बिजली दरों में होगी स्पर्धा
निजी कंपनियां उतर रही मैदान में

* टोरेंट, अदानी और टाटा के प्रस्ताव
* आयोग ने बुलाई 22 जुलाई को जनसुनवाई
नागपुर/दि.24 – विपक्ष में रहते समय बीजेपी ने महावितरण के निजीकरण का कडा विरोध किया था. अब सत्ता में रहते बीजेपी निजी कंपनियों को बिजली वितरण के अधिकार देने जा रही है. केवल मुंबई, पुणे और नवी मुंबई ही नहीं तो नागपुर तक बिजली वितरण अपने हाथों में लेने के वास्ते निजी कंपनियां तैयार है. उन्होंने बिजली नियामक आयोग को प्रस्ताव दे दिए हैं. इससे उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली की आशा है, किंतु कंपनी के निजीकरण की भी आशंका जानकारों ने व्यक्त की है. बहरहाल नियामक आयोग ने आगामी 22 जुलाई को जनसुनावाई रखी है. जिसमें इसी मुद्दे पर सुनवाई होगी.
उल्लेखनीय है कि, कांग्रेस के दौर में नागपुर के महल, गांधी बाग और सिविल लाइन तीन भागों में बिजली वितरण का जिम्मा स्पॅन्को कंपनी को दिया गया था. जिसका बीजेपी ने तगडा विरोध किया. अब बीजेपी सत्ता में है. उसके पास निजी कंपनियों द्वारा उर्जा वितरण के ठेके लेने के लिए प्रस्ताव आए हैैं. जिस पर आयोग की सुनवाई पश्चात निर्णय किया जाना है. फिर भी अधिक संभावना है कि, टोरेंट, अदानी और टाटा पॉवर कंपनी के प्रस्तावों को अमान्य करना शासन के लिए मुश्किल होगा.
* उपभोक्ताओं की चांदी
निजी कंपनियों को वितरण का ठेका देने की स्थिति में बिजली दरें कम होने की संभावना जानकारों ने व्यक्त की. उन्होंने बताया कि, निजी कंपनियां सरकारी महावितरण की तुलना में ग्राहकों को लुभाने न केवल रेट कम करेगी, अपितु अन्य सुविधाएं भी दे सकती है. जिससे उपभोक्ताओं को कम रेट पर बिजली उपलब्ध होने की संभावना है.
* इन नगरों के लिए आए हैं प्रस्ताव
टोरेंट पॉवर ने ठाणे जिले के ठाणे, कल्याण-डोंबिवली, उल्हास नगर, अंबरनाथ और पालघर जिले के वसई, विरार मनपा क्षेत्र में बिजली वितरण का ठेका चाहा है. वहीं अदानी ने नवी मुंबई, पनवेल, तलोजा, खारकर, उरण, मुलुंड, भांडूप आदि नगरो में ठेके के लिए आवेदन किया है. टोरेंट कंपनी ने नागपुर महापालिका क्षेत्र में भी बिजली वितरण का ठेका लेने में दिलचस्पी दिखाई है. उसी प्रकार पुणे, पिंपरी चिंचवड, बारामती, दौंड, चाकण और तलेगांव में टोरेंट बिजली वितरण करने में रुचि रख रही है.
* फायदे के क्षेत्र
जानकारों ने मीडिया को बताया कि, जिन नगरों और क्षेत्रों में निजी कंपनियां बिजली वितरण का प्रस्ताव कर रही है, वे लाभ के क्षेत्र है. जहां बिल वसूली अच्छे प्रमाण में हो रही है. उसी प्रकार गांव-देहात के लिए अभी तक कोई कंपनी सामने नहीं आई है. केवल महानगरीय एवं उद्यम क्षेत्र में ही कंपनियों को इंटरेस्ट है. इन लोगों ने कालांतर में बिजली महंगी होने की आशंका जताते हुए निजीकरण का विरोध किया है.





