इस बार मनपा चुनाव में 9 प्रमुख दलों के बीच होगी भिडंत

राकांपा व शिवसेना को दोनों धडे पहली बार होंगे एक-दूसरे के सामने

* पिछली बार 7 प्रमुख दलों के बीच मनपा में हुआ था चुनावी मुकाबला
* भाजपा के सामने अपनी निर्विवाद सत्ता बनाए रखने की होगी चुनौती, पिछली बार जीती थी 45 सीटे
* कांग्रेस, एमआईएम व बसपा भी लगाएंगे पूरा जोर, वायएसपी व रिपाइं सहित निर्दलीय प्रत्याशियों की भी रहेगी मौजूदगी
अमरावती/दि.15 – करीब चार वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के बाद आज आखिरकार अमरावती महानगर पालिका का चुनावी बिगुल बज ही गया. जिसे लेकर विगत लंबे समय से अच्छी-खासी प्रतीक्षा की जा रही थी. साथ ही अब सभी का ध्यान इस बात की ओर लगा हुआ है कि, आखिर इस बार मनपा के चुनावी अखाडे में राजनीतिक दलों के बीच चुनावी भिडंत को लेकर किस तरह की स्थिति रहनेवाली है. बता दें कि, पिछली बार वर्ष 2017 में हुए मनपा के चुनाव में भाजपा सहित कांग्रेस, बसपा, एमआईएम व युवा स्वाभिमान पार्टी सहित तब एकीकृत रहनेवाली राकांपा व शिवसेना ने एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लडते हुए एक-दूसरे को कडी टक्कर दी थी और मुख्य मुकाबला इन्हीं 7 राजनीतिक दलों के बीच दिखाई दिया था. वहीं इस बार राकांपा व शिवसेना दो धडों में विभाजित है. जिसके चलते मनपा के आगामी चुनाव में अब 9 प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच रोचक मुकाबला होता दिखाई देगा.
बता दें कि, मनपा के विगत चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल ने किसी अन्य दल के साथ कोई चुनावी गठबंधन नहीं किया था और सभी ने अपने अकेले के दम पर स्वतंत्र रुप से चुनाव लडा था. जिसके बाद घोषित नतीजों में भाजपा को सर्वाधिक 45 सीटें मिली थी और भाजपा ने मनपा के इतिहास में पहली बार स्पष्ट बहुमत हासिल करने के साथ ही एकतरफा सत्ता स्थापित की थी. वहीं उस चुनाव में कांग्रेस ने 15, एमआईएम ने 10, तत्कालीन एकीकृत शिवसेना ने 7, बहुजन समाज पार्टी ने 5, युवा स्वाभिमान पार्टी ने 3 व रिपाइं ने 1 सीट पर जीत हासिल की थी और एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर दिनेश बूब चुनाव जीते थे. खास बात यह थी कि, उस चुनाव में तत्कालीन एकीकृत राकांपा का खाता भी नहीं खुला था. विशेष उल्लेखनीय है कि, वर्ष 2017 में जब अमरावती मनपा का चुनाव हुआ था, तब पूर्व मंत्री डॉ. सुनील देशमुख भाजपा में रहने के साथ ही भाजपा के तत्कालीन विधायक भी हुआ करते थे. जो अब एक बार फिर कांग्रेस में अपने समर्थकों सहित शामिल हो चुके है. वहीं उस चुनाव के समय राकांपा छोडकर कांग्रेस में शामिल रहनेवाले विधायकद्वय खोडके दंपति अब एक बार फिर राकांपा में वापिस आ चुके है और राकांपा में हुई दोफाड के बाद अजीत पवार गुट वाली राकांपा में शामिल है. इस गुट का अमरावती मनपा क्षेत्र में विधायक खोडके दंपति की वजह से अच्छा-खासा प्रभाव दिखाई दे रहा है. जिसकी तुलना में शरद पवार गुट वाली राकांपा का प्रभुत्व पहले की तुलना में घटा है. वहीं दूसरी ओर अब शिवसेना भी दोफाड का शिकार होकर दो अलग-अलग गुटों में विभाजित है और दोनों ही गुट अमरावती मनपा क्षेत्र में अपना अस्तित्व साबित करने की जद्दोजहद कर रहे है. इसके अलावा अमरावती मनपा क्षेत्र में जहां एमआईएम, युवा स्वाभिमान व बहुजन समाज पार्टी जैसे दल कुछ सीटों पर उलटफेर करने का माद्दा रखते है. वहीं दूसरी ओर राज ठाकरे की पार्टी मनसे का विगत चुनाव में भी कोई असर नहीं दिखा था और अब अमरावती शहर में मनसे का अस्तित्व ही खतरे में है. क्योंकि मनसे के कई पदाधिकारी अब शिंदे गुट वाली शिवसेना में शामिल है.
यद्यपि प्रादेशिक स्तर पर राजनीति में हुए उलटफेर के बाद अब राज्य में राजनीतिक संघर्ष महायुति व महाविकास आघाडी के बीच होता दिखाई दे रहा है. परंतु विगत दिनों हुए नगर परिषद व नगर पंचायत के चुनाव में सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने दम पर अपने प्रत्याशी खडे किए थे. हालांकि इसके बाद मनपा चुनाव में एक बार फिर गठबंधन व युति होने की चर्चाओं ने जोर पकडा. जिसके तहत जहां कांग्रेस व राकांपा द्वारा महाविकास आघाडी को बनाए रखने पर जोर दिया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर भाजपा व शिंदे गुट वाली शिवसेना में भी मनपा चुनाव के लिए युति बनाए रखने पर सहमति लगभग बन चुकी है. ऐसे में अब यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि, मनपा चुनाव में मुकाबला महायुति व मविआ के बीच आमने-सामने वाला होता है, या फिर पिछली बार की तरह इस बार भी बहुकोणीय मुकाबले वाली स्थिति बनती दिखाई देती है.

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