी कितनी प्रभावी होगी और वोट के विभाजन पर कैसा परिणाम होगा? इस ओर पूरे महाराष्ट्र की नजरें टिकी है.
* भाजपा के गढ में ठाकरे की चुनौती
नागपुर को भाजपा और प्रमुखता से नितिन गडकरी और देवेंद्र फडणवीस का शक्तिस्थल माना जाता है. ऐसे स्थान पर राज और उद्धव ठाकरे की युति होने पर भाजपा के सामने दिक्कतें बढने की संभावना है. विशेषत: विदर्भ में शहरी मतदाताओं में मनसे की ताकत और उद्धव ठाकरे की शिवसेना का संगठन एक होने पर इसका सीधा झटका सत्ताधारी महायुति को लग सकता है.

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