सर्वे की आड लेकर चल रहा टिकट काटने का काम

इच्छुकों की राजनीति पर भारी पड रही नेताओं की ‘सर्वे’नीति

* विधानसभा के समय सभी नेताओं ने हर एक को दिया था टिकट का ‘लॉलिपॉप’
* अब नेताओं के सर्वे की आड लेकर जुबान पलट देने से कई इच्छुकों में मायुसी का आलम
* नेताओं की ‘सर्वे’नीति का कई प्रबल दावेदार हो रहे शिकार, दल-बदल का दौर शुरु होने की आशंका
* अमरावती मनपा के चुनाव की राजनीति में जल्द दिख सकता है बडा उलटफेर, कयासों का दौर तेज
अमरावती/दि.26 – इस समय जैसे-जैसे अमरावती मनपा के चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ रही है, वैसे-वैसे राजनीतिक उठापटक का दौर भी तेज होता दिखाई दे रहा है और विगत लंबे समय से मनपा चुनाव लडने के इच्छुक रहनेवाले दावेदारों द्वारा अपनी-अपनी पार्टी से टिकट हासिल कर पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडने के लिए अपने-अपने नेताओं के यहां चक्कर लगाते हुए जमकर लॉबिंग व फिल्डींग की जा रही है. इसके चलते अमरावती महानगरपालिका के आगामी चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. लेकिन इसी बीच चुनावी रेस में रहनेवाले कुछ प्रमुख राजनीतिक दलों के स्थानीय नेताओं द्वारा अपने पास टिकट हेतु दावेदारों की अच्छी-खासी भीड रहने के चलते और अपने खासमखास सिपहसालारों को पार्टी की टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारने की मानसिकता के तहत अब ‘पॉलिटिकल सर्वे’ की आड ली जा रही है और कई दावेदारों को फिलहाल रुकने और पार्टी के लिए समर्पित भाव से काम करने हेतु कहा जा रहा है. ऐसे में सर्वे की आड़ लेते हुए टिकट काटने का खेल शुरू होने से इच्छुक उम्मीदवारों में भारी असंतोष देखा जा रहा है, जिसका असर दिखाई देना भी शुरु हो गया है. क्योंकि अमरावती मनपा क्षेत्र में खुद को टिकट नहीं मिलने की बात स्पष्ट होते ही कई प्रबल दावेदारों ने अपनी पार्टी छोडकर दूसरी जगह से टिकट मिलने की आस के तहत दूसरी पार्टी में प्रवेश करने की मानसिकता बना ली है. ऐसे में मनपा चुनाव की फिलहाल चल रही नामांकन प्रक्रिया के दौरान अमरावती मनपा की राजनीति में ‘इनकमिंग’ और ‘आउटगोइंग’ का खेल शुरु होने की पूरी संभावना बनती दिखाई दे रही है.
बता दें कि, विधानसभा चुनाव के समय विधायक खोडके गुट व राणा गुट तथा पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख ने अपने कई कार्यकर्ताओं को अपने पक्ष में प्रचार करने हेतु राजी करते समय उन्हें मनपा चुनाव के समय पार्टी की टिकट दिलाने का आश्वासनरुपी ‘लॉलिपॉप’ थमाया था. ऐसे में अपने-अपने नेताओं की इस ‘पक्की जुबान’ पर भरोसा करने के साथ ही कार्यकर्ताओं का चुनाव कहे जाते मनपा चुनाव के समय खुद को टिकट मिलने की आस में कई कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने नेताओं के पक्ष में जमकर काम किया था. खास बात यह भी थी कि, उस समय कई नेताओं ने प्रभाग स्तर पर मजबूत पकड रखनेवाले अपने कार्यकर्ताओं के घर पर खुद 10 से 12 चक्कर काटने के साथ ही उनके यहां अपने विशेष दूत भी भेजे थे और उस वक्त किसी अन्य पार्टी में रहनेवाले कुछ प्रभावी कार्यकर्ताओं एवं पूर्व पार्षदों को मनपा चुनाव के समय टिकट की आस दिखाते हुए अपने पाले में भी किया गया था. परंतु अब वही नेता मनपा चुनाव के लिए शहर में हुए तथाकथित सर्वे का हवाला देकर अपनी जुबान पलटते नजर आ रहे हैं.
सूत्रों के अनुसार, पार्टी नेतृत्व द्वारा कराए जा रहे तथाकथित सर्वे के नाम पर स्थानीय नेताओं की ओर से मनपा चुनाव में पार्टी की टिकट हेतु प्रबल दावेदार रहनेवाले कई कद्दावर कार्यकर्ताओं को किनारे लगाया जा रहा है. इससे जमीनी स्तर पर काम कर रहे कार्यकर्ताओं और इच्छुकों में मायूसी का माहौल है. कई स्थानों पर यह चर्चा जोरों पर है कि सर्वे रिपोर्ट मनमाफिक तैयार कर टिकट वितरण की दिशा तय की जा रही है.
