इसे कहते हैं ‘पार्टी विथ डिफरन्स’
भाजपा ने बडी होशियारी से रवि राणा और युवा स्वाभिमान को किया दूर

* ना कोई गठबंधन, न प्रचार में स्थान, राणा दम्पति पडे अलग-सलग
अमरावती/दि.13- इस समय जिले में स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव को लेकर अच्छी खासी धामधूम चल रही हैं और विगत 10 नवंबर से जिले की 10 नगर परिषदों व दो नगर पंचायतों में नामांकन प्रस्तुत करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. जो आगामी 17 सितंबर तक चलेगी. परंतु नामांकन प्रक्रिया के खत्म होने में अब महज तीन दिनों का ही समय बाकी रहने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी व विधायक रवि राणा की नेतृत्ववाली युवा स्वाभिमान पार्टी के बीच गठबंधन होने के आसार दिखाई नहीं दे रहे. बल्कि भाजपा ने अधिकांश निकाय क्षेत्रों के लिए नगराध्यक्ष पद हेतु अपने प्रत्याशियों के नाम लगभग तय करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि निकाय चुनाव में भाजपा का युवा स्वाभिमान पार्टी से किसी भी अन्य दल के साथ कोई गठबंधन नहीं होने जा रहा है. बल्कि भाजपा अपने अकेले के दम पर निकाय चुनाव लडने जा रही हैं. जिसके चलते अब तक भाजपा के साथ निकाय चुनाव के लिए गठबंधन को लेकर दावे करनेवाले विधायक रवि राणा और उनकी युवा स्वाभिमान पार्टी फिलहाल अलग-सलग नजर आ रहे हैं. क्योंकि ‘पार्टी विथ डिफरन्स’ इस ब्रीद वाक्य के साथ अलग तरह की राजनीतिक करने का दावा करनेवाली भाजपा ने न तो युवा स्वाभिमान पार्टी के साथ कोई गठबंधन ही किया है न ही राणा दम्पति को चुनावी प्रचार अभियान में कोई स्थान ही दिया हैं. जिसकी वजह से माना जा सकता है कि इस समय विधायक रवि राणा और उनकी युवा स्वाभिमान पार्टी के पदाधिकारी खुद को सबसे अधिक ठगा हुआ महसुस कर रहे होंगे.
बता दे कि इस समय जिले में भारतीय जनता पार्टी के पांच विधायक है और दावा किया जाता है कि इसमें से पांच सीटे विधायक रवि राणा की पत्नी व पूर्व सांसद नवनीत राणा की वजह से भाजपा ने जिती थी. इसके साथ ही राणा दम्पति को सीएम देवेंंद्र फडणवीस का बेहद करीबी माना जाता है और खुद सीएम फडणवीस भी हार बार अपने अमरावती दौरे के दौरान अन्य नेताओं की तुलना में राणा दम्पति को ही अपने सबसे अधिक करीब रखते हैं और उनकी हमेशा ही तारीफ की करते हैं. विगत लोकसभा चुनाव बेहद मामुली अंतर से हार जाने के बावजूद भाजपा में पूर्व सांसद नवनीत राणा का ओहदा कम नहीं हुआ था. बल्कि उन्होंने विधानसभा चुनाव के समय स्टार प्रचारक की जबर्दस्त भुमिका निभाई थी. जिसके बाद भाजपा की शहर व जिला कार्यकारिणी का गठन करते समय भी नवनीत राणा की पसंद को पूरी तवज्जों दी गई थी. इसके चलते डॉ. नितीन धांडे, पूर्व विधायक प्रभुदास भिलावेकर, सुधा तिवारी व विक्की शर्मा सहित नवनीत राणा की ‘गुड बुक’ में रहनेवाले उनके कई समर्थकों को भाजपा कार्यकारिणी में शामिल किया गया था. इसके बाद स्थानीय निकाय चुनाव को ध्यान में रखते हुए राणा दम्पति सहित उनके अन्य समर्थकों द्बारा भाजपा एवं युवा स्वाभिमान पार्टी के गठबंधन को लेकर जबर्दस्त दावे करने के साथ ही इसे लेकर जमकर माहौल भी बनाया जा रहा था. लेकिन अब यह साफ हो गया है कि निकाय चुनाव के लिए भाजपा द्बारा युवा स्वाभिमान सहित अपने किसी भी घटक दल के साथ कोई गठबंधन नहीं किया जा रहा.
