चहूंओर गणपति का जय- जयकार, मोरया- मोरया का गगनभेदी निनाद
आले रे आले गणपति बाप्पा आले.....

* घर-घर और मंडलों में उत्साह से विराजे विघ्नहर्ता
* शोभायात्राओं के नये स्वरूप ने बिखेरी अनूठी छटा
* आजाद हिन्द मंडल की शोभायात्रा में मातृशक्ति
* नीलकंठ मंडल ने प्रस्तुत किए पारंपरिक लोकनृत्य
* बाल गोपालों का उत्साह चरम पर
* गुलाल उडाते, ढोल ताशे की ताल पर थिरके भक्त
* गणराया का आनंदमय आगमन का उल्लास, उमंग, उत्साह सर्वत्र
अमरावती/ दि. 27- 14 विद्या और 64 कला के अधिपति रहे गणेशोत्सव का आज गणपति को ही समर्पित माने जाते बुधवार से शुभारंभ होने के कारण बच्चे- बच्चे में अभूतपूर्व उमंग, उत्साह, उल्लास, रोमांच रहा . चारों ओर गणपति बाप्पा का गगनभेदी जयकारा सुनाई पडा तो बाप्पा मोरया का पारंपरिक निनाद और माथे पर गुलाल का टीका लगाकर एवं हवा में गुलाल उछालकर प्रिय प्रथम पूज्य विघ्न विनायक की जोरदर अगवानी घरों और सार्वजनिक मंडलों में की गई. ढोल ताशे इस कदर बजाए गये कि इस निमित्त शहर समेत संपूर्ण जिले में उत्साह, जोश का वातावरण निर्माण हो गया है.
* इस वर्ष शुभ ही शुभ
इस वर्ष शुभ और पवित्रता का एहसास दिलानेवाला गणेशोत्सव 11 दिनों का है और भक्तगण व सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल के पदाधिकारी अपार प्रसन्न और रोमांचित नजर आए. नीलकंठ, आजाद, सराफा व्यापारी असो, स्वर्णकार संघ, आदर्श मंडल, लक्ष्मीकांत मंडल, बर्तन बाजार युवक मंडल, जवाहर युवक मंडल सहित परकोटे के भीतर मंडलों की स्थापना शोभायात्राएं अद्बितीय उत्साह से प्रारंभ हो गई हैं. घोषणा के अनुरूप आजाद हिन्द मंडल बुधवारा की शोभायात्रा में मातृशक्ति पारंपरिक रूप से सज धज कर श्री की अगवानी हेतु जुलूस में उत्साह से सहभागी हुई है. युवतियां लेझीम नृत्य की प्रस्तुति देकर आनंद व्यक्त कर रही है.
* घरों मेें विराजे गणपति
कई लोग गणेश चतुर्थी की पूर्व संध्या पर गणेश प्रतिमाएं अपने घर ले आए. हालांकि हम पिछले कुछ वर्षों से बारिश और यातायात जाम का सामना कर रहे है. इसलिए लोग व्यस्त समय में भीड से बचने के लिए गणेश प्रतिमाओं को अपनी सुविधा के मुताबिक लाने और आज दोपहर के शुभ मुहूर्त में पुरोहितों के मंत्रोच्चार के साथ गणपति की स्थापना गाजे बाजे से की गई.
* माथे पर बाप्पा मोरया की पट्टी
बाल गोपाल और युवा कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने मोहल्ले, कॉलोनी के सार्वजनिक गणपति को लाने से पूर्व जोरदार जोश दिखाया. माथे पर बाप्पा मोरया की पट्टियां लगाकर युवा जोशपूर्ण अंदाज में निकले हैं. उनका उत्साह देखते ही बना. उसी प्रकार नेहरू मैदान हो या राजापेठ अथवा गाडगे नगर, रवि नगर के दूरदराज के मूर्तियों के मार्केट में मिट्टी के अत्यंत आकर्षक रूप के गणपति रहने से बच्चों को चॉइस मिली और अपना पसंद का गणपति माता- पिता के साथ जाकर उन्होंने उत्साह से एवं श्रध्दा से घरों में स्थापना की.
पगडी और पारंपरिक वेशभूषा
प्रिय बाप्पा की अगवानी के लिए अनेक कुलीन घरों में पारंपरिक पोशाख के साथ पगडी भी धारण की गई थी. महिलाओं ने भर जरी की साडियों का परिधान किया था. ढोलक और झांझ, मंजीरे बजाते हुए, शंखनाद करते हुए गणपति बाप्पा को लाया और जय गणेश देवा की उंचे स्वर में आरती करते हुए विराजमान किया. अब 10 दिनों तक बाप्पा की आवभगत भी होगी. इन घरों में बीजेपी नेता प्रवीण वैश्य, विवेक चुटके, संघ के पवन नयन जायसवाल, महेंद्र भूतडा, प्रवीण साबले का समावेश हैं. उसी प्रकार राजनेताओं सर्वश्री डॉ. अनिल बोंडे, संजय खोडके, प्रीति संजय बंड, प्रवीण तायडे, प्रताप अडसड के निवास पर उत्साह से गणपति पूजन और स्थापना की गई.
* नीलकंठ में विठ्ठल नगरी और विदर्भ के राजा राजमहल में
शहर के खापर्डे बंगीचा स्थित न्यू आजाद गणेशोत्सव मंडल में हर वर्ष की तरह विदर्भ के राजा राजमहल में विराजमान हुए हैं. राजा के दर्शन के लिए आनेवाले भक्तगणों को कतारबध्द तरिके से सुविधा की गई है. इस वर्ष भी 1001 किलो मोतीचूर लड्डू का भोग अर्पण किया जाएगा. यहां अगले दिन से ही श्रध्दालुओं की दर्शनार्थ अपार भीड रहती है. इस कारण शाम से यह मार्ग वाहनों की आवाजाही के लिए बंद किया जाता है. इसी तरह परकोट के भीतर पुराना अमरावती के बुधवारा के नीलकंठ व्यायाम शाला, आजाद हिंद मंडल तथा लक्ष्मीकांत मंडल में श्री की स्थापना शोभायात्रा भी वारकरी अंदाज में निकली हैं. जिसमें रिंगन और दिंडियां हैं. विठ्ठल और रूक्मिणी माई के दर्शन इस वर्ष आकर्षण का केंद्र हैं. परकोटे के भीतर गणेश भक्तों का उत्साह चरम पर देखा गया.
* युवतियां भी जोश में, कई मंडलों में प्रमुख
21 वीं सदी चल रही है. सभी क्षेत्रों में नारियां कंधे से कंधा लगाकर पुरूषों के संग कार्यरत हैं. गणेश मंडलों में भी नारी शक्ति ने अपने कंधों पर जिम्मेदारी ली है. कई मंडलों में आज शोभायात्रा दौरान साफ देखा गया कि महिला वर्ग ने उत्साह से स्थापना शोभायात्रा में भाग लिया. बल्कि अपनी पूरी ताकत लगाकर गणपति बाप्पा मोरया का जयघोष किया. गुलाल उछाला. पथक की ताल पर थिरक कर आनंद व्यक्त किया. युवतियां इस उत्साह, उल्लास में आगे रही. उल्लेखनीय है कि घर घर में युवतियों ने भी चांव से प्रिय बाप्पा के वास्ते सिंहासन और झांकी सजाई.