दैनिक ‘अमरावती मंडल’ द्वारा विगत दो दिनों से अलग-अलग राजनीतिक दलों की इस ‘सर्वे’नीति का अपने स्तर पर सर्वे करते हुए जमिनी स्तर पर स्थिति के आकलन का प्रयास किया गया है. जिसके तहत पता चला है कि, सर्वे का आधार लेकर इच्छुक दावेदारों का टिकट काटने में भाजपा सहित अजीत पवार गुट वाली राकांपा यानि खोडके गुट सबसे आगे है. जिसके तहत जहां एक ओर भाजपा द्वारा सर्वे के साथ-साथ अन्य दो घटक दलों के साथ होनेवाली संभावित युति की वजह को आगे कर टिकट हेतु कतार में रहनेवाले कई प्रबल दावेदारों को फिलहाल संयम बरतने की सलाह दी जा रही है. वहीं दूसरी ओर मनपा चुनाव में ‘एकला चलो’ की भूमिका अपनाते हुए आगे बढ रही है. अजीत पवार गुट वाली राकांपा का नेतृत्व कर रहे विधायकद्वय खोडके दंपति द्वारा भी अपने इच्छुक दावेदारों को शहर में पार्टी की ओर से कराए गए सर्वे का एकतरह से धाक बताते हुए उसी आधार पर टिकट वितरण होने की बात कही जा रही है. इसके अलावा बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक रवि राणा विगत लंबे समय से मनपा चुनाव के लिए उनकी युवा स्वाभिमान पार्टी का भाजपा के साथ गठबंधन करने की आस में है. जिसके चलते भले ही युवा स्वाभिमान पार्टी द्वारा सभी प्रभागों से इच्छुकों के आवेदन मंगाते हुए लगभग 400 से अधिक इच्छुकों के साक्षात्कार भी लिए गए. परंतु अब उन्हीं इच्छुकों को भाजपा के साथ होनेवाली संभावित युति की वजह बताते हुए युति के तहत खुद को मिलनेवाली सीटों पर ही अपने दमदार प्रत्याशी खडे करने की बात कही जा रही है. साथ ही साथ जिन सीटों पर प्रत्याशी खडे करने होंगे, वहां पर प्रत्याशियों के नाम तय करने हेतु सर्वे रिपोर्ट का ही सहारा लिए जाने की बात भी कही जा रही है. इसके साथ ही साथ इस बार मनपा में सत्ता परिवर्तन करने का दावा कर रही कांग्रेस में भी स्थिति कोई अलग नहीं है. कांग्रेस ने मनपा की सभी 87 सीटों पर प्रत्याशी खडे करने की घोषणा करने के साथ ही इच्छुकों के आवेदन मंगाने के उपरांत उनके साक्षात्कार की प्रक्रिया भी निपटाई, परंतु कांग्रेस ने भी अपने संभावित दावेदारों के नामों की अब तक कोई सूची जारी नहीं की है. जिसके पीछे कांग्रेस की ओर से तर्क दिया गया कि, नाम घोषित करने से भाजपा द्वारा उनके दावेदारों को अपने पक्ष में करने का प्रयास हो सकता है. वहीं गत रोज कांग्रेस के संसदीय दल की बैठक मुंबई स्थित पार्टी के प्रदेश कार्यालय में हो चुकी है. लेकिन इसके बावजूद प्रत्याशियों के नाम घोषित नहीं हुए है, बल्कि अब यह जानकारी भी सामने आ रही है कि, कांग्रेस की ओर से भी टिकट तय करने हेतु पार्टी की ओर से कराए गए सर्वे की रिपोर्ट का आधार लिया जा रहा है. खास बात यह है कि, इस समय मनपा चुनाव में कांग्रेस का नेतृत्व कर रहे पूर्व मंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने पिछला विधानसभा चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर लडा था और उस समय उन्होंने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को मनपा चुनाव में कांग्रेस की टिकट देने का आश्वासन भी दिया था. परंतु सर्वे रिपोर्ट के आगे वह आश्वासन अब ‘हवा-हवाई’ साबित हो रहा है.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नेताओं की इस ‘सर्वे नीति’ का शिकार हो रहे इच्छुकों में नाराज़गी इतनी बढ़ सकती है कि आने वाले दिनों में दल-बदल का दौर भी शुरू हो जाए. कुछ दावेदारों द्वारा वैकल्पिक राजनीतिक मंच की तलाश किए जाने की भी चर्चाएं सामने आ रही हैं. इस पूरे घटनाक्रम का असर अमरावती मनपा चुनाव की राजनीति पर साफ दिखाई देने लगा है. कयास लगाए जा रहे हैं कि यदि असंतोष इसी तरह बढ़ता रहा तो चुनावी समीकरणों में बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है. फिलहाल सर्वे बनाम टिकट को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है.

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