* पोटे शिक्षा समूह के टेक्लॉन्स में संबोधन
* 6 जनवरी को आदित्य यान होगा सूर्य के और करीब
अमरावती/दि. 3– भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था इसरो के वैज्ञानिक पंकज किल्लेदार ने बताया कि 2026-27 में 3 भारतीय अंतरिक्ष में गगनयान से जाएंगे. उस पर कार्य आरंभ हो गया है. यह तीनों एस्ट्रोनॉट तीन दिन अंतरिक्ष में रहेंगे. मानव कल्याण हेतु संशोधन करेंगे. किल्लेदार आज दोपहर कठोरा रोड स्थित पोटे ग्रुप ऑफ एज्युकेशन इंस्टिट्यूशन के कार्यक्रम टेक्लॉन्स में विशेष संबोधन कर रहे थे. उन्होंने कहा कि भारत के अंतरिक्ष मिशन मानव कल्याण की भावना लिए है. उन्होंने दो दिनों बाद 6 जनवरी को आदित्य अभियान के यान के सूरज के और नजदीक पहुंच जाने का लक्ष्य प्राप्त करने की जानकारी दी.
इस समय मंच पर प्रेरक वक्ता जया किशोरी, प्राचार्य डॉ. डी. टी. इंगोले, प्राचार्य डॉ. ए.बी. देशमुख, प्राचार्य डॉ. एस. डब्ल्यू. देशमुख, प्राचार्य डॉ. एस.एस. भूतडा, प्राचार्य डॉ. एन. बी. चौधरी, डॉ. डी. बी. रुईकर, प्राचार्य डॉ. सचिन दुर्गे, प्राचार्य डॉ. मो. जुहेर और विविध विभाग प्रमुख विराजमान थे. उनका स्वागत पोटे समूह के अध्यक्ष तथा विधायक प्रवीण पोटे पाटिल, पितृ पुरुष रामचंद्र जी पोटे, अनुराधा पोटे, श्रेयस दादा पोटे, श्रुति पोटे पाटिल ने किया. स्वागत के रुप में बनारसी दुपट्टा, पौधा, सुंदर स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा युक्त स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया. पूरे सभागार ने जोरदार करतल ध्वनी से इसरो वैज्ञानिक की अगवानी में हिस्सा लिया.
* दुनिया भारत से सीख रही
वैज्ञानिक किल्लेदार ने सगर्व और सहर्ष बताया कि कुछ दशक पहले विश्व अंतरिक्ष अनुसंधान में काफी आगे बढ गया था और वह देश भारत की खिल्ली उडाते थे. भारत पर मजाकिया कार्टून बनाते थे. आज वही देश भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के न केवल कायल बने हैं, बल्कि हमसे जुडने ललायित हैं. शीघ्र ही भारत अर्थात इसरो और नासा का संयुक्त मिशन शुरु होने जा रहा है. इस मिशन का नाम निसार रखा गया है. जिसमें नेतृत्व इसरो करने वाला है.
* 432 सैटेलाइट भेजे
किल्लेदार ने बताया कि 1993 में जब उन्होंने अनेक लुभावने ऑफर ठुकराकर इसरो को चुना था तो उस समय गिनती के लोग यहां काम कर रहे थे. आज 17 हजार वैज्ञानिक, संशोधक काम कर रहे हैं. भारत के कुछ दशकों में 125 स्पेस क्रॉफ्ट भेजे हैं. सोमवार का एक्सपोज लाँच वेहिकल मिलाकर 95 यान अंतरिक्ष में भेजे हैं. उसी प्रकार विश्व का एकमात्र देश है जिसने 32 देशों से सर्वाधिक 432 सैटेलाइट आकाश में भेजे हैं. सभी बढिया काम कर रहे हैं. मौसम, पृथ्वी की अच्छी खासी जानकारी सैटेलाइट के माध्यम से मिल रही है.
* बनाया जियो पोजिशनल एप नाविक
किल्लेदार ने बताया कि इसरो ने देश-काल को देखते हुए अपना जियो पोजिशनल सिस्टम ‘नाविक’ बनाया है. इसे और अपडेट किया जा रहा है. यह सभी के मोबाइल में लाना लक्ष्य है. इससे धरती के साथ-साथ समुद्र और आसमान में भी हम कहां है, इसका अचूक पता चलेगा.
