वरुड के 15 बेरोजगारों को 70 लाख से ठगा
वन विभाग, बैंक, हाईकोर्ट, तलाठी, मनपा में नौकरी दिलवाने का झांसा
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पहले पूर्व नगराध्यक्ष को विश्वास में लिया, फिर जमा किये ग्राहक
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दर्यापुर के डॉ.श्रीकांत बानुबाकोडे का कारनामा
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गिरोह में नागपुर की महिला समेत 3 का समावेश
अमरावती/प्रतिनिधि दि.17 – किसी जनप्रतिनिधि से पहचान बढाकर उसके राजनीतिक औदे का फायदा उठाकर, उसी राजनीतिक व्यक्ति के माध्यम से बेरोजगारों को लाखों से ठगने का मामला वरुड में उजागर हुआ है. वरुड की पूर्व नगराध्यक्षा जया नेरकर की पहचान का फायदा उठाकर दर्यापुर के बनोसा निवासी डॉ.श्रीकांत बानुबाकोडे और उसके गिरोह में शामिल 4 लोगों ने 70 लाख रुपए की धोकाधडी की है. वरुड के लगभग 15 लोगों से वहां की नगराध्यक्षा जया नेरकर ने इन जालसाजों पर विश्वास रखकर नौकरी लगवाने के लिए बेरोजगारों के पालकों से पैसे लेकर उन्हें दिये थे. इस मामले में वरुड पुलिस ने दर्यापुर के डॉ.श्रीकांत बानुबाकोडे समेत नागपुर निवासी नमन उर्फ सिलिव्ह विलियम (25), तुषार रावल(46), रिना कांबले(42, उमरेड) आदि के खिलाफ दफा 420, 465, 468, 471 व 420, 34 के तहत अपराध दर्ज किया है. वरुड की पूर्व नगराध्यक्षा जया नेरकर की शिकायत पर पुलिस ने यह अपराध दर्ज किया है.
जानकारी के अनुसार वर्ष 2006 से 2009 इस कार्यकाल में जया नेरकर यह वरुड नगरपरिषद की नगराध्यक्षा थी. इस कारण नगराध्यक्षा के नाते उसकी सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्र में भी पहचान थी. जया नेरकर सामाजिक कार्य में सक्रीय रहने के कारण सामान्य लोग हमेशा उसके पास अपने बेरोजगार बेटों को नौकरी लगवाने की अपेक्षा लेकर मिलने आते थे. इसके साथ ही जया नेरकर जागतिक महिला दिन पर हमेशा ही कार्यक्रम लेती थी और कार्यक्रमों की पोस्ट वह सोशल मीडिया पर अपलोड करती थी. वर्ष 2019 में उसे डॉ.बानुबाकोडे (बाभली, बनोसा, दर्यापुर) की उद्योग विषय पर आधारित पोस्ट दिखाई दी. इस कारण जया नेरकर ने डॉ.श्रीकांत बानुबाकोडे के मोबाइल नंबर पर फोन किया. इस समय बानुबाकोेडे ने अपना परिचय सामाजिक कार्यकर्ता के रुप में दिया और कहा कि वह शासकीय नौकरी भी बेरोजगारों को लगवा देता है. इसी दौरान जनवरी 2019 में नौकरी लगवा देने के संदर्भ में बानुबाकोडे ने अमरावती रेलवे स्टेशन से बस स्टैंड रोडपर स्थित होटल रामगिरी में मिलने के लिए बुलाया. उसके कहने पर नेरकर होटल रामगिरी में पहुंची तब वहां बानुबाकोडे व उसके साथ देवानंद रमेश अनासाने (ज्ञानेश्वरी नगर, नागपुर) भी था. बानुबाकोडे ने नेरकर व उसके साथ रहने वाले अन्य तीन लोगों के समक्ष बताया कि उसकी काफी पहचान उपरी लेवर पर है. वह बेरोजगारों को शासकीय नौकरी लगवा देने का काम करता है और उसका काम 100 प्रतिशत हो जाता है. डॉ.बानुबाकोडे ने यह भी कहा कि मैं आप सबकी जिम्मेंदारी लेता हूं और काम नहीं हुआ तो पेैसे लोटोने की जिम्मेदारी लेता हूं. बानुबाकोडे के अनुसार वह वन विभाग, स्टेट बैंक, हाईकोर्ट, तलाठी, मनपा, डाक विभाग आदि विभागों में नौकरी लगवा देता हूं, लेकिन हर विभाग के अनुसार पैसे कम ज्यादा लगेंगे, ऐसा उन्हें बताया. डॉ.श्रीकांत बानुबाकोडे के बात पर इस महिला का विश्वास बैठ गया. घर वापस आने के बाद 9 जनवरी को जया नेरकर ने अपने ममेरेभाई प्रतिक वरखेडकर और भारती खासबागे के नाम बानुबाकोडे को सुझाये. इसके अलावा वरुड के लोगों के साथ नेरकर के हमेशा के संबंध रहने से जो लोग उनके पास नौकरी के संदर्भ में आते थे वह उनका नाम बानुबाकोडे को बताते थे. इसी दौरान जया नेरकर का विश्वास बढाने के लिए बानुबाकोडे ने उसे अलग-अलग विभागों में रिक्त पदों की जानकारी देकर किसी जॉन सर नामक व्यक्ति से कान्फ्रन्स भी करवाई. इस तरह पहली बार बानुबाकोडे ने नेरकर को अपने बैंक खाते पर पैसे डालने के लिए कहा. 