मनपा क्षेत्र में 339 शालाएं, लाखों विद्यार्थी और केवल 626 स्कूल बस
ऑटो रिक्शा की संख्या 23,110

* शहर ट्रैफिक शाखा का कहना : पालक अपने पाल्यों को ऑटो में भेजे अपनी जिम्मेदारी पर
* निजी शालाओं के स्कूल बस का किराया मनमाने तरीके से
* अनेक शालाओं में स्कूल बस नहीं, बिना समीक्षा के लिया गया अफलातून निर्णय
* अनेक गरीब परिवार नहीं अदा कर सकते स्कूल बस का किराया
अमरावती/दि.19 – मंगलवार 17 जून को शहर ट्रैफिक शाखा ने शालेय विद्यार्थियों को ऑटो रिक्शा में ले जाने पर पाबंदी लगाने का बिना कोई पूर्व सूचना के अचानक अफलातून निर्णय ले लिया. लेकिन इस निर्णय का सभी तरफ कडा विरोध हो रहा है. अमरावती मनपा क्षेत्र में मनपा सहित कुल 339 शालाएं है. जिसमें लाखों विद्यार्थी शिक्षा ले रहे है और स्कूल बस केवल 626 है. इस कारण इतने विद्यार्थियों को स्कूल बस में ले जाने का नियोजन नहीं हो सकता. जबकि ऑटो रिक्शा 23,110 है. अनेक गरीब परिवार के विद्यार्थी स्कूल बस का किराया वहन नहीं कर सकते. इस कारण पालक अपने पाल्यों को ऑटो रिक्शा में शाला भेजते है और कुछ पालक अपने ही वाहन से पाल्यों को शाला में ले जाते है. ऐसे में शहर यातायात शाखा द्वारा लिये गये निर्णय का विरोध होता रहने से अब ट्रैफिक शाखा के अधिकारियों का कहना है कि, पालक अपने पाल्यों को अपनी जिम्मेदारी पर ऑटो रिक्शा में भेज सकते है, लेकिन ऑटो रिक्शा चालक मनमाने तरीके से ऑटो में विद्यार्थियों को ठूंसकर ले जाता है, तो उसके खिलाख यातायात नियमों का उल्लंघन करने की कार्रवाई होगी.
गत मंगलवार 17 जून को शहर यातायात शाखा के सहायक पुलिस आयुक्त संजय खताले और निरीक्षक रिता उईके, ज्योति विल्हेकर और प्रवीण वांगे ने मनपा क्षेत्र के स्कूल बस संचालक और ऑटो रिक्शा चालकों की पुलिस आयुक्त कार्यालय में आगामी दिनों में शालाएं शुरु होने वाली रहने से बैठक बुलाई थी. इस बैठक में यातायात नियमों का पालन करने और विद्यार्थियों की सुरक्षा की दृष्टि से उपाय योजना बाबत चर्चा हुई. स्कूल बस के लिए आरटीओ कार्यालय से परमिट दिया जाता है और विद्यार्थियों के आवागमन की अनुमति दी जाती है. वहीं ऑटो रिक्शा का परमिट एक ही रहता है. उन्हें विद्यार्थियों को शाला में लाने और ले जाने का अलग से परमिट नहीं दिया जाता. ऐसे में अनके पालक जो स्कूल बस का किराया नहीं अदा कर सकते, वे अपने पाल्यों को ऑटो रिक्शा में शाला में भेजते है. अनेक पालक ऐसे है, जो अपने पाल्यों को खुद ही अपने वाहन में शाला में छोडना और ले जाना करते है. अमरावती मनपा क्षेत्र में यदि शालाओं की संख्या का विचार किया जाये, तो मनपा शाला और निजी शाला सहित कुल 339 शालाएं है. इन शालाओं में नर्सरी से लेकर कक्षा 12 वीं तक लाखों विद्यार्थी शिक्षा ले रहे हैं. शहर में मनपा शालाओं की संख्या कुल 63 है. इनमें प्राथमिक शालाएं 58 और 5 माध्यमिक शालाएं है. मनपा