जिले में ‘लम्पी’ संक्रमण नहीं, कुछ जिलों में इस रोग का प्रकोप

विषाणू के कारण गोवंश में फैलता है यह स्किन डीसीज

अमरावती /दि. 26 – जिले में भले ही गांठदार त्वचा रोग (लम्पी स्किन डिजीज) का प्रवेश नहीं हुआ है, लेकिन कुछ अन्य जिलों में पशुओं को गांठदार त्वचा रोग (लम्पी स्किन डिजीज) की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. इस वायरल बीमारी के कारण पशुओं की त्वचा पर गांठें पड़ जाती हैं और दूध उत्पादन कम होने से आर्थिक नुकसान होता है.

* गांठदार रोग के कारण, लक्षण और निदान?
गांठदार रोग मुख्यतः मच्छरों, मक्खियों और मच्छरों जैसे कीड़ों के काटने से फैलता है. प्रभावित पशु की त्वचा पर गांठें पड़ जाती हैं. उसे बुखार हो जाता है, उसकी भूख और पानी का सेवन कम हो जाता है. नाक और मुंह से चिपचिपा स्राव निकलता है. प्रभावित पशुओं का तुरंत टीकाकरण, संगरोध (आइसोलेशन) और अस्तबल की सफाई जैसे उपाय करने के बाद यह रोग धीरे-धीरे कम हो जाता है.

* क्या टीकाकरण के बाद भी प्रकोप हो सकता है?
गांठ रोग के टीके लगने के बाद भी पशुओं में यह रोग हो सकता है. ऐसा पड़ोसी जिलों से खरीदे गए पशुओं को बताया जा रहा है.

* कोई मवेशी बाधित नहीं
जिले में फिलहाल कहीं भी पशुओं में गांठ रोग का प्रकोप नहीं है. 97.13 प्रतिशत पशुओं का टीकाकरण हो चुका है. फिर भी ऐहतियात के तौर पर गांठ जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत पशु चिकित्सालय से संपर्क करना चाहिए.
– डॉ. पुरुषोत्तम सोलंके,
जिला पशुपालन पदाधिकारी

* कोई जानवर प्रभावित नहीं होता
वर्तमान में, जिले में कोई भी पशु संक्रमित नहीं है और पशुपालन विभाग ने पशुओं का टीकाकरण किया है. पशुपालन विभाग ने बताया कि इस टीकाकरण का प्रतिशत 97.13 है.

* उपाययोजना क्या?
यदि पालतू पशुओं में गांठदार रोग हो जाए, तो संक्रमण की श्रृंखला को तुरंत तोड़ना आवश्यक है. इस श्रृंखला को तोड़ने के लिए, प्रभावित पशुओं को संगरोधित करना, बाड़ों में फॉगिंग करना, दवा का छिड़काव करना और तत्काल टीकाकरण जैसे उपायों को प्राथमिकता के रूप में अपनाना आवश्यक है.

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