9 जनवरी 2019 से 7 सितंबर 2019 तक बानुबाकोडे के एसबीआई के खातें पर नेरकर ने 8 लाख 65 हजार रुपए डाले. इस दोैरान बानुबाकोडे का कहना रहा कि उसके खाते पर ज्यादा पैसे दिखेंगे, जिससे वह बानुबाकोडे की पत्नी निकीता वानखडे का अकाउंट नंबर देकर उसपर पैसे डालने के लिए कहा. इस कारण नेरकर ने 7 मार्च 2019 से 16 मार्च 2019 के बीच 6 लाख रुपए निकीता के खाते पर डाले. इस दौरान मार्च के अंतिम सप्ताह में डॉ.श्रीकांत बानुबाकोडे यह वरुड में नेरकर के घर पहुंचा. वहां भी उसे 5 लाख सौंपे गए. उसके बाद नांदगांवपेठ सिटीलैंट के समीप इसार पेट्रोल पंप के पास जया नेरकर ने बानुबाकोडे को 13 लाख रुपए दिये तथा राजापेठ स्थित लक्ष्मी फायनान्स के ऑफिस में जमा 9 लाख रुपए भी उसे दिये. उसके बाद जब नौकरी बाबत उसे पूछा तो मार्च और अप्रैल महिने में लोकसभा के चुनाव की आचार संहिता रहने से काम आगे ढकेले जाने की बात उसने कही, लेकिन इस दौरान बानुबाकोडे उम्मीदवारों की फर्जी लिस्ट नेरकर को भेजता था और काम फिलहाल प्रोसेस में रहने की बात कहकर उसे झांसा देता था. यहां तक की इस दौरान एक उम्मीदवार की वन विभाग में नियुक्ति होने की फर्जी पीडीएफ फाईल भी उसे भेजी. इसी दौरान जया नेरकर का मोबाइल खराब हुआ और मोबाइल फारमैट मारना पडा. जिससे मोबाइल डेटा उड गया.
जानकारी के अनुसार अप्रैल 2019 में डॉ.बानुबाकोडे ने इंटरसिटी मॉल नागपुर में नमन उर्फ सिलिव डालनिक विलियम के साथ जया नेरकर की भेंट करवाई. वहां पर भी नौकरी लगा देने का काम प्रोसेस में रहने की बात कही. उसके बाद जनवरी 2020 में श्रीकांत बानुबाकोडे ने फिर उसे पैसे मांगे. तब 26 नवंबर 2019 से 3 मार्च 2020 के दौरान रिना अजय कांबले व तुषार रावल के खाते में 14 लाख 46 हजार रुपये डाले गए, लेकिन उसके बाद जब नेरकर ने रिना कांबले व तुषार रावल को नौकरी के बारे में पूछा तब वह टालमटोल के जवाब देकर नमन का नाम सामने करते थे. 16 मार्च को होटल हरदेव में रिना कांबले व तुषार रावल ने नेरकर को मिलने के लिए बुलाया. तब नेरकर ने वहां नमन को भी बुलाने के लिए कहा. इस दौरान कहा गया था कि फॉरेस्ट, डाक विभाग और कोर्ट का काम रिना कांबले व तुषार रावल संभालते है, इसी दौरान नमन ने अमरावती जिलाधीश के हस्ताक्षर का एक ई-मेल 30 मार्च 2020 को महाराष्ट्र वन विभाग का फॉरेस्ट चीफ कंझर्वेटर ऑफिस के नाम का दिखाया. उसपर डिवीजन फॉरेस्ट ऑफिसर सुभाष वाघमोडे के हस्ताक्षर और फर्जी ऑर्डर काफी भी उनके ई-मेल पर भेजी. इसके साथ ही तलाठी की फर्जी पीडीएफ फाईल भी भेजी. यह लिस्ट देखकर जया नेरकर का फिर नमन पर विश्वास हो गया और उसने 30 मार्च 2020 से 11 अगस्त 2020 इस समयावधि में 9 लाख 45 हजार रुपए आरटीजीएस व्दारा और 2 लाख 5 हजार रुपए नगद, इस तरह कुल 11 लाख 50 हजार रुपए नमन को दिये, लेकिन दिये हुए पैसे में किसी भी उम्मीदवार को नौकरी नहीं मिली. तब जया नेरकर ने उन्हें पैसे वापस मांगे तब रिना कांबले व तुषार रावल ने विश्वास हासिल करने पैसे वापस करने का करारनामा कर दिया, लेकिन पैसे नहीं लौटाये. बाद में सभी ने नेरकर का फोन उठाना बंद कर दिया. तब उसे संदेह हो गया और उसने अब तक कुल 70 लाख 56 हजार रुपए की धोखाधडी होने की शिकायत वरुड पुलिस थाने में दर्ज की.
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नेरकर को बेचना पडा अपना प्लॉट
वरुड की पूर्व नगराध्यक्षा जया नेरकर ने उनके पास नौकरी के लिए आने वाले 15 बेरोजगारों के पालकों से पैसे लेकर इन ठगबाजों के गिरोह के सदस्यों को दिये, लेकिन कुछ माह पहले वरुड में आईपीएस अधिकारी लोढा बतौर थानेदार कार्यरत थे. नौकरी के लिए बेरोजगारों के पालकों ने दर्यापुर के बानुबाकोडे व उसके गिरोह को नहीं बल्कि जया नेरकर को पैसे दिये थे. इस कारण इन लोगों ने जया नेरकर के खिलाफ वरुड थाने में धोकाधडी की शिकायत दी थी. उस समय जया नेरकर पर अपराध दर्ज होता था, लेकिन अपराध दर्ज हुआ तो अपना राजकीय जीवन खत्म होगा इस डर से उसने अपना प्लॉट बेचकर इन लोगों के पैसे दिये, लेकिन उसके बाद जालसाजों के इस गिरोह के खिलाफ वरुड पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की.