औद्योगिकी के उपयोग से प्रशासन में सुगमता आए – संभागीय आयुक्त डॉ. श्वेता सिंघल

संभागीय राजस्व सम्मेलन में विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा

अमरावती /दि.19 संभागीय राजस्व सम्मेलन का आयोजन दोतरफ़ा संवाद के लिए किया गया है. इसलिए, मैदानी स्तर पर सीधे काम करते समय आने वाली कठिनाइयों और उनके समाधान पर चर्चा करना ज़रूरी है. चूंकि तकनीक प्रशासन में आसानी लाती है, इसलिए पारदर्शी और गतिशील कामकाज के लिए ई-ऑफिस और अन्य तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए, ऐसा आवाहन संभागीय आयुक्त डॉ. श्वेता सिंघल ने किया. आज संभागीय आयुक्त कार्यालय में एक दिवसीय संभागीय राजस्व सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस अवसर पर मार्गदर्शन देते हुए वे बोल रही थीं. इस अवसर पर अमरावती के जिलाधिकारी आशीष येरेकर, बुलढाणा की जिला जिलाधिकारी डॉ. किरण पाटिल, यवतमाल के जिलाधिकारी विकास मीणा, अकोला की जिलाधिकारी वर्षा भीना, अतिरिक्त आयुक्त सूरज वाघमारे, अजय लहाने और अन्य गणमान्य व्यक्ति मंच पर उपस्थित थे.
संभागायुक्त डॉ. सिंघल ने कहा कि राज्य सरकार ने राजस्व प्रशासन को 17 सितंबर से 2 अक्तूबर तक सेवा पखवाड़े के दौरान विभिन्न जन-सम्पर्क गतिविधियों के क्रियान्वयन के निर्देश दिए हैं. इस अवसर पर मैदानी स्तर पर कार्यरत राजस्व अधिकारियों के लिए प्रशासनिक कार्य को सुगम बनाने हेतु प्रशिक्षण राजस्व सम्मेलन का आयोजन किया गया है. इस प्रशिक्षण सत्र में राजस्व अधिकारियों के लिए सदैव उपयोगी विषयों का चयन किया गया है, जिन पर यहां मंथन किया जाएगा. अधिकारीगण दिनभर संवाद पर ध्यान केंद्रित करें तथा उपस्थित लोगों की शंकाओं का समाधान करने का प्रयास करें. सभी प्रतिभागी अपनी प्रतिक्रियाएं दर्ज करें. इस प्रतिक्रिया को दर्ज करते समय वे समय निकालकर फीडबैक दें कि यह एक मार्गदर्शक होगा, सेवा और स्थापना महत्वपूर्ण पहलू हैं. इन दोनों को मार्गदर्शन सत्र में शामिल किया गया है.
सरकार के 150 दिवसीय कार्यक्रम में हमारी सरकार और ई-ऑफिस के उपयोग पर जोर दिया गया है. इसलिए, कार्यालयों की वेबसाइट और ई-ऑफिस का उपयोग करना और इसे अपग्रेड करना आवश्यक है. जिला प्रशासन को प्रशासनिक कार्यों के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्र और डैशबोर्ड बनाने चाहिए. सेवा पखवाड़े के दौरान मुख्य रूप से पगडंडी सड़कें और आवास परियोजनाएं शुरू की गई हैं. संबंधित जिलाधिकारियों को इन दोनों क्षेत्रों के तहत लंबित और नियोजित कार्यों को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए. पगडंडी सड़कों के लिए एक मंडल से एक गांव का चयन किया जाना चाहिए और इस पहल को वहां सचेत रूप से लागू किया जाना चाहिए, भूमि अभिलेख विभाग से मौजूदा पगडंडी सड़कों के नक्शे लेकर वेब पोस्टिंग और जियो टैगिंग का काम पूरा किया जाना चाहिए. सभी को अभिनव पहल को लागू करने की पहल करनी चाहिए. साथ ही, संभागीय आयुक्त ने अपनी अपेक्षा व्यक्त की कि सम्मेलन में विचार-मंथन के बाद नागरिकों के जीवन को आसान बनाने के उपाय सुझाए जाने चाहिए.
अपर आयुक्त अजय लहाने ने परिचय दिया और राजस्व परिषद के गठन के उद्देश्य और रूपरेखा पर प्रकाश डाला. सम्मेलन के प्रथम सत्र में संयुक्त आयुक्त किरण पानबुडे ने भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास अधिनियम पर विस्तृत मार्गदर्शन दिया. उन्होंने भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास अधिनियम के अंतर्गत भूमि अधिग्रहण, संयुक्त माप-जोख, प्रारंभिक अधिसूचना पर प्राप्त आपत्तियों की सुनवाई, धारा-19 के अंतर्गत अंतिम अधिसूचना, संबंधित व्यक्तियों को नोटिस और उस पर जांच, धारा 23 के अंतर्गत जिलाधिकारी द्वारा जांच और भूमि अधिग्रहण का निर्णय, मुआवजे का विभाजन और उससे संबंधित विवाद, धारा-28 के अंतर्गत विचार किए जाने वाले मानदंड, भूमि या भवन से जुड़ी चीजों का मूल्यांकन आदि महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत मार्गदर्शन दिया. उन्होंने पुनर्वास अधिनियम-1999 के अंतर्गत प्रदान की जाने वाली नागरिक सुविधाएं, नागरिक सुविधा कार्यों की गुणवत्ता का निरीक्षण और हस्तांतरण, पुनर्वासित ग्राम स्टेशन को राजस्व ग्राम का दर्जा प्रदान करना आदि महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत मार्गदर्शन दिया. प्रशिक्षण के प्रथम सत्र में बुलढाणा के जिला कलेक्टर ने 150 दिवसीय कार्ययोजना के अंतर्गत ’ई-गवर्नेंस सुधार एवं नवीन पहल’ विषय पर मार्गदर्शन दिया. अमरावती के जिलाधिकारी आशीष येरेकर ने ’ पगडंडी सड़कों से संबंधित राजस्व प्रक्रिया’, यवतमाल के जिलाधिकारी विकास मीना ने ’जीपीएस एवं एआई आधारित स्मार्ट अटेंडेंस एवं गतिविधि प्रबंधन प्रणाली’ विषय पर विस्तार से मार्गदर्शन दिया. सहायक संचालक (तालमेल) संतोष कंदेवार ने ’कैश बुक संभालते समय बरती जाने वाली सावधानियां’ विषय पर मार्गदर्शन दिया. प्रशिक्षण के दूसरे सत्र में भूमि आवंटन मामलों से निपटने, शर्तों के उल्लंघन के मामलों से निपटने, वर्ग-1 से वर्ग-2 में भूमि के परिवर्तन के मामलों को कवर किया जाएगा.

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