मुंबई/ दि.24 – वर्ष 1992 में शिवसेना के 18 विधायक फूटे थे. जो शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे के हिंदुत्व की विचारधारा को छोडकर सत्ता की लालसा में दूसरी ओर गए थे. परंतु हमने अपने पास रहने वाली सत्ता को छोडकर बालासाहब ठाकरे के विचारों के लिए पार्टी से बाहर निकलने का रास्ता चुना, ऐसे में उस समय हुई बगावत और आज हमारे व्दारा किये गए विद्रोह में जमीन आसमान का फर्क है, इस आशय का प्रतिपादन करते हुए राज्य के मुख्यंमत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि, शिवसेना में रहकर बगावत करते समय उन्होंने कभी भी महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने के बारे में नहीं सोचा था.
एक न्यूज चैनल के साथ बातचीत करते हुए सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि, किसी समय पार्टी के कुछ विधायकों ने सत्ता की लालसा के चलते कांग्रेस से हाथ मिलाया था, वहीं वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव पश्चात शिवसेना के मौजूदा नेतृत्व में सत्ता की लालसा में फंसकर कांग्रेस व राकांपा जैसे विरोधी दलों से हाथ मिला लिया. ऐसे में शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे की विचारधारा के प्रति आस्था रखने वाले सच्चे शिवसैनिकों में काफी बेचैनी वाली स्थिति थी और हमने इस बेमेल गठबंधन से बाहर निकलकर भाजपा के साथ अपने स्वाभाविक व प्राकृतिक गठबंधन में जाने का रास्ता चुना. जिसके लिए भाजपा और हमारे व्दारा एक-दूसरे के सामने किसी भी तरह की कोई शर्त नहीं रखी गई थी.