‘आज मैं उपर आसमां नीचे ….’
16 बरस का सृजल कोहले का विश्व कीर्तिमान

* दृढ निश्चय से पूर्ण किया 3606.5 किमी कठिन सफर
* अमरावती के छात्र को साइकिलिंग असो. ने दी बधाई
* कन्याकुमारी से श्रीनगर की लंबी, कठिन यात्रा
अमरावती/ दि. 19- केवल 9-10 माह पहले साइकिलिंग का उत्साह पानेवाले विदर्भ महाविद्यालय के 16 बरस के छात्र सृजल प्रवीण कोहले ने शनिवार शाम 6.24 बजे श्रीनगर के ऐतिहासिक लाल चौक पहुंच कर अंतत: अपना विश्व कीर्तिमान का लक्ष्य पूर्ण कर लिया. जिससे समस्त अमरावती का सीना गर्व से चौडा हो गया है. कक्षा 12 वीं के इस दृढ निश्चयी विद्यार्थी की सफलता पर अमरावती साइकिलींग असो. के सचिव अतुल कलमकर सहित सभी ने बडा गर्व और प्रसन्नता व्यक्त की है. सृजल सहित कोहले परिवार को बधाई दी है.
सृजल कोहले गत 6 अक्तूबर को बडे सबेरे 6 बजे कन्याकुमारी से श्रीनगर अर्थात कश्मीर की साइकिल यात्रा प्रारंभ की थी. सृजल का लक्ष्य 3600 किमी अकेले साइकिलिंग कर नया विश्व कीर्तिमान स्थापित करना है. उसे अमरावती के प्रसिध्द अस्थि रोग विशेषज्ञ और साइकिलिंग असो. के अध्यक्ष डॉ. चंद्रशेखर कुलकर्णी, पदाधिकारी अतुल कलमकर और अन्य ने फूलमालाएं पहनाकर साहसी साइकिल यात्रा पर बिदा किया, शुभकामनाएं दी थी. इस समय डॉ. कुलकर्णी और कलमकर दोनों ही अपने अन्य सहयोगियों के संग बडे हर्षित दिखाई दिए.
पिता-पुत्र की आंखों में खुशी के आंसू
सृजल कोहले ने श्रीनगर पहुंंचने पर अमरावती मंडल से फोन पर बात की. युवा साइकिल पटु बडा प्रसन्न नजर आया. सृजल ने बताया कि उससे अधिक उसके पिता प्रवीण कोहले प्रसन्न है. उन्हें शनिवार शाम 6.30 बजे के लगभग पहुंचने पर पहले तो सहसा यकीन नहीं हुआ. फिर दोनों पिता- पुत्र की आंखें छलछला आयी थी. खुशी के आंसू लिए. उन्होंने घर पर बात कर यात्रा सफलतापूर्वक, निर्विघ्न और सोचे समय से पहले पूर्ण हो जाने की खुश खबर दी. वीडियो कॉल किए गये. अमरावती असो. के सचिव अतुल कलमकर भी धनतेरस की पूजन के साथ वीडियो कॉल पर रहे. सृजल ने बताया कि केवल 9-10 माह पहले उसके ध्यान में इस प्रकार की साइकिलिंग मुहिम का विचार आया. उसने घर में माता-पिता प्रवीण और करूणा कोहले तथा बडे भाई पार्थ कोहले को बताया. सभी ने पहली प्रतिक्रिया में ही हामी भर दी और इसकी तैयारी के लिए सपोर्ट करना शुरू कर दिया. आज वह बडा सपना पूर्ण हो गया. तथापि सृजल ने यह भी कहा कि आगे के एक्सपीडीशन के बारे में उन्होंने विचार करना शुरू कर दिया है.
गोपीकिसन केसवान हैं प्रशिक्षक
सृजल कोहले ने बताया कि चेन्नई में रहनेवाले गोपीकिसन केसवान उसके साइकिलिंग के मार्गदर्शक और प्रशिक्षक हैं. उन्हीं के टिप्स पर वह लंबी दूरी की साइकिलिंग का अभ्यास गत कुछ माह से करता आया है. सभी ओर से मिले प्रोत्साहन के कारण उसने कन्याकुमारी- कश्मीर मुहिम को अपनाया. आज उसे साकार किया गया हैं. निश्चित ही वह और उसके सभी साथी लोकेश जावने, आशीष बोरकर, सचिन काले, आकाश धोटे हर्षित और उत्साहित है. साहसी मिशन में उनके पिता प्रवीण कोहले भी चल रहे थे. जिससे सृजल का उल्लास और आत्मविश्वास बढा है. सृजल को अपने मिशन की कठिन परिस्थितियों का संपूर्ण अहसास था. वह मानसिक रूप से तैयार था. कश्मीर की सीमा में प्रवेश करते ही ठंड का अहसास तेज हो गया था. सृजल ने बताया कि कक्षा 12 वीं का साइंस का विद्यार्थी होने के साथ वह पढाई पर भी ध्यान दे रहा है. साथ ही फिलहाल लक्ष्य श्रीनगर का रहा. लगातार साइकिलिंग करते हुए उसे रास्ते में आनेवाली मौसम और अन्य प्रकार की कठिनाइयों से भी जूझना पडा.
विपरीत मार्ग, चुनौती अधिक
सृजल कोहले ने बताया कि लोग कश्मीर से कन्याकुमारी जाते हैं. उसने कन्याकुमारी से श्रीनगर का विपरीत मार्ग चुना . जिससे उसकी चुनौती कडी रही. सृजल कान्फीडेंट और प्रसन्न दिखाई दिया. पूरी 12- 13 दिनों की यात्रा दौरान रोजाना बमुश्किल चार घंटे की नींद वह लेता था.
कलमकर बडे प्रसन्न
सचिव अतुल कलमकर ने अपार प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि सृजल कोहले ने मात्र 16 वर्ष की आयु में जो सफलता प्राप्त की है. उससे अमरावती साइकिलींग असो. के मुकुट में अभिमान का मोती जडा गया है. उसने चुनौती को स्वीकार कर उसे पूर्ण कर दिखलाया. इसका काफी कुछ श्रेय माता- पिता को भी है. सृजल ने कम समय में दुरूह मंजिल हासिल की. उसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है.
आरंभ – 6 अक्तूबर 2025 सबेरे 6.02 बजे
पूर्ण – 18 अक्तूबर 2025 सायं 6.24 बजे
यात्रा का संपूर्ण समय 12 दिन, 12 घंटे, 22 मिनट, 11 सेकंद





