श्रमिकों के काम के घंटे बढेंगे

अधिक वेतन का लाभ भी मिलेगा

* कामगार कानून में बदलाव, 9 घंटे से 12 घंटे को मंजूरी
* श्रमिकों में असंतोष
अमरावती /दि.12 – महाराष्ट्र सरकार राज्य के श्रम कानूनों में बदलाव कर रही है, जिसके तहत अब कारखानों में काम के घंटे नौ घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे और दुकानों व अन्य प्रतिष्ठानों में काम के घंटे दस घंटे कर दिए जाएँगे. हालांकि इस फैसले के फायदे और नुकसान तो इसके लागू होने के बाद ही पता चलेंगे, लेकिन इस फैसले से लोगों में नाराजगी भी है.
ज़िले में एमआईडीसी तो हैं, लेकिन उद्योग कम ही हैं. बड़े उद्योग न होने की वजह से काम की तलाश में पलायन करने वालों की संख्या ज़्यादा है. कंपनी में काम करने के बाद मज़दूरों को चार पैसे मिलते हैं. इसी से परिवार का गुज़ारा होता है. अब सरकार ़फैक्टरियों में काम के घंटे 9 से बढ़ाकर 12 घंटे और दुकानों व अन्य प्रतिष्ठानों में 9 से बढ़ाकर 10 घंटे करने का ़फैसला ले रही है. इस ़फैसले से उत्पादन तो बढ़ेगा, लेकिन कहा जा रहा है कि इससे मज़दूरों को नुकसान होगा.

* फैसला क्यों?
राज्य सरकार ने यह निर्णय व्यापारियों को सहायता करने के लिए लिया है. सरकार को उम्मीद है कि इससे व्यवसायों को अपनी ज़रूरतों के हिसाब से काम के घंटे समायोजित करने में मदद मिलेगी. इससे विनिर्माण, आतिथ्य और सेवा उद्योगों को फ़ायदा होगा.

* ओवरटाइम के पैसे
यदि श्रमिक 12 घंटे से अधिक काम करते हैं तो उन्हें ओवरटाइम वेतन मिलना चाहिए.

* श्रमिकों के फायदे और नुकसान क्या?
– फायदे: काम के घंटे बढ़ने के कारण ओवरटाइम के ज़रिए मज़दूरों को ज़्यादा कमाने का मौका मिलता है. कुछ मज़दूर ज़्यादा घंटे काम कर पाते हैं और हफ़्ते में ज़्यादा छुट्टियां ले पाते हैं. एक विकल्प उपलब्ध है.
– नुकसान: लगातार 12 घंटे काम करने से कर्मचारियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है. लंबे समय तक काम करने से व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन पर नकारात्मक असर पड़ सकता है.

* श्रमिकों वाले प्रतिष्ठानों में लागू नियम
दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों में काम के घंटे 9 घंटे से बढ़ाकर 10 घंटे कर दिए गए हैं. इस बदलाव से मुख्य रूप से 20 से अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों को लाभ होगा.

* 56 घंटे काम के लिए एक अवकाश
यदि कोई श्रमिक किसी कारखाने या प्रतिष्ठान में 56 घंटे काम करता है, तो संबंधित श्रमिक को एक प्रतिस्थापन अवकाश दिया जाना चाहिए.

* श्रमिकों का शोषण बढ़ेगा
इस बदलाव से श्रमिकों का शोषण बढ़ेगा और उन्हें अतिरिक्त काम का उचित पारिश्रमिक नहीं मिलेगा. श्रमिकों का आरोप है कि श्रम कानूनों में बदलाव उद्यमियों के हित में है, न कि श्रमिकों के हित में.

* अब दुकानों-प्रतिष्ठानों में 9 से 10 घंटे काम
दुकानों और प्रतिष्ठानों में काम के घंटों की सीमा 9 घंटे से बढ़ाकर 10 घंटे कर दी गई है.

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