की इन 63 शालाओं में 11,371 विद्यार्थी शिक्षा ले रहे हैं. इन 63 मनपा शालाओं के अलावा 4 जिला परिषद और 2 शासकीय शालाएं है. इसके अलावा सभी निजी शालाएं है. मनपा क्षेत्र की इन 339 शालाओं में लाखों विद्यार्थी शिक्षा ले रहे है. जबकि स्कूल बसों की संख्या केवल 626 है और ऑटो रिक्शा 23110 है. अनेक विद्यार्थी काफी दूरी से शालाओं में शिक्षा लेने आते है. इनमें अनेक विद्यार्थी गरीब परिवार के है. वे प्रतिमाह स्कूल बस का किराया अदा नहीं कर सकते. इस कारण पालक अपने पाल्यों को ऑटो रिक्शा से अथवा सिटी बस या फिर साइकिल से शाला भेजते है. करीबन 20 फीसद पालक अपने पाल्यों को अपने निजी वाहन से शाला में छोडते है और वापस ले जाते है. शहर की यह शाला, स्कूल बस और ऑटो रिक्शा की व्यवस्था रहते शहर यातायात शाखा द्वारा ऑटो रिक्शा में शालेय विद्याार्थियां को बैठाने की पाबंदी लगाये जाने के निर्णय का सभी तरफ विरोध हो रहा है. ऑटो यूनियन संगठना इस बात का विरोध कर रही है. इन विरोध के चलते शहर यातायात शाखा के अधिकारियों का कहना है कि, पालक यदि अपने पाल्यों को ऑटो रिक्शा में शाला में भेजते है, तो वे इस पर कुछ नहीं कर सकते, लेकिन ऑटो रिक्शा चालक शालेय विद्यार्थियों को मनमाने तरीके से ठूंसकर शालाओं में लाना और ले जाना करते है. यदि यातायात नियमों का उल्लंघन करता कोई भी ऑटो चालक दिखाई देता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
* ऑटो में विद्यार्थी को नहीं बैठाना क्या सरकारी नियम है?
शहर यातायात शाखा द्वारा शालाएं खुलने के एक सप्ताह पूर्व बिना कोई समीक्षा किये शालेय विद्यार्थियों को ऑटो रिक्शा में ले जाने पर पाबंदी लगाने का निर्णय लिये जाने से पालकों में तीव्र असंतोष व्याप्त है. ऑटो रिक्शा में विद्यार्थियों को बैठाने की पाबंदी यह सरकारी निर्णय अथवा नियम नहीं है. अनेक विद्यार्थी ऐसे है जो शाला से देरी से छूटने के बाद खुद ही ऑटो रिक्शा अथवा सिटी बस में बैठकर घर पहुंचते है. उन्हें क्या ट्रैफिक जवान ऑटो रिक्शा में बैठने से रोक सकते है? ऐसे अनेक सवाल है. जिसका किसी के पास कोई जवाब नहीं है.
* मनपा शालाओं में स्कूल बस नहीं
अमरावती मनपा शालाओं की संख्या कुल 63 है. जिसमें 11 हजार 371 विद्यार्थी शिक्षा ले रहे है. इनमें प्राथमिक शाला 58 है. जिसमें करीबन 10 हजार 371 विद्यार्थी है. मनपा की इन शालाओं में पढने वाले विद्यार्थियों को उनके घर से शाला तक लाने और ले जाने के लिए मनपा प्रशासन के पास स्कूल बस नहीं है. मनपा की इन शालाओं में गरीब परिवार के बच्चे शिक्षा लेते है. इन विद्यार्थियों के पालक स्कूल बस का किराया भी नहीं दे सकते. इस कारण इनमें से सैकडों विद्यार्थी ऑटो रिक्शा से ही शाला में आते है और कुछ पालक अपने पाल्यों को अपने निजी वाहन से शाला में छोडते है. इस कारण शहर यातायात शाखा को इन बातों का विचार करना भी जरुरी है.