यहां यह उल्लेखनीय है कि निकाय चुनाव जैसे अवसरों पर गठबंधन अथवा युती को टालने हेतु बडे नेताओं द्बारा राजनीतिक पैतरा खेलते हुए बयान दिए जाते है कि पार्टी ने इस बारे में सभी अधिकार स्थानीय पदाधिकारियों को दे दिए हैं. लेकिन असल में ऐसा कभी कुछ नहीं होता. क्योेंकि सभी राजनीतिक दलों में इस तरह के फैसले उपरी स्तर पर ही होते हैं. विशेष तौर पर ‘पार्टी विथ डिफरन्स’ रहनेवाली भाजपा में तो वरिष्ठों की मर्जी के बिना कोई फैसला ही नहीं होता. जिसका साफ मतलब है कि निकाय चुनाव के लिए स्थानीय स्तर पर फैसले के अधिकार से संबंधित बायान देते हुए भाजपा नेताओं ने एक तरह से ‘टाईम किलींग’ करने का भी काम किया और इस बीच पार्टी ने विगत 45 दिनों के दौरान सभी निकाय क्षेत्रों में सर्वेक्षण करते हुए नगराध्यक्ष व निकाय सदस्य पदों के लिए सक्षम प्रत्याशियों को लेकर सर्वे करते हुए उम्मीदवारों के नाम भी तय कर दिए. साथ ही अब ऐन नामांकन प्रक्रिया के मुहाने पर यह स्पष्ट कर दिया गया कि पार्टी द्बारा अपने अकेले के दम पर ही चुनाव लडा जाएगा.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि विगत 4-5 दिनों से भाजपा एवं युवा स्वाभिमान पार्टी के नेताओं की ओर से निकाय चुुनाव के लिए युती होने अथवा नहीं होने को लेकर सुबह-शाम अलग-अलग तरह के बयान दिए जा रहे थे और बयानों को पलटा भी जा रहा था. जिसके चलते भाजपा व युवा स्वाभिमान पार्टी के बीच इस समय ‘तुझं माझं जमेना, तुझ्या विना करमे ना’ इस मराठी कहावत वाली स्थिति हैं. इसी बीच अमरावती जिले में नगर परिषद व नगर पंचायत चुनाव हेतु प्रचार अभियान का नेतृत्व कर रहे राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे ने स्पष्ट कर दिया कि निकाय चुनाव के लिए न तो युवा स्वाभिमान पार्टी की ओर से भाजपा के पास कोई प्रस्ताव आया था और ना ही भाजपा ने युवा स्वाभिमान पार्टी को ऐसा कोई प्रस्ताव दिया था. जिसके चलते दोनों दलों के बीच निकाय चुनाव के लिए कोई युती अथवा गठबंधन होने का सवाल ही नहीं उठता. उधर दूसरी ओर युवा स्वाभिमान पार्टी की ओर से विधायक रवि राणा व उनके भाई सुनील राणा द्बारा अब तक भाजपा के साथ फाईनली युती होने अथवा नहीं होने को लेकर कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया गया. लेकिन इसके बावजूद दोनों ही पार्टियों की दूसरी और तीसरी पंक्ती के पदाधिकारी समझ गए है कि अब आगे क्या होनेवाला है . यहीं वजह है कि विगत चार दिनों से युवा स्वाभिमान पार्टी ने सभी निकाय क्षेत्रों में नगराध्यक्ष व सदस्य पदों हेतु प्रत्याशियों को खंगालना शुरू कर दिया है.
* सभी की निगाहे टिकी नवनीत राणा पर
उल्लेखनीय है कि इस समय जहां विधायक रवि राणा द्बारा उनकी अपनी युवा स्वाभिमान पार्टी का नेतृत्व किया जा रहा है, वहीं उनकी पत्नी व पूर्व सांसद नवनीत राणा इस समय जिले की सबसे बडी व कद्दावर भाजपा नेत्री हैं. ऐसे में इस बात को लेकर भी उत्सुकता बनी हुई है कि यदि भाजपा और युवा स्वाभिमान पार्टी के बीच निकाय चुनाव को लेकर युती यानी गठबंधन की स्थिति नहीं बन पाती है तो क्यां राणा पति पत्नी एक दूसरे के खिलाफ चुनाव प्रचार करते दिखाई देंगे. हालांकि यह पर इस बात की ओर ध्यान दिया जाना चाहिए कि कुछ दिन पहले ही पूर्व सांसद नवनीत राणा के पैर का ऑपरेशन हुआ है और डॉक्टर ने उन्हें अगले करीब 25 दिनों तक पूरी तरह से बेड रेस्ट करते हुए घर पर रहकर आराम करने हेतु कहा हैं. जिसे देखते हुए स्पष्ट है कि निकाय चुनाव के समय पूर्व सांसद नवनीत राणा चुनाव प्रचार अभियान से पूरी तरह दूर ही रहेंगी. संभवत: इस बात को ध्यान में रखते हुए ही भाजपा द्बारा पालिका चुनाव के लिए घोषित स्टार प्रचारकों की सूची में पूर्व सांसद नवनीत राणा का नाम शामिल नहीं किया गया है. इसके चलते निकाय चुनाव के समय राणा दम्पति को एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव प्रचार में उतरने की नौबत का सामना नहीं करना पडेगा.





