बाल विवाह होने पर सरपंच और पुलिस पाटिल जिम्मेदार
पत्र-परिषद में जिलाधीश ने कहा

अमरावती/दि.19 – बाल विवाह रोकने के लिए जिला प्रशासन 1 जनवरी से बाल विवाह मुक्त जिला अभियान चलाया जाएगा. इस अभियान के तहत, बाल विवाह होने वाले गांव के सरपंच और पुलिस पाटिल को भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा. जिलाधिकारी आशीष येरेकर ने गुरुवार को पत्र-परिषद में यह जानकारी दी. इस समय जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजीता मोहपात्रा भी उपस्थित थीं.
जिले में 1 जनवरी से एक विशेष अभियान चलाया जाएगा. जिले में बाल विवाह की उच्च दर शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर और कुपोषण का एक प्रमुख कारण है. इसलिए, बाल विवाह की रोकथाम के संबंध में समाज में जागरूकता पैदा करना आवश्यक है. तदनुसार बाल विवाह मुक्त जिला अभियान में शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ-साथ स्थानीय सरपंच, सदस्य और पुलिस पाटिल भी शामिल होंगे. इसके तहत बाल विवाह मुक्त ग्राम पंचायत अभियान चलाया जाएगा.
* कम उम्र में गर्भावस्था जोखिम भरी
बाल विवाह के कारण लडकी कम उम्र में ही गर्भवती हो जाती है. कम वजन और अन्य कारणों से उसका बच्चा भी कुपोषण का शिकार हो जाता है. अगर वह तुरंत दूसरी बार गर्भवती हो जाती है, तो उस नाबालिग लडकी की हालत और भी गंभीर हो जाती है. इसलिए, बाल विवाह को रोकना आवश्यक है, ऐसा जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजीता मोहपात्रा ने बताया. ग्राम सभा में भी बाल विवाह के प्रति जागरूकता अभियान चलाया जाएगा.
* बाल विवाह रोकने में विफल
ताबाल विवाह कानून के तहत अपराध है. हालांकि, यह केवल दो साल के भीतर ही मान्य है. प्रशासन ने 25 बाल विवाहों को रोकने में सफलता प्राप्त की है. हालांकि, नाबालिग लडकियों में जन्म दर कहीं अधिक है. इसलिए, ऐसा प्रतीत होता है कि जिला प्रशासन अब तक बाल विवाहों को रोकने में विफल रहा है.





