संभाग के 1 हजार 175 किसानों ने लगाई फांसी
अमरावती जिले में सर्वाधिक 336 आत्महत्या
अमरावती प्रतिनिधि/ दि.८ – पिछले एक वर्ष में अमरावती संभाग के लगभग 1 हजार 175 किसानों ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. जनवरी से दिसंबर 2020 इस एक वर्ष में एक दिन में औसतन 3 किसानों ने आत्महत्या की. इसमें सर्वाधिक आत्महत्या अमरावती जिले में 336, यवतमाल 319, बुलढाणा 266, अकोला 161 तथा वाशिम में 93 किसानों ने आत्महत्या की है. संभाग के पिछले 5 वर्ष की तुलना में 2020 में सर्वाधिक किसान आत्महत्या हुई है.
महाराष्ट्र में किसान आत्महत्या का सत्र पिछल कई वर्षों से शुरु है. पश्चिम विदर्भ में सर्वाधिक किसानों की आत्महत्या हो रही है, यह सच्चाई है. 2020 इस वर्ष में कोरोना के संकट से राज्य सरकार की समूची यंत्रणा यह कोरोना नियंत्रण में लाने के लिए व्यस्थ थी. किंतु कोरोना के साथ ही राज्य की किसान आत्महत्या की समस्या भी उतनीही गंभीर रहते समय इस ओर दुर्लक्ष किया. कोरोना के संकट काल में अन्नदाता किसानों ने अपनी जिम्मेदारी प्रामाणिकता से निभाई. किंतु कोरोना का सर्वाधिक झटका किसानों को ही लगा. बडी मात्रा में किसानों का नुकसान हुआ है.
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लॉकडाउन से बाजारपेठ बंद रहने से नुकसान
लॉकडाउन के चलते बाजारपेठ पूरी तरह से बंद रहने से किसानों को खेती माल शहर में लाने के लिए काफी कसरत करनी पडी. उसी में माल खरीदी के लिए ग्राहक न रहने से व्यापारियों ने भाव गिराते हुए कम दर में खेतीमाल की खरीदी की तथा बडी मात्रा में किसानों का माल घर में ही पडा रहा. विदर्भ में कपास खरीदी के लिए किसानों को अनेक दिन राह देखनी पडी. जिससे अनेक किसानों को व्यापारियों को मिलेगे उस भाव में कपास बेचना पडा. इसी बीच खरीफ मौसम में विदर्भ के किसानों के मत्थे आये हुए बोगस बीज के कारण फसल उगी ही नहीं. जिससे अनेक किसानों पर दुबार बुआई की नौबत आयी. उसमें सोयाबीन पर आई हुई खोड कीडी से तथा फसल बेमौसम पिली पडने से भी किसान संकट में आ गए. जिससे सालभर में संभाग के 1 हजार 175 किसानों ने आत्महत्या करते हुए अपनी जीवन यात्रा कायम रुप से खत्म की.
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430 परिवार को सरकारी लाभ
संभाग में 2020 इस वर्ष मेें 1175 किसानों ने आत्महत्या की फिर भी केवल 436 किसान आत्महत्या शासकीय मदत के लिए पात्र रही. 478 आत्महत्या यह अपात्र साबित हुई है. 261 आत्महत्या प्रलंबित है. जिससे मदत के लिए पात्र साबित हुये किसान परिवार के 430 लोगों को शासकीय मदत का लाभ दिया गया.
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पांच वर्ष की सर्वाधिक आत्महत्या
कोरोना संकट काल में संभाग के किसान आत्महत्या का प्रमाण बढ चुका है. पिछले पांच वर्ष की तुलना में 2020 वर्ष में सर्वाधिक किसान आत्महत्या हुई है. 2016 में 1103 किसान आत्महत्या, 2017 में 1066, वर्ष 2018 में 1049, 2019 में 1056 तथा 2020 में सर्वाधिक 1175 किसानों ने आत्महत्या की है.
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आत्महत्या नहीं बल्कि कर्जबलि
किसान आत्महत्याओं की संख्या दिनोंदिन बढ रही है. किसान आत्महत्या यह गलत शब्दप्रयोग हम करते है. जिस प्रकार ठंड से, भूख से उष्माघात के बलि पडते है. ठिक उसी प्रकार से कर्जबलि, नीतिबलि, अधिकृत धोरणात्मक हत्या ठहराना उचित रहेगा. एक ओर खेतीमाल को भाव न मिले, ऐसी व्यवस्था निर्माण करना तथा दूसरी ओर किसानों को काफी कुछ देने का दिखावा करना, यह किसानों के साथ धोखाधडी है. 2020 में किसानों का मुंग गया, उदड गई, सोयाबीन, तुअर, कपास को भाव नहीं मिल रहा है. साथ ही पूरी तरह से कर्ज देते समय बीमे की किश्ते काटी जाती. नकली कोरोना का बीमा मेडीक्लेम युध्दस्तर पर मिलता है. किसानों को हक्क बीमा क्यों नहीं. किसान आत्महत्या को जिम्मेदार किसान विरोधी नीति है.
– विजय विल्हेकर, किसान नेता