* स्कूल बस के किराये पर अंकुश नहीं
मनपा क्षेत्र में कुल 339 शालाओं में से 270 निजी शालाएं है. इनमें से कुछ निजी शालाओं को छोड दिया जाये, तो अधिकांश शालाओं के पास खुद की स्कूल बसेस है. लेकिन शाला व्यवस्थापन विद्यार्थियों को स्कूल बस से लाने और ले जाने का प्रतिमाह का किराया दो से ढाई हजार रुपए लेते है. कुछ स्कूल बस का किराया 1500 से 2 हजार रुपए भी है. लेकिन ऑटो रिक्शा का किराया स्कूल बस से कम है. इस कारण अनेक पालक अपने पाल्यों को ऑटो रिक्शा मेें शाला भेजना पसंद करते है. इन निजी स्कूल बस के किराए पर किसी का अंकुश नहीं है. शाला व्यवस्थापन मनमाने तरीके से विद्यार्थियों से किराया वसूल करता है. जिसका अनेक बार विरोध भी हुआ है. लेकिन इस बात पर ध्यान देकर शहर यातायात शाखा कोई कार्रवाई नहीं करता.
* ऐसा कोई नियम नहीं
ऑटो रिक्शा में शालेय विद्यार्थी बैठ सकते है. हम उन्हें रोक नहीं सकते और ऐसा कोई नियम नहीं है. नियमानुसार ऑटो रिक्शा में तीन यात्री बैठाये जा सकते है. लेकिन विद्यार्थी पांच बैठ सकते है. किंतु ऑटो रिक्शा चालक इन नियमों को नजरअंदाज कर मनमाने तरीके से विद्यार्थियों को ऑटो रिक्शा में बैठाते है. जिससे नन्हे विद्यार्थियों की सुरक्षा का प्रश्न भी निर्माण होता है. इस कारण ऑटो रिक्शा चालकों ने भी यातायात नियमों का पालन करना चाहिए. हम केवल फिटनेस और लाईसेंस को लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकते है.
– पेंढारकर, मोटार वाहन निरीक्षक,
आरटीओ कार्यालय.
* यह पालकों को तय करना है
ऑटो रिक्शा चालक उन्हें विद्यार्थियों को यातायात नियमों का उल्लंघन कर बडी संख्या में ऑटो रिक्शा में बैठाते है. ऐसे में विद्यार्थियों की सुरक्षा का प्रश्न भी निर्माण होता है. पालकों को तय करना है कि, उन्हें अपने पाल्यों को शाला में किस वाहन से भेजना है. यह उनकी जिम्मेदारी है. स्कूल बसों की संख्या मनपा क्षेत्र में निश्चित रुप से कम है. लेकिन अनेक पालक अपने पाल्यों को अपने निजी वाहन से ही शालाओं में लाना और ले जाना करते है. ऑटो रिक्शा में यदि विद्यार्थियों की संख्या अधिक दिखाई दी, तो शहर यातायात शाखा नियमानुसार कार्रवाई करेगा.
– संजय खताले,
एसीपी, शहर यातायात शाखा.
* हमारा विरोध नहीं
कोई पालक अपने पाल्यों को ऑटो रिक्शा में शाला भेजते है, तो हमारा विरोध नहीं है. लेकिन यह भी देखना चाहिए कि, ऑटो रिक्शा संचालक क्या यातायात नियमों का पालन कर ऑटो में उतनी संख्या में ही विद्यार्थी बैठाते है? हम विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर कोई भी निर्णय अथवा कार्रवाई करते है. यह तो पालकों को तय करना है कि, उन्हें अपने पाल्य शाला में स्कूल बस से भेजना है अथवा ऑटो रिक्शा से. यदि हमें कोई ऑटो रिक्शा में विद्यार्थियों की संख्या ज्यादा दिखाई देगी, तो हम निश्चित रुप से कार्रवाई करेंगे.
– रिता उईके,
निरीक्षक, शहर यातायात शाखा.





