अमरावती जिले के 17 डॉक्टर हुए कार्यमुक्त
56 बीएएमएस डॉक्टरों ने कोरोना की पहली लहर में संभाली थी पीएचसी
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कोरोना की पहली लहर में ग्रामीण में किया उल्लेखनीय काम
अमरावती/प्रतिनिधि दि. 26 – राज्य में जब कोरोना के सर्वाधिक मरीज पाये जा रहे थे तब ग्रामीण क्षेत्र में काम करने वाले कंत्राटी बी.ए.एम.एस. वैद्यकीय अधिकारियों को कोरोना की लहर कमजोर होते ही घर का रास्ता दिखा दिया और उनकी जगह एम.बी.बी.एस. बंधपत्रित डॉक्टरों को ज्वाईंन कर लेने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया है. जिससे अमरावती जिले के 17 बी.ए.एम.एस. डॉक्टरों को कार्यमुक्त किया गया है. इन कोरोना योध्दाओं की नौकरी पर फिलहाल लटकती तलवार है. ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना संकट में अपनी जान की परवाह न करते हुए तदर्थ वैद्यकीय अधिकारी अल्प मानधन में सेवा दे रहे है, लेकिन कानूनी चौकट में फंसाकर इनकी सेवा अगर खत्म की गई तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का काम डगमगा जाएगा, इस तरह का डर व्यक्त किया जा रहा है. जुलाई 2019 से जून 2020 इस 11 महिने के समय के लिए बी.ए.एम.एस. तदर्थ वैद्यकीय अधिकारियों की सेवा शुरु हुई थी. कोरोना का प्रादुर्भाव बढने से और एम.बी.बी.एस के नतीजे प्रलंबित रहने से बी.ए.एम.एस. डॉक्टरों को पुर्ननियुक्ति देकर सेवा करने की संधी दी गई थी. जिले के 56 बी.ए.एम.एस. डॉक्टरों ने इस दौरान पुर्ननियुक्ति होने से कोरोना की पहली लहर में ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना नियंत्रण में लाने अहम भूमिका निभाई थी.
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एमबीबीएस के कारण बीएएमएस कार्यमुक्त
एम.बी.बी.एस. का रिजल्ट हाल ही में घोषित हुआ. जिससे इन नये डॉक्टरों को एक वर्ष के लिए आंतरवासियता करना बंधनकारक है. उसका खर्च भी राज्य सरकार करती है. इससे पहले आंतरवासियता पूर्ण किये एम.बी.बी.एस. डॉक्टरों को राज्य सरकार जिला परिषद अंतर्गत बंधपत्रित वैद्यकीय अधिकारी के रुप में 11 महिने के लिए नियुक्त करते ही इन बंधपत्रित डॉक्टरोें के चलते प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत बी.ए.एम.एस. धारक तदर्थ वैद्यकीय अधिकारियों पर कार्यमुक्त होकर भुखमरी की नौबत आयी है, ऐसा कहा जा रहा है.
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सरकार की ओर से समकक्ष दर्जा
बी.ए.एम.एस. व एम.बी.बी.एस. डॉक्टरों को सरकार ने समकक्ष दर्जा देकर भी एम.बी.बी.एस. धारकों ने ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य केंद्र की जिम्मेदारी स्वीकारनी चाहिए, इस कारण स्वास्थ्य विभाग कई वर्षों से प्रयासरत है. साथ ही उनके मानधन में वृध्दि कर रही है, लेकिन वे सेवा में नहीं आये. आखिर उस गट ‘अ’ की सीटों पर बी.ए.एम.एस डॉक्टर नियुक्त करने का निर्णय राज्य सरकार को लेना पडा था. उसके अनुसार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की जिम्मेदारी राज्य में 835 तदर्थ कंत्राटी वैद्यकीय अधिकारी दो वर्षों से निभा रहे है.
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आयुष के संचालकों का पत्र
श्रेणी ‘अ’ इस वैद्यकीय अधिकारी पद के लिए एम.बी.बी.एस. व बी.ए.एम.एस. डॉक्टरों को समान काम समान वेतन का आदेश दिया है. बावजूद इसके उसपर अमल नहीं हो रहा है. साथ ही सरकार ने एम.बी.बी.एस. बंधपत्रित उम्मीदवारों को जहां बी.ए.एम.एस. तदर्थ वैद्यकीय अधिकारी गट ‘अ’ की जगह पदस्थापना दी गई, ऐसा पत्र व्दारा आयुष के संचालकों ने राज्य सरकार को सूचित किया.