इच्छुकों को चुनाव से पहले ही ‘स्वीकृत’ का ‘चॉकलेट’

अमरावती /दि.29 – राज्य में सत्ता परिवर्तन होते ही अब प्रमुख राजनीतिक दलों में ‘आयाराम’ की संख्या काफी अधिक बढ गई है. जिसके परिणामस्वरुप स्थानीय स्वायत्त निकायों के आगामी चुनाव में बडे पैमाने पर बगावत होने की संभावना दिखाई दे रही है. ऐसे में बगावत को रोकने हेतु बागी मानसिकता वाले प्रत्याशियों को अभी से ‘ठंडा’ किया जा रहा है. साथ ही वे पार्टी की ओर से घोषित किए गए अधिकृत प्रत्याशी के साथ रहे, इस हेतु उन्हें चुनाव के पहले से ही स्वीकृत सदस्यत्व का ‘लॉलीपॉप’ अथवा ‘चॉकलेट’ दिखाया जा रहा है.
बता दें कि, महानगर पालिका, नगर परिषद व नगर पंचायतों में स्वीकृत नगरसेवक तथा कुछ सहकारी संस्थाओं में स्वीकृत संचालक के तौर पर नियुक्ति का प्रावधान होता है. संबंधित क्षेत्र का अच्छा-खासा अध्ययन रहनेवाले लोगों की नियुक्ति किए जाने के चलते संबंधित संस्थाओं को उनकी नियुक्ति का फायदा होता है, परंतु अमूमन ऐसे पदों पर अच्छी-खासी राजनीतिक पहुंच व प्रतिष्ठा रहनेवाले पदाधिकारियों की नियुक्ति की जाती है, ताकि ऐसी नियुक्तियों का राजनीतिक लाभ उठाया जा सके. वहीं अब तक जिला परिषद व पंचायत समितियों में स्वीकृत सदस्यों की नियुक्ति का कोई कानूनी प्रावधान नहीं था. जिसके चलते कुछ दिन पहले ही राज्य के राजस्व मंत्री व जिला पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने जिप व पंस के चुनाव अंतर्गत जिला परिषद में पांच तथा पंचायत समितियों में दो-दो स्वीकृत सदस्यों की नियुक्ति करने हेतु जिला परिषद व पंचायत समिति अधिनियम में सुधार किए जाने का निवेदन एक पत्र के जरिए मुख्यमंत्री से किया था और मुख्यमंत्री ने भी इस विषय पर सकारात्मक प्रतिसाद देते हुए ग्रामविकास विभाग को कार्रवाई करने के संदर्भ में आवश्यक निर्देश जारी किए. सरकार द्वारा इसे लेकर सकारात्मक निर्णय लागू किए जाने के बाद नगर पालिका व महानगर पालिका की तरह जिला परिषद व पंचायत समितियों में भी स्वीकृत सदस्यों की नियुक्ति का रास्ता खुल जाएगा.
इस संदर्भ में सीएम फडणवीस को भेजे गए पत्र में पालकमंत्री बावनकुले द्वारा कहा गया है कि, ग्रामीण स्तर पर सक्रिय कार्य करनेवाले कार्यकर्ताओं को योग्य प्रतिनिधित्व एवं अवसर मिलने के दृष्टिकोन से महाराष्ट्र जिला परिषद व पंचायत समिति अधिनियम में सुधार करना आवश्यक है. इस अधिनियम के प्रावधानानुसार स्थानीय स्वायत्त निकायों में स्वीकृत सदस्यों की नियुक्ति की जा सकती है, परंतु मौजूदा नीति के चलते यह अवसर मर्यादित स्वरुप में उपलब्ध है. अत: सरकार द्वारा इस अधिनियम में सुधार करते हुए जिला परिषद मेन 5 एवं पंचायत समिति में 2 स्वीकृत सदस्यों की नियुक्ति करने के संदर्भ में आवश्यक प्रावधान किए जाए.
* इच्छुकों की मोर्चाबंदी शुरु
जिले में स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव की तारीखें यद्यपि अब तक घोषित नहीं की गई है, परंतु चुनाव की संभावना को ध्यान में रखते हुए इच्छुकों द्वारा अपने-अपने स्तर पर मोर्चाबंदी की जा रही है. जिसके चलते जिप गटों व पंस गणों में राजनीतिक वातावरण धीरे-धीरे तपने लगा है तथा ग्रामीण इलाकों में आगामी चुनाव की चर्चा रंग पकडने लगी है. साथ ही साथ सोशल मीडिया के जरिए भी कई दावेदारों का प्रचार रफ्तार पकड चुका है.
* आरक्षित गट के नेताओं को मिलेगा फायदा
जिला परिषद में कई वर्ष काम कर चुके कई नेताओं के परंपरागत निर्वाचन क्षेत्र इस बार अलग-अलग संवर्गों के लिए आरक्षित हो जाने के चलते जिला परिषद के कामकाज की बारिकी पता रहनेवाले कई नेता इस बार चुनाव लडकर जिप के सभागार में नहीं पहुंच सकते है. परंतु यदि जिप व पंस में स्वीकृत सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान हो जाता है, तो ऐसे नेताओं के पास स्वीकृत सदस्य के तौर पर जिप सभागार में पहुंचने का अवसर उपलब्ध हो सकता है. साथ ही तहसील एवं ग्रामीण क्षेत्र में दबदबा रहनेवाले नेताओं की राजनीति आगे भी जारी रहना स्वीकृत कोटे के जरिए संभव हो सकता है.