* वाजपेयी ने दी थी चंद्रयान को स्वीकृति
वैज्ञानिक किल्लेदार ने बताया कि चंद्रयान अभियान का प्रारंभ वर्ष 2008 में हुआ. किंतु इसे स्वीकृति अटल बिहारी वाजपेयी शासन में प्राप्त हो गई थी. उन्होंने कहा कि 15 वर्षो की वैज्ञानिकों की सतत कोशिशों के कारण अब जाकर जुलाई 2023 में चंद्रयान सफल रहा. उन्होंने बताया कि अनेक वैज्ञानिकों ने रात-दिन मेहनत की. अभी भी देश और मानवता के हित में भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान आगे बढ रहा है.
* आपका जीवन सुखमय बनाना लक्ष्य
इसरो संचालक किल्लेदार ने कहा कि भारतीयों और मानव जाति के हित में इसरो के संशोधन चल रहे हैं. इसी की बदौलत अनेक सैटेलाइट स्थपित किए गए हैं. वह विविध क्षेत्र में इंसान के काम आ रहे हैं. मौसम की सटिक जानकारी का प्रयत्न है. तेजी से यहां से वहां फोटो, वीडियो, जानकारी भेजी जा रही है. मानव का जीवन सुविधापूर्ण, सुखमय करना हमारा लक्ष्य है.
* वैज्ञानिकों के त्याग से सफलता
पंकज किल्लेदार ने देश के सभी अग्रणी वैज्ञानिकों का आदरपूर्वक स्मरण कर कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता पर देश बडा प्रसन्न है. अपने वैज्ञानिकों पर देश को अभिमान है. वैज्ञानिकों के अनेकानेक त्याग है. देश के प्रति समर्पण है. उन्होंने डॉ. विक्रम साराभाई से लेकर प्रो. सतीश धवन, डॉ. अब्दुल कलाम, यू. आर. राव सभी के नामों का उल्लेख कर प्रो. धवन से जुडे दो किस्से बताकर सभागार को भावनामय कर दिया. उन्होंने बताया कि सतीश धवन ने इसरो का केंद्र बैंगलोर से अन्यत्र स्थानांतरित करने से इंकार कर अपनी बात पर वे दृढ रहे. ऐसे ही एक एसएलवी के अभियान के असफल रहने पर केंद्र के बाहर सबके सामने आकर भूल कबूल की थी. वहीं कुछ माह बाद मिशन सफल रहने पर उन्होंने अब्दुल कलाम को आगे सबके सामने भेजा. इस बात पर सभागार ने जोरदार तालियां बजाई.
* अमृत वर्ष में संशोधन को गति
वैज्ञानिक किल्लेदार ने कहा कि केंद्र सरकार सदैव वैज्ञानिकों के साथ रही है. इसरो को भी धन और समर्थन बराबर मिला है. जिसके कारण आज इसरो के उपकेंद्र देहरादून, शिलांग, त्रिवेंद्रम, महेंद्र गिरी, हैदराबाद, अहमदाबाद, जोधपुर, गंडची, श्रीहरीकोटा और आपके नजदीक नागपुर में भी बने हैं. वैज्ञानिक अमृत वर्ष में संशोधन को गति दे रहे हैं.
* 2047 में अंतरिक्ष स्टेशन
भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान में व्यापक प्रगति है. देश में युवा भी इसरो से सहर्ष जुड रहे हैं. संशोधन में अग्रणी है. जिसके कारण 2047 में भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने का नियोजन किया गया है. दुनिया में इसरो के कारण भारत की धाक बनी है. स्पेस इंडस्ट्री तेजी से विकसित हो रही है. संतोष की बात है कि भारत इसमें अग्रणी रहने वाला है. किल्लेदार ने प्रजेंटेशन के जरिए अपनी बात को प्रभावी अंदाज में रखा. सभागार उन्हें सुनने आतुर दिखाई दिया. अनेक अवसरों पर जोरदार करतल ध्वनी से किल्लेकर की बात, घोषणा का स्वागत किया गया. शहर के अनेक गणमान्य उपस्थित थे.
* वर्हाडी भाषा में पोटे ने जीता सभागार
देश के बडे अंतरिक्ष वैज्ञानिक पंकज किल्लेदार का सुमंत मोहोड ने परिचय दिया. सभागार में शांति बनी हुई थी. ऐसे में नीरसता को दूर करने संस्था अध्यक्ष प्रवीण पोटे ने समयसूचकता दिखलाई. तुरंत माइक पर जाकर विधायक पोटे ने अपने वर्हाडी अंदाज में किल्लेदार का परिचय देकर सभागार को तालियां बजाने प्रेरित कर दिया. उनका अंदाज ऐसा रहा कि वातावरण में हंसी ठिठोली भी छा गई. पोटे ने सीधे साफ लफ्जों में कहा कि किल्लेदार नाम के अनुसार अंतरिक्ष में भारत की सफलता के किले (गढ) रचने जा रहे हैं.