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आठ माह में १७८ किसानों ने की आत्महत्या

  • ८४ पीडित किसान परिवारों को मिला प्रति १ लाख रुपए मुआवजा

  • ४५ किसान आत्महत्या अपात्र रही, वहीं ४९ मामले जांच के लिए प्रलंबित है

अमरावती प्रतिनिधि/ दि.२ – सरकार व्दारा किसान आत्महत्या पर रोख लगाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. इसके बाद भी किसान आत्महत्या (Farmer suicide) की घटनांए थमने का नाम नहीं ले रही हैैं. इस वर्ष भी बीते आठ माह में १७८ किसानों ने आत्महत्या करी. इसमें से ८४ पीडित किसान परिवारों को १ लाख रुपए प्रति परिवार शासन व्दारा प्रदान किये गए. जबकि ४५ किसानों की आत्महत्या को अपात्र ठहराया गया और ४९ किसान आत्महत्या के मामलों की फिलहाल जांच शुरु है.
ज्यादा बारिश हो जाने के कारण फसल नष्ट हो जाना, कही बारिश ही नहीं होने सूखा अकाल की वजह से फसल न ले पाने की स्थिति निर्माण होती है, ऐसे में किसान कर्ज (Farmer loan) लेकर फिर से उभरने का प्रयास करते है परंतु कर्ज लेने के बाद भी प्राकृतिक विपदा के चलते किसान अधिक कर्ज में गडते चला जाता है. ऐसी स्थिति में बेटी का विवाह, बच्चों की पढाई और परिवार के सदस्यों का भरनपोषण कैसे किया जाए, ऐसी चिंता में डूबे अधिकांश किसान कभी जहर पीकर, कभी फांसी लगाकर तो कभी कुएं, नदी, तालाब में छलांग लगाकर आत्महत्या करने की घटनाएं आये दिन उजागर होती रही हैं.
इसी तरह इस बार जनवरी २०२० इस माह में २४ किसानों ने विभिन्न कारणों से आत्महत्या की. इसमें से १३ किसानों की आत्महत्या को पात्र माना गया. जबकि ९ किसानों की आत्महत्या विभिन्न तकनीकी कारणों के चलते अपात्र मानी गई. इसमें दो आत्महत्या के मामले जांच के लिए प्रलंबित रखे गए है. फरवरी माह में २७ किसानों की आत्महत्या के मामले सामने आये हैं. जिसमें से २० पात्र और ७ अपात्र रहे हैं. मार्च माह में १२ किसानों ने आत्महत्या की. इसमें से ६ पात्र, चार अपात्र, दो जांच के लिए प्रलंबित हैं. अप्रेैल माह में १३ में से पांच किसान आत्महत्या पात्र, ७ अपात्र और १ प्रलंबित हैं. मई माह में २८ किसानों ने मौत को गले लगाया. इसमें से १३ पात्र, ८ अपात्र, ७ मामले जांच में हैं. जून माह में २८ किसान आत्महत्याएं हैं. इसमें से २० पात्र, ६ अपात्र, २ प्रलंबित हैं. जुलाई माह में २९ किसान आत्महत्या के मामले सामने आये हैं. इसमें से ७ किसान परिवारों को पात्र करार देते हुए १ लाख रुपए का मुआवजा दिया. ४ किसान आत्महत्या के मामले अपात्र माने गए. १८ मामलों की जांच शुरु हैं. जबकि बीते अगस्त माह में १७ किसानों ने आत्महत्या कर ली. वे सभी मामले फिलहाल जांच के लिए प्रलंबित रखे गए हैं. इस तरह बीते पूरे आठ माहभर में १७८ किसानों ने मजबूरी में मौत को गले लगाया है. उसमें से केवल ८४ किसान आत्महत्याओं को पात्र मानकर पीडित परिवारों को सहायता दी गई. ४५ किसान आत्महत्या को अपात्र करार दिया गया और ४९ किसान आत्महत्या के मामलों को जांच के लिए प्रलंबित रखा गया हैं.

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