आपूर्ति के ट्रेडींग कंपनी की भागिदारी रद्द की जाए

राशन दुकानदारों की मांग

नागपुर/दि.5 -राशन दुकान का नाम और लाइसेंसधारक का नाम बदलकर ट्रेडींग कंपनी व भागिदारी करने का कारनामा आपूर्ति विभाग मंत्रालय में जोरों पर शुरु है. यह सभी काम पैसे खर्च करने वाले अमीर लोगों का ही है, इसलिए गरीब दुकानदारों पर अन्याय हो रहा है. यह आरोप करते हुए आपूर्ति विभाग की यह गडबडी तुरंत रोकें और इन दोनों संदर्भ में निकले आदेश रद्द करने की मांग ऑल महाराष्ट्र फेयर प्राईज शॉपकीपर फेडरेशन के विभागीय अध्यक्ष संजय पाटील ने पत्र परिषद के माध्यम से की.
सार्वजनिक वितरण व्यवस्था व बाद में खाद्य सुरक्षा कानून बनाया गया. राशन दुकान मंजूर करने के बाद उसका नाम व मालिक बदल नहीं सकते. मालिक की मृत्यु होने पर उनके वारिस के नाम दुकान करने का नियम अस्तित्व में है. ट्रेडींग व भागिदारी किस नियम से की जा रही है? यह सवाल करते हुए यह सभी मामला अनधिकृत है. 2013 से शुरु यह मामला नियमबाह्य होकर संबंधित विभाग के तत्कालीन मंत्री अनिल देशमुख के पास पुनर्निरीक्षण आवेदन किया गया था. इस आवेदन पर कक्ष अधिकारी दिलीप वर्णारे ने हस्ताक्षर किए थे. इस आदेश की जांच करने की मांग इस समय की गई. शुरुआत में 2013 के आदेश को नकारा गया, परंतु बाद में नागपुर में लीलाधर वाडेकर आपूर्ति अधिकारी थे तब 2019 में मंजूर कर दुकान में यह नई प्रथा शुरु की गई थी. सरकार के आदेश योग्य होंगे तो बीच के पांच वर्ष की अवधि में वह क्यों शुरु नहीं किया गया, यह सवाल भी पत्र-परिषद में किया गया. वाडेंकर ने सेवानिवृत्ति की अवधि में इस मार्ग का दुरुपयोग करने का आरोप करते हुए इस मामले की जांच की जाए और दोषियों पर कडी कार्रवाई करने की मांग की गई. इस समय पाटील समेत दिनेश तानवे, सैयद मुस्ताक, संगीता टेंभुर्णे, संगीता उके, गुलशन तानवे आदि उपस्थित थे.

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